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शनिवार, 18 मई 2019

मां से कहा- 12वीं पास हो गया; एक दिन बाद देनवा में कूदकर दी जान, सुसाइड नोट में लिखा- मरना आसान नहीं, कम नंबर आने से आहत हूं...

ग्रामीण मीडिया संवाददाता । सारणी

परीक्षाओं में नंबरों की बढ़ती होड़  इस कदर हावी  हो है कि कम  नंबर लाने वाले विद्यार्थियों का  मनोबल टूट रहा  है। कमजोर  मनोबल वाले विद्यार्थी आत्महत्या के कदम उठा  रहे हैं। ऐसी ही एक घटना शुक्रवार  सुबह घोड़ाडोंगरी के पास देनवा  नदी के पुल पर हुई। यहां 12वीं में  एक विषय में पूरक आने पर छात्र  ने देनवा नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। सुबह लोगों ने पुल के  नीचे छात्र का शव देखकर पुलिस  को सूचना दी। सूचना मिलने पर  घोड़ाडोंगरी, सारनी एवं रानीपुर  पुलिस ने मौके पर पहुंचकर छात्र  की शिनाख्त की।  शोभापुर निवासी सचिन पिता  राजेंद्र पाटिल (18) ने इस साल 12वीं की परीक्षा दी थी। रिजल्ट बुधवार को आया था। तब सचिन  ने मां से कहा था कि वह पास हो  गया है। इसके बाद सचिन गुरुवार  सुबह 9 बजे से घर से लापता  था। परिजनों ने उससे ढूंढने की  कोशिश की, लेकिन वह नहीं  मिला।  परिजनों ने सोशल मीडिया पर  सचिन के लापता होने की पोस्ट की थी, लेकिन थाने में लापता की  शिकायत नहीं की थी। शुक्रवार  सुबह देनवा नदी के पुल पर उसका  शव मिला।

सुसाइड नोट में यह लिखा 
छात्र की जेब से अंग्रेजी में लिखा  सुसाइड नोट मिला। मरना इतना  आसान नहीं है, मुझे वार्षिक परीक्षा में कम नंबर मिलने की वजह से मैं आहत हूं। इस वजह से मैं इस  तरह का कदम उठा रहा हूं। मेरी मौत  में किसी का कोई हाथ नहीं, मरना  इतना आसान नहीं हैं और आप  मरने की कोशिश भी ना करना।  
गणित में आई थी पूरक
 सचिन पाटिल की जेब से एक  सुसाइड नोट मिला है। इसमें उसने 12वीं के एक विषय में पूरक आने की बात लिखी है। पुलिस नेशव  का घोड़ाडोंगरी में पीएम कराकर  परिजनों को सौंप दिया है।

■घोड़ाडोंगरी के पास देवना नदी   में पुल के नीचे एक युवक का   शव मिला है। मृतक के जेब में   एक सुसाइड नोट मिला है, छात्र ने  12वीं में एक विषय में सप्लीमेंट्री  आने के कारण आत्महत्या की है।   मर्ग कायम कर मामले की जांच   कर रहे है।  - हेमंत पांडे, थाना प्रभारी, रानीपुर

विद्यार्थियों से अपील

मामूली असफलता पर ना हो निराश,कम नंबर पाने वाले आज है सफलता के शिखर पर,छात्र की आत्महत्या के बाद आईएएस अधिकारी की अपील

बैतूल। जीवन मे सफलता का पैमाना परीक्षा में आए कम नंबरों से कभी नही किया जा सकता है,देखने मे आ रहा है कि किशोर उम्र के विद्यार्थी परीक्षा में कम नंबर या मामूली असफलता से निराश व हताश होकर आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। जिसके कारण परिजनों को गहरे सदमें से गुजरना होता हैं,वैसे अधिकांश तौर पर देखने मे आता है कि अपने अपने क्षेत्र में जो भी व्यक्ति सफलता के शिखर को छू रहा है उसके जीवन में पढ़ाई के दौरान कभी ना कभी परीक्षा में कम नंबर या अपेक्षित प्रतिशत नही बने,पढ़ाई में बेहतर परिणाम नही आने के बावजूद भी ऐसे व्यक्तियों ने जीवन को खत्म करने की बजाए कड़ी मेहनत का रास्ता अख्तियार किया जिसका सुखद परिणाम है कि सफलता उनके कदम चूमने को बेताब हैं उपरोक्त बातों को संदर्भ में रखते हुए जब हम कुछ शख्स पर गौर करते है तो हमारे सामने क्रिकेट के भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर का नाम प्रमुख रूप से आता है जिन्होंने परीक्षा परिणामों में वो सफलता का वो मुक़ाम नही पाया जो उनके सहपाठी आसानी से हासिल कर सके लेकिन अपनी खेल प्रतिभा के बदौलत पूरे विश्व में वो प्रतिष्ठा पाई जिसके आसपास पहुंचना बेहद कठिन माना जाता हैं। शुक्रवार के दिन जिले में घटित हुए एक हादसे ने सभी को गमगीन करने के साथ ही यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या वाकई सफलता की असली कुंजी परीक्षा में बेहतर परिणाम आना है..?नही बिल्कुल ऐसा नहीं है जबकि सच्चाई यह है कि कम नंबर या प्रतिशत होना सफलता के मार्ग में कभी रुकावट नही बन सकता, घोड़ाडोंगरी के एक छात्र ने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली कि उसके एक विषय में कम नंबर आए थे। घटना की खबर लगते ही पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के आईएएस अधिकारी अवनीश कुमार ने अपने विद्यार्थि जीवन में आए परीक्षा परिणामों को सार्वजनिक किया है जिसमें उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया कि परीक्षा परिणामों में उन्होंने कभी उत्कृष्ट अंक हासिल नहीं किए और ना ही खुद को कभी निराश किया बल्कि कम अंक आने के बाद लक्ष्य को केंद्रित कर अपना कार्य जारी रखा जिसका परिणाम है कि वे आज एक आईएएस के पद पर रहकर देश सेवा कर रहे हैं। श्री अविनाश का मानना है कि असफलता की से निराश होकर नही ग़लत क़दम ना उठाए। कालका न्यूज़ छात्रों के अभिभावकों से भी अपील करता है अपने बच्चों को ऐसी स्थिति से बचाए,परीक्षा परिणामों के बाद बच्चों के लगातार संपर्क में रहे। कंही ऐसा ना हो आपके भविष्य की ज़िंदगी काग़ज़ के टुकड़ों की मार्कशीट पर भारी पड़ जाए।

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