ग्रामीण मीडिया सेण्टर| को किसानों ने जानकारी में बताया की उन्होंने प्रतिवर्षा अनुसार इस साल भी अपने अपने ग्रामो की सोसायटी से माध्यम से बैंक कर्ज पर बीज पर खाद प्राप्त करके सोयाबीन की बोनी की। जो बीज उन्होंने सोसायटी से परमीट पर लेकर खेत में बोया उसका एक भी दाना लम्बे इंतजार के बाद में भी ु उगने से बड़ी संख्या में कहाँ अब हम तप पूरी तरह से बर्बाद हो गए , बैंक का कर्ज , खेत बनाने का खर्च,खाद बीज और पुरे साल की ये एकमात्र फसल दूबारा बोनी के लिए न तो बीज और न है रुपए। बरसाती फसल में समय अनुसार ही बोनी होती है। बरसात के बात में खेत सूखता है और अगर किसी भी कारण से बीज नहीं उगता है तो साल भर की दिक्क्त ही दिक्क्त जाति है। मुलताई में पहली बार तो किसानो ने बीज पाने के लिए संषर्ष किया और मिला तो उगा नहीं अब परेशान है की क्या करे कानूनी प्रक्रिया बहुत ही पेचीदा है। उसके बाद भी मांग करते है की बीज उत्पादक समिति की FIR हो। जिला प्रशासन हस्तक्षेप करे। शीघ्रता से दूबारा बीज गुणवत्तापूर्ण दिलाये। बीज उत्पादक,टेगिंग कर्ता अधिकारी विक्रता ग्राम की समिति सब के खिलाफ कार्यवाही करे। जांच बारीकी से हो की ये समस्या फिर न आये। ग्रामीण मीडिया को जानकारी में है की बीज निर्माण का एक बड़ा गोरख धंधा है। सोयाबीन का अनाज बाजार से खरीद करे। ग्रडिंग मशीन से छान करके इन बोरिओ में पेकिंग हो जाती है। प्रमाणित कर्त्ता अधिकारी आँख मिचकर हस्ताक्षर करता है। बीज खेतो में नहीं ग्रेडिंग मशीन से बनता है। पूरा तंत्र इसमें सहभागी है। 20 रु की अनाज 52 का हो जाता है। कभी कभी ऐसी हालत हो जाती है। असंगठित किसान इन ऊंची पहुंच बीज कम्पनीओ से लड़ाई नहीं कर सकता है। शासन और प्रशासन तक लम्बी सेटींग रहती है। इस कम्पनी में सदस्य और बीज उत्पादक है। जो आज किसान को समझाने और डराने में सक्रीय हो जाएगा। किसान अभावो में बखर लेकर दुबारा बोनी करने में लग जाएगा। आगे चुनाव है इस लिए लगता है की थोड़ी राहत मिलेगी। फर्जी बीज कम्पनी का कुछ नहीं होगा। इसका एक पूरा नियम है, सजा है।
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