ग्रामीण मीडिया सेण्टर|मुलताई
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ग्राम खल्ला से मोबाईल पर परिवार जनो ने ग्रामीण मीडया को जानकारी में बताया की , मुलताई शासकीय चिकित्सालय में इलाज के अभाव में अनुसूचित जाति वर्ग की श्रीमती संगीता पति अजय झारखण्डे जाति मेहरा आयु 30 साल को परिवार के लोग प्रसव हेतु मुलताई अस्पताल में भर्ती किया. जहाँ उसने एक लाड़ली लक्ष्मी को जन्म दिया. महिला डाक्टर के अभाव में नर्सो ने प्रसव करवाया , इस दौरान महिला को रक्त स्त्राव अधिक होने से तत्काल उसे बैतूल जिला अस्पताल रैफर किया. रास्ते में उसकी हालत और अधिक खराब हो गई। बैतूल शासकीय अस्पताल में ईलाज के दौरान मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद बैतूल अस्पताल से अनुमति उपरान्त परिवारजन शव को 60 किलोमीटर की यात्रा करके मुलताई से 20 की दूरी पर स्थित ग्राम खल्ला लेकर आये। अंतिम संस्कार के पूर्व ग्राम में दुनावा थाने से सूचना प्राप्त हुई कि, तत्काल मृतिका को शव परीक्षण (पोस्टर्मटम) बैतूल लेकर जाओ। अन्यथा तुम पर पुलिस केस हो जाएगा. मृतिका का पति ग्राम बाड़ेगांव में लम्बे समय से राजमिस्त्री का काम करके शौचालय निर्माण और मजदूरी करके अपना जीवनयापन करते है। इस आदेश का सम्मान करते हुए. 10 हजार रुपए में दो जीप करके ग्राम खल्ला से बैतूल पहुंचे। शाम होने के कारण शव को रात भर शव कक्ष में रखा और परिवार के 20 लोग बिना भोजन पानी के खुले आसमान में अस्पताल परिसर की गन्दगी और मछरो से परेशान रात काटकर के दूसरे दिन शव को 160 की कष्टकारी यात्रा करके दूसरे दिन अंतिम संस्कार किया। अपने पीछे दो बच्चे छोड़ करके कई सवाल छोड़ करके चली गई।
उक्त घटना को अब एक पत्रकार की नजर और मानवता की दृष्टी से देखे ,
अंतर्राष्ट्रीय मिलेनियम डेवलपमेंट गोल टिकाऊ विकास लक्ष्यो भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है सुरक्षित मातृत्व की स्थिति हासिल करना और मातृत्व मृत्यु के न्यूनत्तम स्तर पर लाना। जिसके लिए जननी सुरक्षा कार्यक्रम के तहत हर गर्भवती महिला को बिना किसी शुल्क सामान्य या आपरेशन से प्रसव,दवा,जाँच,भोजन,रक्त,परिवहन,सुविधा, मुक्त रेफरल,प्रसव जटिलता की उचित व्यवस्था होती है। जिसके लिए अरबो रूपये बजट है। किसी भी हाल में मातृत्व मृत्यु न हो।
हम इस घटना के आधार पर बैतूल जिले की समीकाक्षा करते है तो मावनता शर्मसार हो जाएगी। शासन स्तर से मुलताई अस्पताल में भोपाल से डाक्टर मेघा वर्मा की नियुक्ति हुई है। जो सेवा पानी बैतूल में दे रही है। सप्ताह में दो दिन बुधवार और गुरूवार मुलताई पर बुधवार और गुरूवार भी नहीं आती है। इस प्रकार नर्सो से भरोसे है ये मुलताई का अस्पताल जिसका परिणाम भुगता मृतक सगीता ने मरने के बाद शासन चाहता तो ये महिला डाक्टर विवाद के कारण जो शव परीक्षण होना था। वो बैतूल से खल्ला आ करके कर सकती थी या मुलताई बैतूल तक जो परेशान किया इसकी उच्चस्तरी जाँच होनी चाहिए। इसका बैतूल का अटैचमेंट की भी जांच और तत्काल मुलताई प्रभार दे। इस प्रकार की कोई घटाना आगे न हो। परिवार को शासन ने मुआवजा देना चाहिए। साथ ही मुलताई से कितनी प्र्स्तुता को इलाज अभाव में बैतूल भेजा जाता है और मुलताई कम इलाज क्यों नहीं। शासन और प्रशासान ने गंभीरता से सुधार करना चाहिए।