Translate

ख़बरें विस्तार से

अन्य ख़बरें आगे पढ़ें
ग्रामीण मीडिया में दे विज्ञापन और ग्रामीण क्षेत्रों सहित जिले में करें अपने व्यापार का प्रचार बैतूल जिले के सबसे बड़े हिंदी न्यूज़ पोर्टल- ग्रामीण मीडिया सेंटर में आप सभी का स्वागत है।

सोमवार, 10 सितंबर 2018

गोटमार मेला लाइव वीडियो देखें, गोटमार मेला, अब तक 13 की हो चुकी है मौत, इस बार प्रशासन ने चार अस्थाई अस्पताल बनाए

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

गोटमार मेला आज, अब तक 13 की हो चुकी है मौत, इस बार प्रशासन ने चार अस्थाई अस्पताल बनाए





छिंदवाड़ा। पांढुर्ना में वर्षों से चली आ रही खतरनाक परंपरा 'गोटमार' का आयोजन आज किया जा रहा है। गोटमार खेल की परंपरा निभाने के लिए पोला पर्व के दूसरे दिन जाम नदी के तट पर दो गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाएंगे। खास बाद ये है कि इस परंपरा के तहत अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं कई लोगों की आंखें फूट गई हैं। लेकिन ये परंपरा जारी है। इस बार भी प्रशासन ने मेला परिसर में घायलों के लिए चार अस्थाई अस्पताल बनाएं हैं। 

वीडियो देखें (वीडियो खुलने में विलंब होसकता है जिसके लिए हमे खेद है)

ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर अशांक भगत ने बताया कि 20-20 सदस्यों की पांच टीमें बनाकर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध होती रहेंगी। चारों अस्थाई अस्पतालों में चार टीमें और एक रिजर्व टीम रहेगी। इसके अलावा 12 चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम सिविल अस्पताल में तैनात रहेगी। जरूरी उपचार के लिए 12 एम्बुलेंस लगाई गई है। इसमें आठ छोटी और चार बड़ी एम्बुलेंस घायलों के उपचार में मदद करेगी। 


ऐसे होते हैं शरुआत

परंपरा के अनुसार गोटमार खेल की अलसुबह सांवरगांव पक्ष के लोग कावले परिवार के घर से पलाश पेड़ का झण्डा लाकर जाम नदी के बीच लगा देते हैं। इसके बाद दिनभर पांढुर्ना पक्ष के लोग इसे तोडऩे का प्रयास करते हैं। सांवरगांव पक्ष के लोग इसे तोडऩे से रोकते हैं। हालांकि प्रशासन की समझाइश पर सूरज ढलने के बाद दोनों पक्ष झण्डा निकालकर चंडी माता के मंदिर में अर्पित करते हैं। इसके बाद माता चंडी की पूजा-अर्चना कर प्रसाद वितरित किया जाता है।

पुरानी परंपरा का हुआ निर्वहन

इस मेले के आयोजन के संबंध में कई प्रकार की किवंदतियां हैं। इन किवंदतियों में सबसे प्रचलित और आम किंवदंती यह है कि सावरगांव की एक आदिवासी कन्या का पांढुरना के किसी लड़के से प्रेम हो गया था। दोनों ने चोरी छिपे प्रेम विवाह कर लिया। पांढुरना का लड़का साथियों के साथ सावरगांव जाकर लड़की को भगाकर अपने साथ ले जा रहा था। उस समय जाम नदी पर पुल नहीं था। नदी में गर्दन भर पानी रहता था, जिसे तैरकर या किसी की पीठ पर बैठकर पार किया जा सकता था और जब लड़का लड़की को लेकर नदी से जा रहा था तब सावरगांव के लोगों को पता चला और उन्होंने लड़के व उसके साथियों पर पत्थरों से हमला शुरू किया। जानकारी मिलने पर पहुंचे पांढुरना पक्ष के लोगों ने भी जवाब में पथराव शुरू कर दी। पांढुरना पक्ष एवं सावरगांव पक्ष के बीच इस पत्थरों की बौछारों से इन दोनों प्रेमियों की मृत्यु जाम नदी के बीच ही हो गई। जिसके बाद से इस मेले का आयोजन होता है।

 www.graminmedia.com

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

खबरे एक नज़र में (पढ़ने के लिए महीने और तारीख पर क्लिक करें )

Add 1

सूचना

आपकी राय या सुझाव देने के लिए नीचे लाल बॉक्स पर क्लिक करें मिलावट रहित गाय के घी और ताजे दूध के लिए संपर्क करें 9926407240

हमारे बारे में आपकी राय यहाँ क्लिक करके दें

हमारे बारे में आपकी राय यहाँ क्लिक करके दें
राय जरूर दें