ग्रामीण मीडिया सेण्टर | मुलताई
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ग्रामीण मीडिया सेण्टर ने कल व्यहवारिक परेशानी में पाया की, मुलताई नगर में लम्बे समय से ये गोस्वामी निवास रथ है। इनमे मृत्यु उपरान्त समाधी क्रिया होती है। जिस प्रकार से मुस्लिम, मुल्ला, कबीर पंथी समाज में होता है। इस कारण से इनको शमशान हेतु अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। साथ ही ये भी देखा की इस समाज में मृत्यु उपरान्त शव को लेटाकर नहीं बैठाकर डोली बनाकर अंतिम यात्रा निकाली जाती है। उपरान्त मरघट में भी बैठक समाधी दी जाती है। ये अपने अपने रीति रिवाज है।
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ग्रामीण मीडिया सेण्टर ने कल व्यहवारिक परेशानी में पाया की, मुलताई नगर में लम्बे समय से ये गोस्वामी निवास रथ है। इनमे मृत्यु उपरान्त समाधी क्रिया होती है। जिस प्रकार से मुस्लिम, मुल्ला, कबीर पंथी समाज में होता है। इस कारण से इनको शमशान हेतु अधिक भूमि की आवश्यकता होती है। साथ ही ये भी देखा की इस समाज में मृत्यु उपरान्त शव को लेटाकर नहीं बैठाकर डोली बनाकर अंतिम यात्रा निकाली जाती है। उपरान्त मरघट में भी बैठक समाधी दी जाती है। ये अपने अपने रीति रिवाज है।
मुलताई में इस समाज के सामने सबसे बड़ी समस्या है की इनके पास शासन के रिकार्ड में एक भी मरघट नहीं है। लम्बे समय से ये वलनी, पारेगांव सड़क मार्ग के बाजू में चंदशेखर सोनी के खेत के बाजू में थोड़ी सी भूमि पर समाधि क्रिया सम्पन्न करते है। नव निर्मित फोरलेन और प्रधानमंत्री सड़क वलनी परेगॉव मार्ग से ये भूखंड का पहुंच मार्ग लगभग समाप्त हो चुका है। सड़क ऊची और मरघट नीचे और दोनों तरफ नाले है। शेष मार्ग पर खेत स्वामी ने जेसीबी मशीन से बहुत गहरी और चौड़ी नाली खोद दी है। इस मरघट तक शव की डोली को पहुंचने में काफी परेशानी हुई। बरसात में तो इस स्थान तक पहुंचना और भी कठिन होगा। पुरानी समाधी बनी है। नई समाधी के लिए खाली स्थान भी एक चुनौती है। कल मेरे बच्चपन के मित्र राम भारती के पिता श्री राजेन्द पूजा भारती का देहांत हुआ था। उनकी अंतिम यात्रा में जाने पर उपरोक्त समस्या पता चली। शासन से निवेदन है की मरघट भूमि की व्यवस्था करे और वर्तमान में आने और जाने के मार्ग की व्यवस्था करे।
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