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सोमवार, 18 सितंबर 2017

अब लोवर-मिडिल बर्थ को लेकर नहीं लड़ेंगे यात्री, रेलवे ने बदला नियम

ग्रामीण मीडिया सेण्टर

रेल की अरक्षित बोगी में सफर करने के दौरान अक्सर यात्रियों के बीच सोने को लेकर झगड़े की नौबत आ जाती है. इस झगड़े को कम करने के लिए रेलवे ने सोने के तय समय में एक घंटे की कटौती कर दी है.
रेलवे बोर्ड की ओर से जारी सर्कुलर के मुताबिक आरक्षित कोचों के यात्री अब रात 10 बजे से लेकर सुबह छह बजे तक ही सो सकते हैं, ताकि अन्य लोगों को लोअर सीट पर बाकी बचे घंटों में बैठने का मौका मिले.
इससे पहले सोने का आधिकारिक समय रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक था.
रेलवे बोर्ड ने 31 अगस्त को जारी सर्कुलर में कहा है, “आरक्षित कोचों में सोने की सुविधा रात में 10 बजे से लेकर सुबह 6.0 बजे तक है और बाकी बचे समय में दूसरे आरक्षित यात्री (मिडिल एवं अबर बर्थ के) लोअर सीट पर बैठ सकते हैं.”
सर्कुलर में हालांकि कुछ निश्चित यात्रियों को सोने के समय में छूट दी गई है.
इसमें कहा गया है, “यात्रियों से बीमार, दिव्यांग और गर्भवती महिला यात्रियों के मामले में सहयोग का आग्रह किया जाता है, जिससे अगर वे चाहें तो अनुमति वाले समय से ज्यादा सो सकें.”
नए प्रावधान ने भारतीय रेलवे वाणिज्यिक नियमावली खंड-1 के पैराग्राफ 652 को हटा दिया है. इससे पहले इस प्रावधान के अनुसार यात्री रात के नौ बजे से लेकर सुबह छह बजे तक सो सकते थे.
मंत्रालय के प्रवक्ता अनिल सक्सेना ने कहा, “हमें सोने के प्रबंध को लेकर यात्रियों की परेशानी के बारे में अधिकारियों से फीडबैक मिला था. हमारे पास पहले ही इसके लिए एक नियम है. हालांकि हम इसे स्पष्ट कर देना चाहते थे और सुनिश्चित करना चाहते थे कि इसका पालन हो.”
उन्होंने कहा कि यह प्रावधान शयन सुविधा वाले सभी आरक्षित कोचों में लागू होगा.
वहीं एक अन्य रेलवे अधिकारी ने कहा. "सोने के समय में एक घंटे की कटौती इसलिए की गई क्योंकि कुछ यात्री ट्रेन में चढ़ने के साथ ही अपनी सीट पर सो जाते थे, चाहे वह दिन हो या रात. इससे अपर बर्थ या मिडिल बर्थ के यात्रियों को असुविधा होती थी."
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नए निर्देश से टीटीई को भी अनुमति वाले समय से अधिक सोने से संबंधित विवादों को सुलझाने में आसानी होगी.

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