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सोमवार, 4 जून 2018

अच्छी पहल| हीरापुर रेशम केंद्र में 20 कारीगरों को दिया रेशमी साड़ी बनाने का प्रशिक्षण

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| www.graminmedia.com


जिले में जल्द ही महेश्वर पैटर्न पर रेशमी साड़ियां बनने लगेंगी। जिले को यह पहचान हीरापुर रेशम केंद्र के माध्यम से मिलने वाली है। हीरापुर रेशम केंद्र में प्रशिक्षणार्थियों ने प्रशिक्षण के दौरान इस पैटर्न की साड़ी का निर्माण कर लिया है। संभवतः जल्द ही इसका विधिवत निर्माण शुरू करेंगे। अब तक 20 कारीगर इस कार्य में प्रशिक्षण ले चुके हैं और 20 लोगों का प्रशिक्षण जारी है। इसके बाद 10 लोगों को और रेशमी साड़ियां बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। 

रेशम धागे का हो रहा निर्माण 
रेशम केंद्र में अभी रेशम के कोकून से रेशमी धागे का निर्माण होता है। जिलेभर में 1 हजार 199 एकड़ में रेशम कीट पालन और कोकून तैयार होता है। प्रति एकड़ करीब 150 से 200 किलोग्राम रेशम निकल रहा है। शाहपुर, बैतूल, घोड़ाडोंगरी, मुलताई के ग्रामीण क्षेत्रों में किसान कोकून से प्रति एकड़ अभी एक से डेढ़ लाख रुपए कमा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट से आने वाले समय में अधिक लाभ अर्जित होने की संभावना बढ़ गई है। 


यह होंगे फायदे: जिस स्थान पर साड़ी का निर्माण हो रहा है, वहां बंगला भाषी कारीगर हैं, जो कुशल कारीगर माने जाते हैं। यहां महेश्वर पैटर्न पर साड़ी निर्माण होने के बाद जिले सहित अन्य जिलों में भी इसे सप्लाई किया जाएगा। 

शाहपुर। रेशम केंद्र में धागा बनाते हुए प्रशिक्षणार्थी। 
4 कताई- बुनाई सेंटर के लिए 1 करोड़ का बजट 
हीरापुर रेशम केंद्र परिसर में कताई और बुनाई के लिए चार भवनों के निर्माण के लिए टेंडर हो चुके हैं। मप्र गृह निर्माण मंडल के सहायक यंत्री एनके पाठेकर ने बताया 4 भवनों के निर्माण के लिए एग्रीमेंट करने ठेकेदार को पत्र दिया है। संभवतः जुलाई में काम शुरू कर देंगे। 

वर्तमान में कपड़ा बनाने का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रथम चरण में 50 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाना है। 20 प्रशिक्षण ले चुके हैं । 20 को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद 10 को और प्रशिक्षण मिलेगा। ट्रायलबेस पर महेश्वर पैटर्न की साड़ी बनकर तैयार हो चुकी है। इसकी लागत 2 से ढाई हजार के बीच है। भविष्य में कताई, बुनाई के लिए भवन निर्माण से रेशम के वस्त्र तैयार करने में गति आएगी। अर्जुनसिंह ठाकुर, फील्ड अधिकारी, रेशम केंद्र, हीरापुर 

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