ग्रामीण मीडिया संवाददाता मुलताई (घाटबिरोली)
मुलताई तहसील विकास खंड प्रभात पटट्न की ग्राम पंचायत घाटबिरोली में दिनांक 27 अगस्त 2018 को कुत्तो के आतंक से परेशान हो करके 1 नहीं 18 कुत्तो को पीट पीट करके मार डाला । अलग अलग स्थान पर मरने के बाद सब मरे हुए कुत्तों को ग्राम के स्वास्थ केंद्र घटबिरोली के मुख्य गेट के बाजू में जमा कर दिया । जिससे की मरे हुए कुत्तो को गिनती हो जाए. जिसके फोटो ग्राफ़ जो की केवल ग्रामीण मिडिया के पास सबसे पहले एक ग्रामीण ने भेजे और नाम न प्रकाशित होने की शर्त पर जानकारी में बताया कि , घाटबिरोली के ग्रामीण करीब एक साल से इन शिकारी कुत्तो के आतंक से बहुत ज्यादा परेशान है। करीब एक साल पहले तो ग्राम के कोटवार के एक रिश्तेदार के छोटे से बच्चे को इन कुत्तो में अपना शिकार बना लिया था। ग्रामीणों ने जैसे तैसे उसको बचाया। वर्तमान में ये हालत है कि , किसी भी किसान की गाय,भैस,बकरी,बैल घेर करके मार करके खा जाते है। अपने खेतो और घरो के सामने रात दिन किसान इनके डर और आतंक से जानवरो की सुरक्षा में ही लगे है। अब इन कुत्तो का आतंक इतना अधिक हो चुका है कि, वे आम ग्रामीणो पर भी हमला करने से चूक नहीं रहे है। ग्रामीणों ने परेशान हो करके ग्राम पंचायत में भी शिकायत की उनके पास भी इन आवारा और शिकारी कुत्तो के मुक्ति का कोई उपाय नहीं है। अंत में भुजलिया की पूर्व संघ्या पर एक कुत्ता 50 रु की आकर्षण योजना ने संख्या 18 तक पहुंची। इस बारे में ग्राम में इतनी एकता है की कोई किसी का नाम नहीं बता है। बस कुत्तो की लाश और उनकी चोटों से अंदाज लगा सकते है की क्या क्या हुआ होगा। गुप्त रूप से जानकारी में बताया की करीब एक साल पहले हावे पर किसी वाहन से ये कुत्ते छोड़े थे। इनकी संख्या उस समय कम थी। ग्राम में बड़ी मात्रा में खाने की झूठन मिल जाती है। ग्राम के आजू बाजू में जंगल है। कुछ शिकार धीरे धीरे संख्या बढ़ गई और ये ला इलाज बीमारी से हर ग्राम का ग्रामीण परेशान है। अगर ये ही हालत रहे तो ये कुत्ते नरभकक्षीय हो रहे है। सरकार के पास कोई प्रावधान नहीं है। ये हालत पवित्र नगर मुलताई की है। कुछ दिनों पहले एक बच्चे को अपना शिकार बनया था। ये ग्रुप में हमला कर रहे है। वैसे तो क़ानून की दृष्टी से ये काम गैर कानूनी है। वही अगर मानव सुरक्षा की दृष्टी से भी सरकार को सोचना पड़ेगा। इनका कोई मालिक नहीं है , समाजिक दृष्टी से जिसका कोई मालिक नहीं होता है। वह लावारिस सरकारी की सम्पति होती है। ग्रामीण मीडिया ये मांग करता है की क़ानून का भी सम्मान रहे। साथ ही ग्रामीणों और पशुओ के रक्षा इन कुत्तो से हो. एक बीच का रास्ता निकालना पड़ेगा। मानवता की दृष्टी से इस प्रकार से कुत्तो को मारना भी अच्छी बात नहीं है।
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