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शनिवार, 21 अप्रैल 2018

देहदान कर दी थी, अंतिम संस्कार किया आटे के शव का

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|


बैतूल में समाजसेवियों के अलावा डॉक्टर्स भी अंगदान और देहदान की पहल कर रहे हैं। अब तक 40 डॉक्टर्स ने अपने अंगदान करने की घोषणा की है। जबकि 11 लोग देहदान का फार्म भर चुके हैं। रेडक्राॅस सोसाइटी चेयरमैन डॉ. अरुण जयसिंगपुरे ने बतायापहले अंग दान, देहदान करने में लोग कतराते थे, लेकिन मोटीवेट करने से लोग अब सार्वजनिक व धार्मिक कार्यक्रमों के मंच से ही इसकी घोषणा करने लगे हैं। यह एक अच्छी पहल है। निश्चित ही इससे दूसरे लोगों को जिंदगी मिलेगी। ऐसा लगता है पहल- प्रयास रंग ला रहे हैं। 

शहर के बडोरा में जब एक अर्थों निकली तो उसमें किसी पार्थिव शरीर की बजाय आटे का पुतला था, लेकिन गाजे-बाजे के साथ निकली इस अंतिम यात्रा में शामिल लोगों की आंखों में किसी अपने के बिछुड़ने का गम जरूर था। यह यात्रा कोई जादू-टोना नहीं, बल्कि देहदान की मिसाल बने सूरतलाल सरले की अंतिम यात्रा थी। बडोरा निवासी सूरतलाल सरले ने 88 साल की उम्र में शुक्रवार सुबह 8 बजे अंतिम सांस ली। इसके बाद भाई ॠषिराम सरले, नारायण सरले , पुत्र लिलाधर और हरिशंकर सरले आदि ने विधि-विधान से उनकी अंतिम यात्रा की तैयारी की। भोपाल के एम्स अस्पताल को सूचना दी। कलेक्टर शशांक मिश्र के निर्देश पर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डा. अशोक बारंगे, डा.एके भट्ट, डाॅ. अरुण जयसिंहपुरे आदि पहुंचे। उनके घर से गांव के बाहर तक पार्थिव शरीर शववाहन में लाया गया। जबकि उसके पीछे परंपरा अनुसार बांस की बनी सीढ़ी पर आटे के पुतले को रखा गया था। गांव के बाहर शववाहन भोपाल के लिए रवाना हो गया। इधर अंतिम यात्रा माचना मोक्षधाम पहुंची। यहां परंपरागत तरीके से पुतले का अंतिम संस्कार किया। सूरतलाल सरले ने 4 साल पहले, 4 दिसंबर 2014 को भोपाल के एम्स अस्पताल में देहदान के लिए पंजीयन कराया था। हम सरले परिवार के आभारी हैं, जिन्होंने सुदूर गांव में रहते हुए अपने बुजुर्ग की अंतिम इच्छा को पूरा करने का साहस दिखाया। मेडिकल का अध्ययन कर रहे बच्चों के लिए इस तरह की बाॅडी की आवश्यकता रहती है। जो देहदान से ही पूरी हो सकती है। डाॅ. चंद्रशेखर, एम्स, एनाटोमी विभाग, भोपाल।


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