ग्रामीण मीडिया सेण्टर| मुलताई
नगर के बहूचर्चित सायकल स्टोर व्यवसायी जितेश साहू आत्म हत्या प्रकरण में मर्ग जांच उपरान्त पुलिस ने मृतक द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट्स के आधार पर मृतक को आत्म हत्या के लिए प्रताडि़त करने वाले उसके मौकापरस्त 3 दोस्तों पर सोमवार को धारा 306, 34 के तहत मामला दर्ज किया है। पाठकों को ज्ञात हो की विवेकानंद वार्ड निवासी सायकल स्टोर संचालक जितेश साहू द्वारा 27 फरवरी की रात घर में ही फांसी का फंदा बनाकर आत्म हत्या कर ली थी। लगभग 10 दिन बाद मृतक की अलमारी से 3 सुसाइड नोट बरामद हुए थे। जिसके बाद परिजनों व विहिप बजरंगदल कार्यकर्ताओं द्वारा आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु रैली निकालकर एसडीओपी कार्यालय में ज्ञापन सौंपा था। जिसके पुलिस के द्वारा मर्ग जांच व मृतक के परिजनों के बयान दर्ज किए थे, तथा सोमवार को थाना प्रभारी एसके अंधवान की ओर से आरोपी फारूख पिता फिरोज खान मुलताई, वाजीद पिता अजीज चौहान मुलताई, प्रेम पिता अशोक गोस्वामी मुलताई के खिलाफ धारा 306, 34 भादवी के तहत अपराध दर्ज किया गया।
क्या था मामला
क्या था मामला
फव्वारा चौक पर साइकिल स्टोर संचालित करने वाले विवेकानंद वार्ड निवासी जितेश साहू ने 27 फरवरी की रात अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। रविवार को मृतक जितेश की पत्नी दीपिका उर्फ जयश्री कमरे में रखी अलमारी की सफाई करने गई थी। सफाई के दौरान दीपिका को पति के लिखे तीन पत्र मिले। तीनों पत्रों में रुपयों के लेनदेन और तीन लोगों के नाम लिखे हैं। मृतक जितेश साहू के परिजनों ने इस संबंध में एसडीओपी अनिल कुमार शुक्ला को जानकारी दी। पुलिस ने तीनों पत्र जब्त कर लिए हैं। एसडीओपी ने बताया प्रकरण की जांच कर रहे एएसआई करणसिंह को पत्र जब्त कर विधिसंगत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
फारूख के नाम से मिले पत्र में उल्लेख किया है मैंने बुरे समय में आपकी मदद की थी। निवेदन है मेरे नाम से जो पैसे आप को दिलाए हैं कम से कम वह तो दे दो। ब्याज का पैसा तो मैं दे चुका हूं। भविष्य में कोई भी किसी की मदद नहीं करेगा। आपने मेरे पैर पड़े थे न। आप मुझे फंसाकर खुद अपने कर्ज से मुक्त हो गए। रुपए लेना है 27 हजार।
दूसरा पत्र
आप मतलबी निकले, मैने गहने गिरवी रखकर तुमको रुपए दिए थे
दूसरा पत्र
आप मतलबी निकले, मैने गहने गिरवी रखकर तुमको रुपए दिए थे
प्रेम के नाम से मिले पत्र में लिखा है भाई आपने हमारे भरोसे की कीमत नहीं की। मेरे 1.25 लाख नहीं दे रहे। आज हम जो करने जा रहे हैं इसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार हो। मैंने गहने गिरवी रख आपको पैसे दिए। आपके आंसू देखकर दया आ गई थी। 3 साल बाद भी आप पैसे नहीं दे रहे हो, इसलिए यह कदम उठाना पड़ रहा है। मेरे मरने के बाद यह पैसा मेरे घर वालों को दे देना। पुलिस प्रशासन से निवेदन है इस बात पर थोड़ा समय निकालकर मेरे बच्चों के लिए ऐसा कुछ करें कि आप पर सारी दुनिया गर्व करे।
वाजिद चौहान के नाम से मिले पत्र में उल्लेख किया है, भाई आपके ऊपर भरोसा करना भूल हो गई। मैं आपके जैसा .... नहीं बन सकता। आपने दोस्ती करके दगा किया है। आपको रुपए दिलाए, आज तक उसका ब्याज भरते आ रहा हूं। कम से कम अल्लाह को मानता होगा तो मेरे बाद ही सही कम से कम 3, 80, 000 रुपए तू मेरे घर पर दे देना। इससे ज्यादा का ब्याज मैं भर चुका हूं। इसको तो जेल में डाल देना, जमानत भी नहीं होने देना, इस बात का ध्यान रखना पुलिस से निवेदन करता हूं।
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