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सोमवार, 21 सितंबर 2020

फसल बीमा पर विवाद:बारव्ही, गुढ़ी, सेलगांव के किसानाें काे नहीं मिली बीमा की राशि

ग्रामीण मीडिया संवाददाता । Betul 21/09/2020


2019 में हुए फसल नुकसान की फसल बीमा राशि के नाम पर किसानों के खातों में नाममात्र की राशि आ रही है। कई गांव तो ऐसे हैं, जहां मुआवजा राशि ही नहीं आई है। बारव्ही, सेलगांव और गुढ़ी में तो किसान फसल नुकसान की राशि मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं। किसी किसान काे 97 रुपए ताे किसी काे 112 रुपए की राशि मिली है। कृषि विभाग के अधिकारी बीमा कंपनी इफ्को-टोकियो से पटवारी हल्के के हिसाब से पूरे जिले की सूची बुलवाकर जांच करने की बात कह रहे हैं, लेकिन किसानों की परेशानी से नाराज किसान कांग्रेस फसल बीमा कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए लामबंद हो गई है। किसान कांग्रेस का आरोप है कि जो राशि किसानों को दी गई है, उससे बच्चों का खिलौना भी नहीं आ सकता। इसीलिए आंदोलन करके हम यह राशि बीमा कंपनी के अधिकारियों पर न्यौछावर करेंंगे, जिससे यह राशि उनके बच्चों के काम आ सकेेेेे।

एग्रीकल्चर बीमा कंपनी की जगह इफ्को टोकियो कंपनी ने किया बीमा
2018 में फसल बीमा एग्रीकल्चर बीमा कंपनी ने किया था। लेकिन 2019 में खरीफ फसल का बीमा इफ्को टोकियो कंपनी को दिया। इसी फसल बीमा की राशि अब किसानों को दी जा रही है। हालांकि 2020 में एक बार फिर बीमा एग्रीकल्चर बीमा कंपनी की ओर से ही किया है।
अब तक नहीं मिली लिस्ट
2019 में किए गए फसल बीमा की राशि जरूर किसानों को मिल रही है। लेकिन यह किस पैमाने पर दी जा रही है, इसकी लिस्ट इफ्को टोकियो कंपनी ने कृषि विभाग को नहीं दी है। इसीलिए इस बार गड़बड़ी ज्यादा ही आ रही है। कंपनी ने अब तक कृषि विभाग को पटवारी हल्के के हिसाब से फसल बीमा राशि की लिस्ट भी नहीं दी है। इस कारण कृषि विभाग भी फसल बीमा वितरण की विसंगति को पकड़ नहीं पा रहा है।

1 रुपए नहीं मिला इन गांवों में, जहां राशि मिली वह भी कम

बारव्ही, गुड़ी और सेलगांव के किसान तो फसल बीमा राशि मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं। बारव्ही के किसान रामप्रसाद सोनी की एक हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई, लेकिन मुआवजे की एक रुपए की राशि अब तक नहीं आई है। इसी तरह बारव्ही के ही भूरा कोंन्ड्या की फसल भी बर्बाद हो गई, लेकिन फसल बीमा की राशि नहीं मिली है। बारव्ही के ही दशरथ की फसल भी चौपट हो गई, लेकिन फसल बीमा की राशि अब तक नहीं आई है। इधर जिन किसानों को राशि मिली, वह भी बेहद कम है। इसी तरह आरुल की झुनियाबाई को 97 रुपए, बोथिया के चिरोंजी को 112 रुपए ही मिले हैं।

पांच साल की औसत पैदावार देखते हैं
^पिछले साल तक फसल बीमा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी करती थी। इस बार फसल बीमा इफ्को-टोकियो कंपनी ने किया था। कुछ जगह किसानों को मुआवजा कम मिला है। दरअसल पांच साल की औसत पैदावार के हिसाब से बीमा राशि दी जाती है। इस कारण ऐसा हो सकता है। इस सूची के मिलने के बाद ही आगे जांच-पड़ताल और सुधार किया जा सकेगा।
- केपी भगत, उपसंचालक कृषि
विराेध प्रदर्शन करेंगे
बारव्ही, सेलगांव और गुढ़ी में किसानों को फसल बीमा की राशि नहीं दी गई है। अन्य जगह जहां राशि दी गई है, वह बेहद कम है। किसानों को इतनी कम राशि दी गई है कि बच्चे के खिलौना भी नही आ सकता। इसीलिए किसानों को मिली नाममात्र की यह राशि बीमा कंपनी के अधिकारियों पर ही न्यौछावर करेंगे।
रमेश गायकवाड़, जिलाध्यक्ष किसान कांग्रेस

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