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रविवार, 4 नवंबर 2018

डेम में रास्ते डूब गए, डेम में किसान और ग्रामीण परेशान 2 किलोमीटर का सफर 25 हुआ

ग्रामीण मीडिया संवाददाता


देहगुड़ डेम के मुआवजे में भारी अंतर है। सहाब पुलिया बना दो।  सड़क तो ग्रामीणों ने श्रमदान से बना दी। 
 जिले के  नेताओ ने जो वादे किए थे , वो अपने वादे से मुकरे। किस पर करे किसान विश्वास। सुने किसानो और ग्रामीणों की दुःख भरी दासता है।
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ग्राम धारणी के ग्रामीणों से एक किलोमीटर की 7 लाख सड़क श्रमदान से बनाई



ग्राम धारणी के नागरिकों ने श्रमदान से एक माह में 7 से 8 लाख की राशि का श्रमदान और अर्थ दान करके सड़क निर्माण की। कई बार आवेदन निवेदन करके थक करके एक जुट हो करके स्वयं के खर्च पर बनाई सड़क।
मुलताई विधान सभा में एक नहीं सभी ग्रामो में जहॉ डेम बने है। जनप्रतिनिधिओ और अधिकारिओ की लापरवाही के कारण आवागमन के मार्ग डेमो के डूब क्षेत्र में डूब चुके है। आजू -बाजू के ग्रामीणो और किसानो को डेम निर्माण के बाद आवागमन में काफी दिक्क़ते होती है। पुर्नवास नियम में डेम के सर्वे के समय ये सारी बात कार्ययोजनाओं में शामिल होना चाहिए। अधिकारी और नेता इस और कोई ध्यान नहीं देते है। बात में बहुत बड़ी परेशानी होती है। आवागमन का मार्ग आम आदमी का संवैधानिक अधिकार है। जनहित में बंद होते है तो इसी में पुनर्वास नियम से बना भी आवश्यक है।