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मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

चुनाव के पहले किसानों के मन की बात जागमतदाता अब तेरी बारी

ग्रामीण मीडिया संवाददाता

मुलताई विधानसभा के चुनाव के बाद अब, लोकसभा चुनाव कांग्रेस सरकार के 102 दिन। जाग मतदाता अब तेरी बारी आई। किसानों की मन की बात। देखे वीडियो,,,

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मुलताई नगर, नाबालिक छात्रा से दुष्कर्म करने का प्रयास

ग्रामीण मीडिया संवाददाता। मुलताई 

मुलताई| नगरीय क्षेत्र में रहने वाली नाबालिग छात्रा के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास करने वाले युवक पर पुलिस ने सोमवार को केस दर्ज किया है। 17 वर्षीय छात्रा बुआ के यहां रहकर पढ़ाई करती है। रविवार को छात्रा कोचिंग क्लास से घर अा रही थी। इस दौरान रेलवे लाइन के समीप स्थित ताप्ती कुंड के पास रामनगर निवासी नितिन मिला। नितिन ने छात्रा के साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया। छात्रा के चिल्लाने पर नितिन भाग गया। पुलिस ने युवक के खिलाफ दुष्कर्म का प्रयास करने सहित पास्को एक्ट की धारा के तहत केस दर्ज किया है। 


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बड़ी घटना युवती को बंधक बनाया किया दुष्कर्म

ग्रामीण मीडिया संवाददाता ।आमला


खारी गांव की एक आदिवासी युवती को चकोरा गांव में बंधक बनाकर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। परिवार के सदस्यों की मदद से आरोपी के चंगुल से छूटी युवती ने आमला थाने में दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज करार्इ है। युवती की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी युवक की तलाश शुरू कर दी है। 
खारी गांव की आदिवासी युवती मजदूरी करती है। उसने बताया कि वह दीपावली के पहले सोयाबीन कटार्इ करने जूनावानी गर्इ थी। वहां पर आठनेर के चकोरा गांव का सूरज मजदूरी करने आया था। सूरज से यहीं पर उसकी मुलाकात हुर्इ थी। 
युवती ने बताया 24 मार्च को रतेड़ा में बाजार करने गर्इ थी। वहां सूरज मिला और खुद के आदिवासी होने और शादी करने की बात कहकर बाइक पर बैठा लिया। युवती ने बताया कि सूरज उसे मामा के घर सावंगी ले गया। यहां पर रात रुके। अगले दिन अपने घर चकोरा ले गया। घर पर कोर्इ नहीं था। 25 मार्च काे रात में दुष्कर्म किया। इसके बाद 29 मार्च काे जब मैं शाैच के लिए गर्इ ताे पड़ाेस की महिला ने सूरज के आदिवासी की जगह मेहरा समाज का हाेना बताया। यह बात सूरज से पूछी ताे उसने मुक्के अाैर थप्पड़ से मारपीट कर कमरे में बंद कर दिया अाैर जबरदस्ती दुष्कर्म करता रहा। 31 मार्च काे करीब 1 बजे परिवार के सदस्य मुझे ढूंढते हुए चकाेरा गांव पहुंचे। उन्होंने सूरज के घर की बाहर से बंद कुंडी खाेलकर मुझे कमरे से निकाला। इसके बाद मैं थाने पहुंची। युवती की रिपोर्ट पर अाराेपी युवक के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कर लिया। अामला थाना के उपनिरीक्षक अपाला सिंह ने बताया कि केस दर्जकर अाराेपी की तलाश की जा रही है। वह अभी फरार है। 
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महिला ने 50 फिट ऊची पानी की टंकी से कूद करके जान दी

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 


भैंसदेही थाने के पारड़ीढ़ाना गांव में रविवार रात एक महिला ने पानी की टंकी से कूदकर आत्महत्या कर ली। पुलिस के अनुसार पूजा पति जगदीश डढौरे (26) ने पानी की टंकी से कूदकर आत्महत्या कर ली है। 

पूजा ने रविवार रात करीब 12.30 बजे अपनी सास से कहा की मेरी दोनों बेटियों काे संभालना अब मैं हमेश के लिए जा रही हूं। इतना कहकर वह घर से निकल गई। सास उसके पीछे घर से बाहर निकली, लेकिन जब तक वह दूर जा चुकी थी। इसके बाद पूजा ने गांव की 50 फीट ऊंची पानी की टंकी से कूदकर आत्महत्या कर ली। घटना के समय पति बैतूल सामान लेने गया हुआ था। मृतक ने सात साल पहले प्रेम विवाह किया था। दो बेटियां एक बेटी 6 साल एवं दूसरी बेटी 6 माह है। पुलिस ने शव का पीएम कराकर परिजनों को सौंप दिया है। मर्ग कायम कर मामले की जांच की जा रही है। महिला के पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। इस कारण आत्महत्या के कारणों का पता नहीं चल पाया है। 
कारण सामने नहीं आया है 
 महिला ने पानी की टंकी से कूदकर आत्महत्या की है। आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हो सकता है। मर्ग कायम कर मामले की जांच की जा रही है। जयंत मस्कोले, थाना प्रभारी, भैंसदेही 

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क्या आप ग्रामीण मीडिया के एक जिम्मेदार पाठक है ?

