प्रकृति मानव के लिए एक सुन्दर उपहार है ; इसे नष्ट न करे।
इंसान ने अपनी स्वार्थ एवं सुविधा के लिए सतपुड़ा की एक सुन्दर पहाड़ी को काट दिया। पर्यावरण प्रेमी मोहन नागर जी अपने उद्बोधन में बात का हमेशा उल्लेख करते है। इस पहाड़ के भाग के कारण भारत भारती का मौसम बरसात यहां तक की कृषि उत्पादन पर भी असर आया है। हम विकास निर्माण विरोधी नहीं है , प्राकृति को क्षति न पहुंचे और विकास भी सतत हो।
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