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गुरुवार, 1 मार्च 2018

बिना मिट्टी के पौष्टिक चारा

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| मुलताई  www.graminmedia.com




नगर के उन्नतशील किसान राजेंद्र भार्गव अपने खेत में बिना मिट्टी के मवेशियों के लिए पौष्टिक चारे का उत्पादन करते हैं। यह चारा खाने से मवेशियों के दूध देने की क्षमता कई गुण बढ़ रही है। बिना मिट्टी के चारा उगाने की कला सीखने पांढुर्णा ब्लॉक के गांव की आदिवासी महिलाओं का दल राजेंद्र भार्गव के खेत में पहुंचा। महिलाओं की कृषि में भागीदारी बढ़ाने के लिए मापवा योजना के तहत 20 आदिवासी महिलाओं का दल जैविक खेती, पौष्टिक चारा, पशु पालन, जैविक खाद का प्रशिक्षण लेने पहुंची। उन्नतशील किसान राजेंद्र भार्गव ने महिलाओं को बिना मिट्टी के चारा उगाने की विधि बताई। राजेंद्र भार्गव ने बताया प्लास्टिक के ट्रे में बिना मिट्टी के चारा उगाया जाता है। ट्रे में मक्का, जौ, गेहूं के दाने डाल दिए जाते हैं। जिसमें 10 से 12 दिन तक फव्वारा पानी विधि से नेट शेड में इसे रख दिया जाता है। दानों में अंकुरण होकर चारा बनना शुरू हो जाता है। इस चारे में हरी पत्तियां के साथ अंकुरित दाना और जड़े भी मवेशियों के लिए उपयोगी होती है। उन्होंने बताया इस चारे से मवेशियों को पौष्टिक, प्रोटीन और केल्शियम युक्त चारा मिलता है जो मवेशियों के लिए उपयोगी होता है। इसके साथ उन्होंने जैविक खाद बनाने, टपक विधि से सिंचाई के संबंध में भी जानकारी दी। महिलाओं ने अपने खेतों में बिना मिट्टी के पौष्टिक चारा तैयार करने की बात कही। 


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