मुलताई, प्रवचन देते विशुद्ध सागर महाराज जो दिख रहा है उसे देखने के लिए नेत्र की ज्योति नष्ट मत करो, नेत्र बंद करके उसे देखों जो नहीं दिख रहा है। विशाल पेड़ों को सब कोई देखते हैं लेकिन उसकी जड़ों की गहराई को नहीं देख पाते हैं। हमे अपने अंदर की गहराई को देखने की जरूरत है। यह बात पंचकल्याणक प्रतिष्ठा गजरथ महा महोत्सव में रविवार को प्रवचन के दौरान आचार्य श्री 108 विशुद्ध सागर महाराज ने कहीं।
उन्होंने कहा शांति के लिए शस्त्र रखने और शास्त्र उठाने की जरूरत है। पिता की पहचान से पुत्र की पहचान हो यह बड़ी बात नहीं है। पुत्र की पहचान से पिता की पहचान हो यहीं बड़ी बात है। तुम्हारे नाम से देश की पहचान हो देश की शान है। जीवन जी कर नष्ट कर देना ऐसा पशु पक्षियों के साथ भी होता है। जीवन में ऐसा काम करना चाहिए जो मरने के बाद भी सबको याद रहे। उन्होंने कहा मनुष्य कैसा है यह उसके कपड़ों से नहीं पहचाना जा सकता है। सोने-चांदी के कलश में भी पानी भर सकते हैं। कलश कितना भी अनमोल हो लेकिन पानी में भेद नहीं होता है। विशुद्ध सागर महाराज के दर्शन और प्रवचन सुनने बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं। प्रवचन के पहले सुबह श्रीजी का अभिषेक, सकलीकरण, इंद्र प्रतिष्ठा, मंडल प्रतिष्ठा यागमंडल महा आराधना का अनुष्ठान हुआ।
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