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बुधवार, 11 अक्तूबर 2017

अंतरवर्तीय फसलों ने दिखाया किसान को लाभ का रास्ता

ग्रामीण मीडिया सेण्टर





विदिशा के नटेरन विकासखण्ड के ग्राम वर्धा के कृषक श्री भगवत सिंह कुशवाह ने आधुनिक तरीके से अन्तरवर्तीय फसलों की खेती कर आपनी लागत और मेहनत के अनुरूप लाभ कमाया है। इसके पहले जानकारी के अभाव में परम्परागत खेती से उन्हें लागत और लगातार मेहनत के अनुरूप मुनाफा नहीं होने पर आर्थिक स्थिति बदतर होती जा रही थी। उन्हें परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल होने लगा था।
ऐसे समय में कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा परियोजना के अधिकारियों द्वारा कृषक भ्रमण दल के साथ आधुनिक पद्धति से अन्तरवर्तीय फसल लेने की सलाह दी गई। अन्तरवर्तीय फसल उत्पादन में भूमि की उर्वरक क्षमता में वृद्धि, कीट प्रकोप से बचाव, उत्पादन में वृद्धि के साथ अन्य कई फायदे होते हैं।
सलाह के अनुसार श्री कुशवाह ने पिछली खरीफ में सोयाबीन, अरहर की धारवाड़ पद्धति से और गेहूँ की एम.आर.आई. पद्धति से खेती की। इससे आशानुरूप गुणवत्तायुक्त उत्पादन हुआ। रबी में उन्होंने चने के साथ 5:1 के अनुपात में अलसी की फसल लगाई जिससे चने में उकठा रोग नहीं हुआ एवं कीटों का प्रकोप भी कम हुआ। इससे भी पिछले वर्षों की तुलना में उनके उत्पादन में वृद्धि हुई।
इतना ही नहीं भगवत सिंह ने अन्तरवर्तीय फसलों से हुए मुनाफे की जानकारी अन्य कृषकों को भी दी, जिससे प्रभावित हो कई कृषक अंतरवर्तीय फसलें ले रहे है
सफलता की कहानी (विदिशा )

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