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सोमवार, 11 दिसंबर 2017

बहुविकलांग रेंगती बच्ची को शासन की सहायता का इन्तजार

ग्रामीण मीडिया सेण्टर (राजेंद्र भार्गव)


मुलताई से 10  किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पंचायत परसठाणी में एक भूमिहीन मजदूरी से अपना जीवन यापन कर  गुजरा करने वाले श्रमिक धनजी बावड़े की दो लाडली लक्ष्मी है. जिसमे से बड़ी लड़की सामान्य है और कक्षा चौथी में पड़ रही है।  दुसरी  लड़की जो चार साल की है जन्म से ही बहुविकलांग है।  वह पोलियो की बीमारी से ग्रस्त है. वह  जन्म से अभी तक  रंगती है. बोलना नहीं सकती और  सुनाई भी नहीं देता है। उसकी रीढ़ की हड्डी में बिलकुल जान नहीं है , वह धरती पर पीठ के बल रेंग कर इधर उधर खसकती है , उसके मजदूर माता पिता उसको अपने हाथो से दैनिक क्रिया अन्य दैनिक कार्य पुरे करते है। 
मध्य प्रदेश सरकार ने नर सेवा ही मानव सेवा सही को आधार मान करके सामाजिक न्याय विभाग के तत्वा धान में 18 भिन्न भिन्न योजना संचालित है। इस को इनमे से एक योजना मध्यप्रदेश के छह वर्ष से अधिक आयु के बहुविकलांग एवं मानसिक रूप से अविकसित निःशक्तजन को आथिर्क सहायता 18  जून 2009 से दो साल बाद 500 रुपए प्रति माह समग्र पोर्टल पर नाम आने के बाद मिलेगा। 
ये परिवार का गरीबी रेखा में नाम तो है लेकिन आज तक राशन नहीं मिला है। ये ग्राम परसठा णी में वर्तमान सरपंच छोटे लाल जी के घर के सामने वाले घर में रहते है। इनकी परेशानी गांव के हर व्यक्ति को मालुम है।  सरकारी मदद के लिए की बार प्रयास कर  चुके है।  प्रदेश सरकार के दो सालो का इन्तजार है। न बोलती है , सुनती है , चल सकती नहीं। रेंगती है ऊपर से माता पिता मजदुर और अनपढ़  है। 

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