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सोमवार, 13 अगस्त 2018

नदी के पास झाड़ियों में मिली मासूम

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 


बैतूल के भैंसदेही में एक बार फिर से मानवता को शर्मसार करने का मामला सामने आया है जहां समाज में आज भी बेटियों और बेटों पर भेदभाव किया जाता है अगर बेटी हुई तो उसे या तो मार दिया जाता है या तो उसे फेंक दिया जाता है कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है जहां पर पर ग्राम पंचायत धाबा में अज्ञात माता ने एक दिन की जीवित बिटिया को नदी के पास झाड़ियों में फेंक दिया इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी जब मिली जब गांव के ही रामदास और मनोज शौच के लिए नदी किनारे गए जब नदी किनारे शौच पर बैठे मनोज और रामदास को झाड़ियों से जीवित नन्ही सी बिटिया की रोने की आवाज आई तो वह वहां झाड़ियों में पहुंच गए और कुछ बिटिया को गोदी में उठा लिया बिटिया के शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था बिटिया को झाड़ियों के नीचे एक पत्थर के नीचे दबा दिया गया था लेकिन बिटिया की किस्मत इतनी अच्छी थी कि गांव के रहने वाले मनोज और रामदास जीवित नवजात बच्ची को जीवन देने का फैसला कर लिया इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी रामदास सागर मनोज ने गांव वालों को जी उसके बाद ग्रामीणों ने 108 और डाई को सूचना दी जिसके बाद पुलिस के द्वारा तत्काल ग्राम धाबा में बिटिया को सुरक्षित लेकर भैंसदेही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आ गया है जहां पर नवजात बिटिया का इलाज किया गया और उसे ऑक्सीजन दी बिटिया बैतूल जिला अस्पताल रोशन किया गया जहां पर डॉक्टर उसका इलाज कर रहे है ।
भैंसदेही थाना प्रभारी जयंत मासकोले के मुताबिक बच्चे का जन्म आज सुबह हुआ है और उसके माता-पिता ने उसे झाड़ियों के बीच फेंक दिया है हालांकि पुलिस ने अज्ञात माता-पिता के खिलाफ धारा 317 मामा भी दर्ज कर लिया है पुलिस इस पूरे मामले को लेकर आप जांच में जुट गई है।
सरकार के द्वारा बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ के जमकर नारे लगाए जाते हैं और इनके लिए योजना भी बनाई जाती है लेकिन इस योजना का क्या मतलब जब बेटियों के साथ इस तरह की घटना होने लगी है आज भी बेटी और बेटे में भेदभाव का काम जोरों से चल रहा है अगर बेटी को जन्म नहीं दोगे तो बहू कहां से लाओगे तमाम तरह के विज्ञापन सरकार के द्वारा चलाए जाते हैं लेकिन इन विज्ञापनों का मतलब जागरूकता लाना नहीं है जिसका ताजा उदाहरण भैंसदेही तहसील के ग्राम धाबा में देखने को मिला।

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