ग्रामीण मीडिया सेण्टर|बैतूल
आप समाचार की हैडिंग पढ़ कर सोच रहे होंगे की आज क्या नया ले आये ये मीडिया वाले इनको भी ख़बरों को बढ़ा चढ़ाकर बताने की आदत हो गई अन्य की तरह परन्तु नहीं |
अब आप जो भी काम कर रहें है उसे 2 मिनट के लिए छोड़ दे और अपने जिले और आने वाली पीढ़ी के साथ- साथ स्वयं के लिए इसे पूरा पढ़े|
मै यश भार्गव आप से आज आसान सी बात करता हूँ -
आपके माता पिता उन्होंने ज़िन्दगी भर सिर्फ आपको कुछ न कुछ किसी भी रूप में दिया ही है जैसे अपना नाम जिससे आप बचपन में जाने जाते थे, एक अच्छा जीवन, शिक्षा, अनमोल प्यार परंतू इसके बदले उन्होंने हमसे कुछ नहीं माँगा | चलिए दूसरी बात करते है|
एक आपका मित्र जिसे आपने पैसे मांगे उसने दे दियें, फिर आपने पैसे मांगे फिर उसने दे दिए ऐसा कुल १० बार तक ऐसा होता रहा, अब आप सोचोगे ये कब अपने पैसे वापस मांगेगा| परन्तु ऐसा नहीं हुआ उसने कभी वो पैसे मांगे ही नहीं और दोस्त आपको बोला की, यदि और पैसे चाहिए तो मांग लेना | इस बात से आप तो एक दम खुश |
अब आप सोच रहे होंगे की ये सब बकवास क्यों सुना रहे हो तो आगे चलिए बताता हूँ क्या बात है |
ये पेड़ जिसका मैं आगे ज़िक्र करने जा रहा हूँ यह आपका वही मित्र है जो देता सबकुछ पर हमसे कुछ भी नहीं लेता और ये ऐसी वस्तु हमे देता जो हम चाहकर भी पैसे से नहीं खरीद सकते\ आइए कुछ वास्तु की बात करें
ऑक्सीजन
ऑक्सीजन की यदि बात की जाये तो उसके बिना मानव जीवन संभव नहीं| यदि इस बात का सबूत चाहिए तो एक रिपोर्ट के मुताबिक सामान्य मानव सिर्फ एक मिनट तक बिना साँस लिए जी सकता है | अब जब मानव जीवन में ऑक्सीजन इतनी मत्वपूर्ण है तो आप जितनी ऑक्सीजन लेते है उसके पैसों की बात करलें
एनजीओ दिल्ली ग्रीन्स की एक रिपोर्ट का दावा है कि एक स्वस्थ पेड़ का आर्थिक मूल्य लगभग 23.72 लाख रुपये है।
यह साबित करने के प्रयास में कि एक भी पेड़ काटने का महंगा मामला है| एनजीओ की के आर्थिक मूल्यांकन रिपोर्ट' के साथ बाहर आया -
कि आराम से एक औसत वयस्क प्रति दिन लगभग 11,000 लीटर हवा अंदर लेता है | इनमें से लगभग 20% ऑक्सीजन है| इसलिए, एक मानव प्रति दिन कम से कम 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन का उपभोग करता है। बाजार सर्वेक्षण के आधार पर, हमने पाया कि 2.75 लीटर पोर्टेबल ऑक्सीजन सिलेंडर की औसत लागत 6,500 रुपये है। इस दर पर, एक इंसान प्रति दिन 13 लाख रुपये के ऑक्सीजन का उपभोग करता है,|
तो पढ़ा आपने एक दिन में १३ लाख, माह में और वर्ष में
1300000*365 =474500000
इतने रुपए की ऑक्सीजन एक साल में तो ज़िन्दगी भर
आप समझ ही गए होंगे इसके आलावा वर्षा करवाने में ये सहायक होते है| कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर संतुलित करते है और हज़ारों फायदे हमे देते है|
इस आधार पर ये हमारे उन्ही मित्रों की तरह होगये जिनकी बात ऊपर की थी|
चलिए पेड़ों की उपयोगिता तो हमे समझ आ गई पर इससे जिले को क्या खतरा तो मित्रों मैं आपको बता दू अपने जिले में चंद लोग अपने स्वार्थ के लिए उन बड़े पेड़ों को काट रहे जिनकी उम्र कई वर्षों की है और ऐसे में प्राकृतिक संतुलन बिगड़ रहा है| बची कसर बकरी चराने वाले पेड़ों की पत्तियां गायब करके पूरी कर देते है| सबूत -
वीडियो
और सिर्फ ये ही नहीं पहले भी ग्रामीण मीडिया ने २ ट्राली लकड़ी पकवायी थी| साथ ही अन्य जिले के जागरूक नागरिक ऐसे मामलों पर प्रकाश डालते है | ये सिर्फ जिले की ही बात नहीं सभी जगह यही हो रहा है| परतु हम सुधरेंगे तो जग सुधरेगा इसी उम्मीद के साथ जिले की बात की|
सरकार करोड़ों रूपए नए पौधे लगाने में खर्च कर रही पर इन पुराने पेड़ों का क्या| हमभी हमारे आस पास देखते है कोई पेड़ काट रहा उसे कुछ नहीं बोल पाते | अरे पर आप पुलिस को या वन विभाग को तो इसकी सूचन दे सकते हो| जरा सोचो नए पेड़ लगने में और बड़े होने में समय लगता 50 वर्ष और काटने में सिर्फ 5 मिनट |
आपको बता दूँ अगर यूँही चलता रहा तो शायद हमारी पीढ़ी आने से पहले ही ख़त्म हो जायेगी| बाकि आप खुद समाचार है|
नए लगाना उन्हें पाल पोसकर सुरक्षित बड़ा करना ही हमारा कर्तव्य नहीं बल्कि पुराने पेड़ों को बचाना भी हमारा कर्तव्य है|
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