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भोपाल : मंगलवार, मार्च 27, 2018
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में हुई मंत्रि-परिषद की बैठक में 30 नगरीय क्षेत्रों में 43 नवीन तहसीलों के गठन की सैद्धांतिक स्वीकृति दी है। भविष्य में जनसंख्या वृद्धि होने पर जनसंख्या के मापदंड अनुसार नवीन नगरीय तहसीलों के गठन की भी सैद्धातिंक स्वीकृति दी गयी।
महानगरों में इन्दौर और भोपाल में पाँच-पाँच, ग्वालियर और जबलपुर में तीन-तीन तथा उज्जैन नगरीय क्षेत्र में दो नई तहसीलों का गठन किया जायेगा। इसी प्रकार एक लाख से अधिक लेकिन 5 लाख से कम जनसंख्या वाले नगरीय निकाय देवास, सतना, सागर, रतलाम, रीवा, कटनी, सिंगरौली, बुरहानपुर, खण्डवा, मुरैना, भिण्ड, गुना, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, विदिशा, छतरपुर, मंदसौर, दमोह, नीमच, होशंगाबाद, खरगोन, सीहोर, बैतूल, सिवनी, और दतिया में एक-एक नई तहसील बनेगी।
सृजित प्रत्येक नई तहसील में तहसीलदार, अतिरिक्त तहसीलदार, नायब तहसीलदार, सहायक ग्रेड-1, जमादार/दफतरी/बस्तावरदार और वाहन चालक के एक-एक पद, सहायक ग्रेड-2 के दो पद तथा सहायक ग्रेड-3 और भृत्य के चार-चार पद कुल 16 पद प्रति तहसील सृजन को मंजूरी दी।
मंत्रि-परिषद ने राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के 550 पद तथा सहायक ग्रेड-3 और भृत्य के 191-191 नये पद सृजित करने का भी निर्णय लिया।
'मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना' शुरू करने को मंजूरी : मंत्रि-परिषद ने प्रदेश की विधवाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने तथा उन्हें शासकीय योजनाओं का लाभ देने के लिए शासकीय शब्दावली में 'विधवा' की जगह 'कल्याणी' कहे जाने का निर्णय लिया। इसी के साथ कल्याणी विवाह को प्रोत्साहित करने तथा प्रदेश की सभी विधवाओं की आर्थिक सुरक्षा के लिए पेंशन देने की 'मुख्यमंत्री कल्याणी सहायता योजना' शुरू करने को मंजूरी दी। इसमें कल्याणी विवाह प्रोत्साहन के लिए दो लाख रूपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। कल्याणी की आर्थिक सुरक्षा के लिए 18 से 79 वर्ष तक प्रति माह 300 रूपये तथा 80 वर्ष से अधिक उम्र होने पर प्रति माह 500 रूपये पेंशन देने की स्वीकृति भी दी गई।
मल-जल निकासी योजना : मंत्रि-परिषद द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के तहत भोपाल शहर की भोज वेटलैण्ड परियोजना, टी.टी.नगर एवं हबीबगंज सीवेज परियोजना, बड़े एवं छोटे तालाब को प्रदूषण मुक्त करने की योजना, राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना के तहत पंचशील नाला प्रदूषण निवारण योजना, शिवपुरी नगर आदि की सीवरेज योजना एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट आदि के विभाग द्वारा संचालन/संधारण के लिए वर्ष 2017-18 से वर्ष 2019-20 तक निरंतर संचालन के लिये कुल 39 करोड़ 65 लाख रूपये का अनुमोदन दिया गया।
हिरन मध्यम सिंचाई परियोजना : मंत्रि-परिषद ने हिरन मध्यम सिंचाई परियोजना के लिए भू-अर्जन अधिनियम 2013 के अनुसार भू-अर्जन एवं पुनर्व्यवस्थापन के लिए परियोजना प्रतिवेदन अनुसार अनुमानित व्यय के अतिरिक्त डूब क्षेत्र के कृषकों को परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाली भूमि और उस पर स्थित परिसंपत्तियों के क्रय/अर्जन के लिए विशेष पैकेज का लाभ देने का निर्णय लिया। इस निर्णय से परियोजना में भू-अर्जन पर 4 करोड़ 52 लाख के स्थान पर 11 करोड़ 16 लाख की राशि व्यय की जाएगी।
शिक्षण प्रशिक्षण संस्थाओं का सुदृढ़ीकरण : मंत्रि-परिषद ने स्कूल शिक्षा विभाग अंतर्गत प्रशिक्षण संस्थाओं द्वारा अकादमिक गतिविधियों के क्रियान्वयन एवं संस्थाओं के अधोसंरचना विकास की योजना को वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2019-20 तक निरंतरता के लिए 261 करोड़ 49 लाख 18 हजार रूपये की राशि निर्धारण को मंजूरी दी।
समाधान योजना : मंत्रि-परिषद ने प्रदेश के जिला सहकारी केन्द्रीय बैंको से संबंद्ध प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के डिफाल्टर सदस्यों के बकाया कालातीत ऋणों के निपटारे के लिए समाधान योजना को अनुमोदन दिया। प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों द्वारा अल्पावधि फसल ऋण एवं प्राकृतिक आपदा के कारण पूर्व के वर्षो में मध्यावधि ऋण में परिवर्तित किये गये अल्पावधि ऋण की राशि 30 जून 2017 तक जमा नहीं करने वाले डिफाल्टर किसान इस योजना की परिधि में आयेंगे।
समाधान योजना में पात्रता हासिल करने के लिए किसान को खाते में बकाया ऋण का 50 प्रतिशत मूलधन चुकाना होगा। योजना में भाग लेने के लिए अंतिम तिथि 15 जून 2018 होगी। इस तिथि तक किसान को मूलधन राशि का 50 प्रतिशत चुकाना होगा।
किसान द्वारा मूलधन राशि का 50 प्रतिशत चुका देने पर, किसान के खाते में बकाया ब्याज की सम्पूर्ण राशि माफ कर दी जायेगी। किसान को खरीफ 2018 की फसल के लिए नये ऋणमान (न्यू क्रेडिट लिमिट) स्वीकृत कर दिया जायेगा। शेष आधे मूलधन की राशि को शून्य प्रतिशत ब्याज के नये नगद ऋण में परिवर्तित कर दिया जायेगा। किसान को नवीन ऋणमान के अंतर्गत उपलब्ध शेष साख सीमा का अतिरिक्त ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर वस्तु ऋण के रूप में उपलब्ध होगा।
योजना में शामिल होने वाले किसानों को खरीफ 2018 सीजन में नगद ऋण की मात्रा आधी मूलधन राशि से अधिक नहीं होगी। ऋण का शेष भाग वस्तु ऋण के रूप में होगा। रबी सीजन 2018-19 एवं इसके बाद आने वाले कृषि मौसमों में यह बंधन लागू नहीं रहेगा। नगद एवं वस्तु ऋण का अनुपात नियमित श्रेणी के किसानों की भांति रहेगा। योजना में उन सहकारी संस्थाओं को शामिल किया जायेगा, जो राज्य शासन की इस समाधान योजना को अंगीकृत करने के लिए सहमत होंगी।
योजना में डिफाल्टर कृषकों को दी जाने वाली ब्याज माफी की 80 प्रतिशत राशि का व्यय भार राज्य शासन द्वारा तथा शेष 20 प्रतिशत भार सहकारी संस्थाओं द्वारा वहन किया जाएगा ।
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