ग्रामीण मीडिया सेण्टर
मुलताई को शासन ने पवित्र नगरी घोषित किया है. इस अनुसार 13 वार्डो में शराब पर पाबंधी है। लेकिन जमीनी हक्कीत कुछ और ही है। हर दिन नगर की किसी भी गली में एक दो शराबी मद होश हालत में बेहोश पड़े दिखाई देते है। तेज धुप में मद होश होते है। कारण है शराब में बहुत अधिक मात्रा में नशा और एसिड। अगर आर्थिक रूप से देखे तो प्रदेश को सबसे अधिक राजस्व ये ही देते है। पांच रुपए का सरकारी २५० ग्राम की शराब की बोतल ८० रुपए में खरीदते है। सरकार को सबसे अधिक राजस्व और ठेकेदार को कमाई ये ही देते है। इस मदहोश करने वाली शराब सरकारी नियंत्रण में होती है , तो फिर इसकी खराब क्वालिटी के लिए सरकार दोषी है। सरकार ने सबसे अधिक टैक्स देने वाले इन गरीब मेहनत कश लोगो के लिए शराब की बोतल के साथ सुरक्षा,एम्बुलेंस की भी इनको सुविधा निःशुल्क करना चाहिए या फिर गुणवत्ता हीन शराब निर्माता सरकार पर मिलावट का प्रकरण जैसे किसी मिलावटी व्यापारी पर होता है। अगर यही हालत रही तो थोड़े दिनों में रोज शराब का सेवन करने वाले मौत के मुँह में जायेगे।
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