ग्रामीण मीडिया सेण्टर| से जुड़े ग्राम जम्बाड़ी के नव युवको ने जानकारी में बताया की, उनके ग्राम के डेम पर तकनीकी रूप से खतरे के बादल दिखाई दे रहे है। इस सूचना पर ग्रामीण मीडिया की टीम ने ग्राम जा करके हालत देखे तो 100 प्रतिशत हालत खतरे के है। सिचाई विभाग द्वारा निर्मित डेम से रात और दिन डेम डूब क्षेत्र की काली मिट्टी खुदाई करके जा रही है। तकनीकी दृष्ट्री से डूब क्षेत्र में कभी भी कोई भी खुदाई काम पर पाबंदी रहती है। इसके पीछे कारण मे जब हम लोगो ने बाड़ेगांव की खुदाई जनहित में की थी तब सिचाई विभाग के अधिकारीओ ने काम रुकवाया और तकनीकी रूप से बताया की अगर नीचे की मिट्टी खुदाई के बाद कच्चा लग जाता है। बरसात में जब डेम में पानी भरा रहा है। तब पानी अंदर ही अंदर यहां से सुरंग बना करके डेम को क्षतीग्रस्त कर सकता है। इस कारण से कभी भी डेम के अंदर से गहरीकरण का काम नहीं होता है। अगर मिट्टी जमा होने पर तकनीकी अधिकारी की उपस्थिति में खुदाई होती है। ये पूरा भाग सुरक्षित भाग है। ग्रामीण मीडिया का भी मनाना है की इस खुदाई पर रोक नहीं लगी तो इस डेम और ग्रामीणों का जींवन खतरे में आ सकता है। हमारा भाव किसी की शिकायत करना नहीं है जनहित है। इसकी तत्काल सुचना अनुविभागीय अधिकारी राजस्व और सिचाई विभाग को दी। अगर आपके ग्राम में भी इस प्रकार की गति विधि होती है तो सूचना दे। अधिकाँश मिटटी परेगाव के ईट के भट्टों पर जाती है। खुदाई में नाबालिक श्रमिक भी है। 150 रुपए प्रति ट्राली भरवाई के भाव है। करीब 35 मिनिट में एक ट्राली खुदाई करके भर जाती है। इसी के साथ इसी डेम पर पानी की मोटर भी रात दिन चल रही है। डेम का स्टोर पानी खाली हो रहा है। मोटर भी सीधे विधुत पोल से तार डाल करके चल रही है। नियम से इस मौसम में पानी सिचाई की अनुमति नहीं मिलती है।
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