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शनिवार, 7 जुलाई 2018

मुलताई अनियंत्रित होकर स्कार्पियों पलटी, 2 गंभीर

ग्रामीण मीडिया संवाददाता मुलताई





 नगर से होकर गुजरने वाले फोरलेन मार्ग पर जुनापानी जोड़ के पास तिलक समारोह में जा रहे चालक समेत दो बुजुर्ग स्कार्पियों पलटने से घायल हो गए। मिली जानकारी अनुसार अजाबराव साबले 60 वर्ष निवासी बांडियाखापा, रामभाऊ कुन्बी 55 वर्ष शारदा नगर मुलताई व लोकेश राजाराम साबले 35 वर्ष निवासी कामथ स्कार्पियों वाहन क्रमांक एमपी 04 बीसी 2037 में सवार होकर बैतूल में तिलक समारोह में शामिल होने जा रहे थे। जुनापानी जोड़ के समिप अचानक वाहन अनियंत्रित होकर डिवाइडर से टकराते हुए 5 पलटी खाते हुए दूसरी सडक़ तक जा पहुंचा, जिससे लोकेश व रामभाऊ को गंभीर चोंट आई। जिन्हे एनएचएआई  की एम्बुलेंस के माध्यम से जिला चिकित्सालय ले जाया गया। वहीं अजाबराव साबले को मुलताई 108 एम्बुलेंस की मदद से नगर के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लाया गया। ईएमटी महेश झलिये ने बताया कि घटना स्थल पर दुर्घटना ग्रस्त स्कार्पियों बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई।


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डॉ. स्मृति सुसाइड केस, चैयरमेन और HOD के खिलाफ FIR दर्ज ...

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 

डॉ. स्मृति सुसाइड केस: इंडेक्स कॉलेज के चैयरमेन और HOD के खिलाफ FIR दर्ज ...

इन्दौर ।। 

शहर के नेमावर रोड क्षेत्र में स्थित इंडेक्स कॉलेज पर आज उस वक्त एक बदनुमा दाग लग गया जब कालेज  के चेयरमैन और एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई। बताया जा रहा है कॉलेज की पीजी की छात्रा डॉक्टर स्मृति लहारपुरे ने कॉलेज प्रबंधन द्वारा मनमानी फीस वसूलने की मांग और कॉलेज प्रशासन की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी का कदम उठाया था। 11 जून को स्मृति ने कॉलेज के होस्टल में ही एनेस्थीसिया का कॉकटेल तैयार कर खुद को ही इंजेक्ट कर खुदकुशी कर ली थी जबकि कॉलेज प्रबंधन ने मामले को प्रेम प्रसंग बताकर खुद का पल्ला झाड़ लिया था। जबकि स्मृति द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से पता चला कि उसकी आत्महत्या की वजह कॉलेज प्रबंधन की प्रताड़ना और मनमानी फीस की वसूली है।

बैतूल के आठनेर की स्मृति ने मामले में सुसाइड नोट की एक कॉपी अपने भाई के मेल पर भी डाल दी थी। इसके बाद परिजनों मामले को लेकर स्मृति की मौत के लिए इंडेक्स कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया और एनेस्थीसिया विभाग की प्रमुख डॉ. केके खान को जिम्मेदार ठहराया था। अब इस मामले में पुलिस ने दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है वही पुलिस द्वारा पूरे मामले की बारीकी से जांच की जा रही है।


।। यह लिखा था सुसाइड नोट में ।।

मुझे माफ कर देना मम्मी, स्वामी और सूर्या, मै डॉ स्मृति लहरपुरे पूरे होश हवास में लिख रही हूं न ही कभी मैने कोई नशे या दवाई का सेवन ही किया है। सबसे पहले मै अपनी माँ और भाईयों से माफी चाहती हूं कि मैं ऐसा कदम उठा रही हूं क्योंकि तुम तीनों ने हर विपरीत परिस्थितियों में मेरा साथ दिया, मै इन लोगों ने और नहीं लड़ सकती इसलिए मुझे माफ कर देना। 

मेरी मौत के लिए सीधे तौर पर इंडेक्स कॉलेज के चैयरमैन सुरेश भदौरिया और उनके कॉलेज का मैनेजमेंट है, इनमें मुख्यरूप से डॉ के के खान हैं क्योंकि इन दोनों के द्वारा मुझे लगातार प्रताडित किया जा रहा था। मैने जून 2017 में नीट परीक्षा के माध्यम से ज्वाइन किया था। काउंस्लिंग के दौरान मुझे जो फीस बताई गई थी उसके अनुसार टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार और होस्टल फीस 2 लाख थी। इसके बाद जब मैं कॉलेज में ज्वाइन करने आई तो इंडेक्स कॉलेज प्रबंधन ने मुझसे कॉशन मनी और एक्सट्रा करिकुलर एक्टीविटी के नाम पर फिर 2 लाख मांगे। 

मैं मध्यमवर्गीय परिवार से हूं इसलिए अतिरिक्त फीस नहीं चुका सकती थी लेकिन नीट परीक्षा के बाद बामुश्किल मिला पीजी करने का यह अवसर हाथ से न निकल जाए इसलिए मैने 2 लाख का फिर लोन लिया, इसके बाद जैसे ही मैं ज्वाइन करने पहुंची कॉलेज प्रबंधन ने फिर दो लाख मांग लिए इसके बाद रातभर के प्रयास के बाद मैने अपनी सीट खोने के डर से मैने यह व्यवस्था भी की लेकिन कॉलेज ने टयूशन फीस 8 लाख 55 हजार से 9 लाख 90 हजार कर दी और सभी छात्रों से यह फीस जमा करने को बोला जाहिर से अचानक एक लाख 35 हजार की फीसवृद्धि सहन करना हर किसी के लिए मुश्किल था इसलिए हम सभी लोग इसके खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट गए। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने मुझे व्यक्तिगत तौर पर प्रताड़ित करना शुरु कर दिया इसके अलावा फोन पर भी मुझे यह केस वापस लेने के लिए धमकाया जाने लगा।  

इसके बाद कोर्ट ने इंडेंक्स कॉलेज को निर्धारित फीस लेने का आदेश दिया लेकिन इसके बाद फिर अगले साल 2017 में फिर 9 लाख 90 हजार मांगने लगे जो मैने जमा नहीं कर कोर्ट के आदेशानुसार 8 लाख 55 हजार ही जमा किए, इस मामले में कोर्ट जाने पर कॉलेज प्रबंधन हमे लगातार प्रताडित करने लगा खासकर एचओडी डॉ खान, इसके बाद इसी मामले में केस वापस लेने की शर्त पर  एचओडी डॉ खान ने अमानवीय व्यवहार करते हुए सार्वजनिक तौर पर हमे 2 से 3 महिने तक ओटी और डिपार्टमेंट से बाहर निकाले रखा। इसके बाद हमारा स्टायफंड भी काट लिया गया और बिना कारण हमपर हजारों रुपए का फाइन लगाया जाने लगा। कॉलेज प्रबंधन हमे इस समय का स्टायफंड कभी नहीं देना यदि कॉलेज में उस दौरान मेडीकल काउंसिल का दौरा और इनकम टैक्स का छापा नहीं पड़ता। 

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