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शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

एसिड बर्न और रेप पीड़ितों को दें नि:शुल्क आकस्मिक चिकित्सा

ग्रामीण मीडिया सेण्टर


उच्चतम न्यायालय के निर्देश का परिपालन 


भोपाल : शुक्रवार, सितम्बर 22, 2017,
 
राज्य शासन ने सभी शासकीय एवं निजी चिकित्सालयों (नर्सिंग होम) को एसिड आदि से घायल और बलात्कार पीड़ित को तत्काल नि:शुल्क आकस्मिक प्राथमिक चिकित्सा एवं उपचार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। अस्पतालों से कहा गया है कि प्रकरण की जानकारी तत्काल स्थानीय पुलिस थाने में भी दें। चिकित्सालयों द्वारा इसका पालन न करने पर एक साल तक की सजा अथवा जुर्माना या दोनों भुगतना पड़ सकता है।
उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकरण लक्ष्मी विरुद्ध भारतीय संघ में दिए गए निर्देशों के परिप्रेक्ष्य में यह निर्णय लिया गया है। दण्ड प्रक्रिया संहिता धारा-357-सी के अनुसार सभी शासकीय चिकित्सालय अथवा निजी चिकित्सालय, चाहे वे केन्द्रीय शासन, राज्य शासन, स्थानीय प्रशासन या किसी व्यक्ति द्वारा संचालित किए जा रहे हों, उन्हें अनिवार्यत: भारतीय दण्ड संहिता की धारा-'326-ए'' (एसिड आदि से गंभीर चोट पहुँचाना) '376'', '376-ए'', '376-बी'', '376-सी'', '376-डी'', '376-ई'' (बलात्कार से संबंधित अपराध) के अंतर्गत आने वाले सभी पीड़ितों को तत्काल नि:शुल्क आकस्मिक प्राथमिक चिकित्सा सुविधा एवं उपचार उपलब्ध करायेंगे।
चिकित्सालय संचालित करने वाले व्यक्ति या संस्था द्वारा दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-257-सी में दिए गए प्रावधानों का उल्लंघन किया जाता है तो भारतीय दण्ड संहिता-166-बी के अनुसार उसे सजा या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जाएगा।

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