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बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

प्रदेश में 125 डी.बी. से अधिक ध्वनि-स्तर वाले पटाखों का उपयोग नहीं होगा

ग्रामीण मीडिया सेण्टर


पर्यावरण मंत्री श्री आर्य द्वारा निर्धारित ध्वनि-स्तर के पटाखों के उपयोग की अपील 


 
पर्यावरण मंत्री श्री अंतर सिंह आर्य ने प्रदेशवासियों को दीपावली पर्व की शुभकामनाएँ देते हुए निर्धारित ध्वनि-स्तर के पटाखों का सीमित मात्रा में उपयोग और पटाखों से उत्पन्न कचरे को अलग से निष्पादित करने की अपील की है। श्री आर्य ने आग्रह किया है कि जलाने के बाद पटाखा कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेकें जहाँ प्राकृतिक या पेयजल-स्रोत प्रदूषित होने की संभावना हो।
श्री आर्य ने कहा कि पटाखों से जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद के कचरे के सम्पर्क में आने वाले पशुओं और बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना होती है। कुछ पटाखों की ध्वनि की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है।
रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनिकारक पटाखों पर प्रतिबंध
श्री आर्य ने कहा कि पटाखों के ज्वलनशील एवं ध्वनिकारक होने के कारण परिवेशी वायु में प्रदूषक तत्वों की वृद्धि होने से पर्यावरण और मानव पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना जीएआर 682 (ई) के अनुसार 125 डी.बी. (ए.आई.) या 145 डी.बी. (सी) से अधिक ध्वनि-स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण, विक्रय या उपयोग वर्जित होगा। उच्चतम न्यायालय के ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के परिप्रेक्ष्य में जारी निर्देशानुसार रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक ध्वनिकारक पटाखों का चलाया जाना पूरी तरह प्रतिबंधित होगा।

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