ग्रामीण मीडिया संवाददाता www.graminmedia.com


अप्रैल के महीना शुरू होते ही कई ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या बढ़ती जा रही है और मई आते तक शायद ये आपातकाल जैसी स्तिथि बना दे ये भी मुमकिन है।
दोस्तो क्या हमे इस समस्या से कुछ सबक नही लेना चाहिए?
यदि आप आपके ग्राम के समझदार एवं जिम्मेदार नागरिक है तो आपको आगे आना होगा और इस समस्या के समाधान के लिए अभी से कुछ तैयारियां चालू करने होगा।

यदि आपके ग्राम में या आसपास कही भी कोई तालाब , बांध, नदी , नहर, कुए आदि है तो हमे इस गर्मी के तीन महीनों में:
1. इस स्थानों में बारिश का पानी आने वाले रास्ते की साफ सफाई करने है, ताकि ज्यादा से ज्यादा पानी इन स्थानों तक आ सके वो भी बिना गंदगी के।
2. साथ ही इन स्थानों का गहरीकरण श्रमदान और आपसी सहयोग से करना ही होगा ताकि आने वाली बारिश का ज्यादा से ज्यादा पानी इक्कठा हो सके।

इस बारिश के शुरुवात में ही हर ग्राम वासी को एक पेड़ गोद लेना है, हर एक व्यक्ति को अपने नाम का एक पेड़ लगाना है और उसकी हमेशा देख रेख करना है।

यदि आप ग्रामीण मीडिया परिवार के एक जिम्मेदार और समझदार सदस्य है तो हमे साथ मिलकर एक नई पहल की शुरुवात करना है, वो भी पूरी इच्छा और श्रद्धा से ताकि आने वाले समय मे आपको पानी की कमी से कोई तकलीफ न हो। आप समाज के लिए एक मिसाल बन सकते है। तो आगे आइये और इस महान कार्य में अपना योगदान दीजिये।

यदि इस कार्य मे आप हमसे जुड़ना चाहते है और आप किसी भी प्रकार की मदद चाहते है या आपके पास कोई सुझाव है तो आप हमसे कभी भी संपर्क कर सकते है।

अक्षत भार्गव।
ग्रामीण मीडिया सेल,मुलताई।
Whatsapp नंबर 7875382170

डेम खाली और बिजली के बिल हाजिर परेशान किसान

ग्रामीण मीडिया संवाददाता  

जाने मुलताई विधानसभा के ग्राम एनस और सुखाखेड़ी के हाल कम बारिश होने से एनस और सुखाखेड़ी डेम में नाममात्र का पानी संग्रहित हो पाया था। डेम में संग्रहित पानी से सिंचाई पर प्रतिबंध लगाया था। जिससे किसान रबी फसल की बोवनी भी नहीं कर पाए। इसके बाद भी किसानों को बिजली कंपनी ने प्रति हार्सपावर मोटर पंप के हिसाब से बिजली बिल जारी कर दिया। इससे परेशान किसान सोमवार को भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में जल संसाधन विभाग के कार्यालय पहुंचे। कार्यालय में अधिकारी नहीं होने से किसान बाहर बैठकर इंतजार करते रहे। शाम 4 बजे तक अधिकारियों के नहीं पहुंचने पर किसान कार्यालय में आवेदन रखकर वापस लौट गए। किसान संघ के ओमकार साहू, संजू चढ़ोकार, ज्ञान सिंह सिसोदिया, दिनेश सोलंकी, नकुल सिंह चंदेल आदि ने बताया एनस और सुखाखेड़ी डेम से सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया गया। सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने के संबंध में जल संसाधन विभाग ने पहले ही किसानों को जानकारी दे दी थी। जिससे किसानों ने रबी फसल की बोवनी नहीं की। इसके बाद भी बिजली कंपनी ने पांच हार्सपावर मोटर पंप का 5 हजार रुपए का बिजली बिल किसानों को थमा दिए हैं। किसानों ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं कराने से संबंधित प्रमाण पत्र जारी करने और बिजली बिल माफ कराने की मांग की। 

सिंचाई विभाग के सामने बैठकर अधिकारियों का इंतजार करते किसान।
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जैविक खेती और भोजन अपनाओ मानव जीवन बचाओ - रश्मि भार्गव

