ग्रामीण मीडिया सेण्टर|
शनिवार को ग्रामीण मीडिया सेंटर में वरिष्ठ और कनिष्ट शराब संघ के कार्यकारणी की बैठक हुई। जिसमे कुछ वरिष्ठ सदस्यों ने कुछ चौकाने वाली जानकारी दी , उन्होंने बताया की जो ठेके की पक्की दुकाने है, वहा तो अभद्रता का वातावरण रहता है। दूरी भी बहुत अधिक पडी है। हमारे अधिक सदस्य अपने अपने घर के पास की दूकान में चंदी लगा ली है। उन्होंने हमारे साप्ताहिक मजदूरी के अंदाज से उधारी मिलती है। जैसे किसी का मजदूरी दो हजार रु या आठ हजार रु है तो उसको 1500 तक की उधारी की शराब की बोतल मिल जाती है। साथ में डायरी लेकर जाना आवश्यक है। सात दिन में उधारी देना आवश्यक है। उस डायरी में से वह पन्ना फाड़ दिया जाता है। जिनका वेतन मासिक है तो उसके मासिक आधार पर मिलती है। अगर किसी के पास अच्छी पानी वाला खेत या हाइवे टच है तो उसको एक साल की उधारी और लेकिन खेत की भी और कोरे स्टांप पर हस्ताक्षर अनिवार्य है। इस शराब की एक विशेषता यह भी है की, जो भी शराब दूकान दार के पास है लेना पड़ेगा। चाहे ठेके की या फिर कैप्सूल लेना पड़ेगा। फिर आप को सुबह 7 से देर रात शर्तो के अनुसार शराब मिलती है। उधारी न देने वाले को थाने और जेल की मार से ज्यादा मारते है। पुलिस भी इनके ही आदेशों का पालन करती है। दूकान दार के खेत में काम भी करना पड़ता है। एक ने बताया की परसो एक आदमी को पारेगाव रास्ते पर फिल्मी स्टाइल से मारा मोहल्ले वाले केवल चीखो की आवाज सुन सकते है। बीच बचाव नहीं चलता। कुल मिला करके सरकार के थाने के बराबर एक पूरा तंत्र काम करता है। आदत पड़ गई है। अपने घर एक भी रुपए नहीं जाते है। सात दिन तक कमाओ आठ वे दिन देकर खाली। मुलताई के पास एक चन्दोरा ग्राम है वहा की 70 प्रतिशत किसान मजदूरों की डायरी है। गौर तलब की वहा भी सरकारी ठेका नहीं है। बैठक में तय हुआ की मारपीट और अपमान अब नहीं सहन करेंगे। कुछ बोले की पूरी मजदूरी इसमें ही चली जाती है। घर खाली हाथ जाओ तो बुरा तो लगता है।
www.graminmedia.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें