ग्रामीण मीडिया सेण्टर| मुलताई
आदिवासी संगठन लगातार रावण दहन का विरोध कर रहे हैं। बुधवार को कोयतूर गोंडवाना महासभा ने नायब तहसीलदार को आवेदन देकर दशहरा पर्व पर होने वाले रावण और मेघनाथ के पुतले के दहन पर रोक लगाने की मांग की। एचडी उइके, मन्नू महाजन, किसन आहके, मुन्नालाल धुर्वे आदि ने नायब तहसीलदार डीएस पटेल को आवेदन देकर रावण दहन के संबंध में संवैधानिक प्रावधानों का पालन करते हुए उचित कार्रवाई करने की मांग की। उन्होंने कहा आदिवासियों के आराध्य देव रावण को दशहरा के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत के उपलक्ष्य में दहन किया जाता है। यह परंपरा गलत है। आदिवासी समाज रावण व उसके पुत्र मेघनाथ को सदियों से पूजते आ रहा है। आदिवासियों के अलावा प्रत्येक समुदाय जो खेती का कार्य करता है वह अपने खेत में बीज रोपण करने से लेकर फसल कटाई के पूर्व खेत के देवता महिषासुर को पूजते हैं। दशहरे पर रावण का पुतला जलाना और राक्षस कहना सांस्कृतिक द्रोही ही नहीं बल्कि देशद्रोही की श्रेणी में आता है। गोंडवाना महासभा ने रावण दहन पर रोक लगाने की मांग की।
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