ग्रामीण मीडिया संवाददाता
हमारा सपना 'स्वस्थ परिवार तो स्वस्थ समाज' रश्मि भार्गव मुलताई 


जहरीले कीटनाशक और रसायनिक खादों के अधिक उपयोग से मानव जीवन पर संकट आ चुका है। उदाहरण है, पंजाब की जहरीली और कीटनाशक खेती ने वहां की जमीन,पानी और पर्यावरण तो तबाह कर दिया है। बड़ी संख्या में कैंसर से लोग मर रहे है। परिणाम यह है कि, पंजाब से दिल्ली जाने वाली एक ट्रेन में प्रति दिन केंसर के ईलाज के लिये मरीज दिल्ली जाते है कि, ट्रेन का नाम ही केंसर वाली ट्रेन हो गया। देश के अन्य प्रदेशों के भी यही हाल हो रहे है ।
'कल शाम को अनिलजी खत्म हो गए',अरे कल सवेरे ही तो मिले थे,क्या हुआ था भाई, अरे पेट में दर्द था आराम करने गए थे और ....।
मेरे घुटनों में बहुत तकलीफ है नीचे बैठना नही हो रहा,मेरे तो सवेरे शाम सर में बहुत दर्द रहता है ,मै तो कही आती-जाती नही सीढिया नही होता चढ़ना,आज कल कही भी जाओ ऐसी ही और भी बहुत सारी तकलीफों में हमारे अपने लोग घिरे हुए है।
ऐसा नही है है कि इन्होंने अपनी ज़िंदगी सुस्ती से बिताई है ,ये वो है जो शुरू से ही रोज  सवेरे घूमने जाते है ,योगा करते है और घर का सारा काम करके भगवान का भजन भी करते ।
ये लोग 'सादा जीवन उच्च विचार '
के नियम को मानने वाले है ।फिर भी आज सिर्फ 40 से 50 के उम्र में इतनी सारी तकलीफे आखिर क्या कारण है।
बहुत सोचने और गंभीर चिंतन के बाद ये परिणाम सामने आया कि हम जो भी सब्जियाँ ,अनाज, या फल अपनी सेहत के लिए खाते है वही हमारे स्वास्थ्य के दुश्मन बन गए।क्योंकि हमारे कृषक भाइयो ने इनका भरपूर उत्पादन और ज्यादा लाभ के कारण अत्यधिक मात्रा में रासायनिक कीटनाशक एवं खाद का उपयोग किया ,जिसका परिणामस्वरूप आज हमारे अपने और हमारा पूरा समाज बीमार है।
10 से 15 साल तक के 60 % बच्चो को मधुमेह हो जाता है और उन्हें दिन में तीन बार इन्सुलिन के इंजेक्शन लगाने पड़ते है,क्या गलती है इन बच्चो की।

इन विष से भरे उत्पादों का सेवन करके हमारा परिवार और हमारा समाज आज सूली पर लटका हुआ प्रतीत होता है ,कभी भी हमारे अपने हमे छोड़कर कभी भी अचानक जा सकते है ,ऐसा सोच कर ही हमारी रूह कांप उठती है।हे भगवान ऐसा नही होना चाहिए।
हम क्या करें अपने परिवार और समाज के लिए ,उनकी खुशी के लिए?
इसका सिर्फ एक और केवल एक ही विकल्प है।हमें जैविक खेती की ओर अग्रसर होना होगा और जो कृषक भाई ऐसा  कर रहे है ,उनके उत्पादन को खरीद कर उनका मनोबल बढ़ा सकते है और उनके इस नए कदम में विश्वास  और भरोसा दिलाकर हम उनके साथ साथ और भी कृषक भाइयो को जैविक खेती करने को प्रोत्साहित कर सकते है।
दूसरो को सलाह देने से पहले हमें खुद यह कदम उठाना पड़ेगा, इसकी शुरूआत हम अपनी छत पर गमलों में लौकी,तुरई,टमाटर, मिर्ची, समार, पालक,इत्यादि का उत्पादन करके कर सकते है ।और अधिक उत्पादन होने पर अपने साथियों के साथ शेयर करना चाहिए और उन्हें भी इस प्रकार की बागवानी करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।जहां तक हो सके हमे जैविक उत्पाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए ,हमारी मांग पर कृषक भी भी विचार करेंगे जैविक खेती करने का ,आखिर वो भी हमारी तरह अपने परिवार को स्वस्थ देखना चाहते है।
और एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे जैविक उत्पाद का इस्तेमाल  आम जनता की पहुँच मे हो तभी हमारा सपना 'स्वस्थ परिवार तो स्वस्थ समाज' साकार होगा।
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