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सोमवार, 14 मई 2018

डिजिटल इंडियास्टूडेंट्स की हाईटेक सोच

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|
लगन हो तो लक्ष्य हासिल करने के रास्ते में आने वाली मुश्किलें भी आसान हो जाती है। विषय कोई भी पढ़ाई कुछ भी की हो लेकिन मन में ठान लो तो कुछ भी करना आसान नहीं। 



बैतूल के बीए हिस्ट्री के स्टूडेंट मानव तिवारी और बीसीए के स्टूडेंट आशीष धोटे ने इन दिनों गूगल प्ले स्टोर पर अपनी अलग पहचान बनाई है। डिजिटल से प्रेरित मानव और आशीष अब एप और वेबसाइट डवलपर बन गए हैं। इंजीनियरिंग और वेब डिजाइनिंग की मंहगी पढ़ाई किए बिना ही 6 उपयोगी मोबाइल एप और वेबसाइट बना ली हैं। दोस्तों के पास अपना काम शुरू करने इतने रुपए भी नहीं थे कि नया कंप्यूटर ला सकें। जुगाड़ से असेंबल किए कंप्यूटर पर फरवरी से अब तक 6 एप डिजाइन किए गए हैं। तीन माह के कम समय में तीन सौ से ज्यादा यूजर इस एप को डाउनलोड कर चुके हैं। 
मानव और आशीष ने जुगाड़ से बनाए 6 मोबाइल एप 
अमेजन-फ्लिपकार्ट से किया टाईअप, यू ट्यूब से सीखकर बनाया कंप्यूटर 
यू ट्यूब से ट्रेनिंग कर जुगाड़ के कंप्यूटर पर बने एप 
मानव और आशीष ने एप बनाने का प्रशिक्षण यू ट्यूब पर लिया। दोनों के पास नया कंप्यूटर लेने रुपए नहीं थे। मानव ने बताया नया काम करने मां से रुपए मांगे तो केवल 5 हजार रुपए मिले। फिर आशीष के साथ मिलकर सेकंड हैंड सीपीयू लिया। एक दोस्त से कंप्यूटर का पुराना मॉनीटर लिया, एक अन्य दोस्त से की -बोर्ड लिया। दो सप्ताह में कंप्यूटर असेंबल करने के बाद फरवरी 2018 में एप डिजाइन करना शुरू किया। 
शॉपिंग एप से टाईअप 
मानव और आशीष ने अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी के साथ टाईअप भी किया है। वें विभिन्न कंपनियों से ऑफलाइन सामग्री खरीदकर इन्हें अमेजन और फ्लिपकार्ट कंपनी के माध्यम से विक्रय कर रहे है। 


 एमआई ब्राउज़र लाइट एप- केवल 5 एमबी के इस सर्च इंजन में होम पेज पर प्रमुख साइट की टेग होने से यह उपयोग में आसान है। 
 आरटीओ व्हीकल इन्फो एप- इस एप से गाड़ियों के नंबर डालकर सीधे पहचान की जा सकती है। 
 आरआरबी ग्रुप डी एग्जाम 2018- रेलवे परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग की तरह यह एप तैयार किया गया है। 
 ऑल इंडिया रिजल्ट एप- देश भर की सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के रिजल्ट एक जगह पर उपलब्ध हैं। 
 वाट्सएप एटीट्यूड स्टेटस एप- स्टेटस डालने के लिए लोकप्रिय और पसंद किए जाने वाले स्टेटस इस एप पर हैं। 
 लव कैलकुलेटर - मनोरंजन के लिए युवाओं को यह एप खासा पसंद आ रहा है। 

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ग्रामीणों ने निस्तार के पानी से तैयार कर ली बागवानी

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|
अच्छी पहल,  ग्राम बरई के ग्रामीणों ने घर से निकलने वाले गंदे पानी से उगाई सब्जियां 
ग्राम बरई के ग्रामीणों ने निस्तार के पानी से तैयार की बागवानी। ग्रामीणों ने घरों से निकलने वाले निस्तार के पानी का भी उपयोग करते हुए बागवानी तैयार कर ली। 250 घरों की बस्ती में 80 से अधिक घरों के पीछे सब्जियों और फलों की बागवानी तैयार है। जिनके घर के पीछे बागवानी के लिए जगह नहीं है उन्होंने निस्तार के पानी से भूमिगत जलस्तर बढ़ाने के लिए उपयोग किया है। 
निस्तार के पानी से बागवानी तैयार करने वाले किसन पठाडे, सुरेश बोबड़े, चंद्रशेखर बोबड़े, रमेश वरवड़े, नारायण सिंह रघुवंशी, दिलीप पाठेकर आदि ने बताया ग्राम विकास प्रस्फुटन समिति के नारायण पवार और उन्नत शील किसान राजेंद्र भार्गव ने एक साल पहले पानी का महत्व बताया। जिसके बाद ग्रामीणों ने निस्तार के पानी से बागवानी तैयार करना शुरू की। अधिकांश मकानों के पीछे बागवानी तैयार हो गई है। 
जल संकट से जूझने के बाद पता चला महत्व 
ग्राम बरई में एक साल पहले तक पानी की समस्या थी। आधा गांव ढलान में और आधा ऊंचाई पर बसा होने से नल जल योजना से पानी सभी के घरों तक नहीं पहुंच पाता था। ऐसे में ग्रामीणों को जलसंकट का सामना करना पड़ता था। जल समस्या के निदान के लिए विकेंद्रीय करण नियोजन योजना के तहत ग्राम पंचायत ने संपूर्ण अधिकार ग्राम की जल समिति को दिए। समिति ने गांव के ऊंचाई वाले स्थान पर टंकी बनाने का निर्णय लिया। जनभागीदारी से टंकी बनाने के लिए 50 प्रतिशत राशि और योजना मंडी से 50 प्रतिशत राशि से दो लाख लीटर क्षमता वाली टंकी बनाई। इसके बाद ग्रामीणों ने पानी का महत्व समझा और निस्तार के पानी का भी उपयोग करने लगे। 
साल भर मिलती है ताजी और हरी सब्जी 
ग्रामीण पंजू परिहार, शिवजी परिहार, सतीष भादे, लखन भादे, सोमजी खवसे, नारायण पवार, लक्ष्मण पवार, देवका देव्हारे आदि ने बताया बर्तन, कपड़े धोने, स्नान करने के बाद मकान के पीछे बहने वाले पानी को व्यवस्थित किया। इस पानी को घर पीछे खाली जगह में फैलाकर सब्जी, फल और फूल के पौधे लगाए। निस्तार के पानी से रोज इनकी सिंचाई होने लगी। जिससे सब्जी और फूल उगने लगे। अब घर के लिए सालभर ताजी सब्जी मिलने लगी है। जिससे सब्जी खरीदने का खर्च भी बच गया है। 
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