ग्रामीण मीडिया संवाददाता
देहगुड़ डेम के मुआवजे में भारी अंतर है। सहाब पुलिया बना दो। सड़क तो ग्रामीणों ने श्रमदान से बना दी।
जिले के नेताओ ने जो वादे किए थे , वो अपने वादे से मुकरे। किस पर करे किसान विश्वास। सुने किसानो और ग्रामीणों की दुःख भरी दासता है।
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