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शुक्रवार, 11 सितंबर 2020
*मुलताई एक पुलिस कर्मी,एक वकील एक सरपंच समेत मुलताई क्षेत्र में 9 नए कोरोना के मरीज*
पर्यावरण काे हाे सकता है खतरा:एक साल से अधिक पुरानी चॉकलेट और लॉलीपॉप के डिब्बे चिखलार नदी में फेंके
पर्यावरण और वन्य प्राणियों को खतरे में डालते हुए बैतूल-परासिया स्टेट हाईवे- 43 पर चिखलार की नदी में चॉकलेट और लॉलीपॉप के सैकड़ों डिब्बे फेंक दिए हैं। इसमें अधिकांश डिब्बे महेंद्र फूड प्रोडेक्ट के हैं। जिन पर मधुर रोज लालीपाप लिखा है। अधिकांश बाॅक्स पर उत्पादन दिनांक 24 जुलाई 2019 लिखी हुई है। वहीं कुछ अन्य कंपनी कंपनी के भी हैं।
अब चॉकलेट और लॉलीपॉप निकालकर जंगल के बंदर खा रहे हैं, इससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। इस पुलिया के नीचे सैकड़ों बंदर रोजाना डिब्बे और रैपर फाड़कर इन्हें खा रहे हैं। इन्हें हटवाया जाना जरूरी है। बंदर समेत अन्य वन्य प्राणियों की सेहत को इससे खतरा पैदा हो रहा है। इन डिब्बों के प्लास्टिक रैपर से भी चिखलार की यह नदी प्रदूषित हो रही है।
एक्सपायरी डेट की खाद्य सामग्री होने का अंदेशा : यह चॉकलेट और लॉलीपॉप एक्सपायरी डेट के होने का अंदेशा है। अच्छी खाद्य सामग्री कोई भी व्यापारी जंगल में नहीं फेंकेगा, सामग्री डेट निकल जाने के कारण फेंकी गई होगी।
पुलिया पर से फेंके जाने का अंदेशा
स्टेट हाईवे 43 पर बैतूल से सारनी और छिंदवाड़ा के बीच वाहनों की जमकर आवाजाही है। इस रूट पर जंगल की पुलियों से बहुत से व्यवसायिक वाहन अपना एक्सपायरी डेट का सामान फेंक जाते हैं। अक्सर खाद्य सामग्रियां इनमें होती हैं जिनसे वातावरण तो प्रदूषित होता ही है, वन्य प्राणियों को भी खतरा पैदा हो जाता है।
टीम भेजकर मामले की जांच करवा रहे हैं
इस मामले में टीम भेजकर जांच करवाई जाएगी। बंदरों को खाद्य सामग्री देना अपराध है, किसने डिब्बे फेंके हैं इसकी जांच करवाई जाएगी। दोषियों की पड़ताल करके सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पुनीत गोयल, डीएफओ, उत्तर वनमंडल
कोरोनाकाल गाइडलाइन नहीं : प्रतिमा की ऊंचाई को लेकर असमंजस, टेंट-डीजे वाले नहीं ले पा रहे आर्डर
मुख्यमंत्री ने प्रदेश में दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना और पंडाल लगाने की अनुमति दे दी है लेकिन सीएम ने स्थानीय स्तरों पर निर्णय लेने की बात भी कही थी, इस कारण अब तक मूर्ति की ऊंचाई भी तय नहीं हो पाई है। वहीं अन्य गाइडलाइन साफ नहीं है कि प्रतिमा की ऊंचाई कितनी रखनी है, किन नियमों के तहत स्थापना की जानी है। टेंट लगने के लिए किन नियमों का पालन करना होगा। इन सभी काे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस कारण मूर्तिकार प्रतिमाएं नहीं बना पा रहे हैं, टेंट व्यवसायी समेत अन्य लोग आर्डर नहीं ले पा रहे हैं। गाइडलाइन जारी करने को लेकर जगह-जगह से मांगें उठने लगी हैं।
17 अक्टूबर से हैं नवरात्र : इस बार 17 अक्टूबर से नवरात्र पर्व आ रहा है, लेकिन इसके एक माह पहले से ही देवी प्रतिमा बनाने तथा पंडाल सजाने का काम शुरू हो जाता है। इस बार मूर्तिकारों सहित साउंड व्यवसायी, डीजे व्यवसायी, सार्वजनिक उत्सव समितियां भी पशोपेश में हैं, इस कारण सभी लोग जल्द निर्देश जारी होने की राह तक रहे हैं।
सूने पड़े मूर्तिकारों के पंडाल, इक्का-दुक्का मूर्ति ही बनाई, सभी 7 फीट से छोटी
जिन मूर्तिकारों के पंडालों में पैर रखने की जगह नहीं रहती थी वे सूने पड़े हैं। जो मूर्ति बना रहे हैं, उन्होंने भी इक्का-दुक्का मूर्ति ही बनाई हैं। अधिकांश मूर्तिकारों के पंडाल सूने पड़े हैं।
टिकारी निवासी विशाल प्रजापति ने बताया कि देवी प्रतिमा की ऊंचाई कितनी होगी इसे लेकर स्थिति क्लियर नहीं है। वैसे हम 7 फीट से कम ऊंची मूर्ति ही बना रहे हैं। केवल चार प्रतिमाएं ही हमने बनाई हैं। बहुत कम आर्डर आए हैं। बहुत से भक्त प्रतिमा की ऊंचाई तय होने के बाद ऑर्डर देने की बात कह रहे हैं।
पंडालाें में केवल हाथी बेचते मिले मूर्तिकार, कई अधूरी प्रतिमाएं भी रखी मिलीं
मूर्तिकारों के पंडालों में हाथी पूजन के लिए हाथी ही बनाए हैं। गुरुवार काे वह इन्हें बेचते हुए मिले। इस कारण पंडालों में छोटे हाथी ही दिखाई दिए। बड़ी प्रतिमाएं या तो बनाई नहीं जा रही हैं या फिर अधूरी हैं। जल्द कोई निर्णय होगा तो छोटी प्रतिमा की जगह बड़ी प्रतिमा बनवाकर निर्माण पूरा करेंगे ऐसा मूर्तिकार कह रहे हैं। टिकारी के दुर्गा प्रतिमा पंडालों में गुरुवार शाम इसी तरह की अधूरी प्रतिमाएं रखी मिलीं। मूर्तिकार इन्हें पूरा नहीं कर रहे हैं।
सीएम ने प्रदेश में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना एवं पंडालों की अनुमति दी है : व्यापारी
गुरुवार को दुर्गा मंडल समितियों, टेंट व्यवसायी, डीजे और साउंड व्यवसायी, बैंड व्यवसायियों ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के महामंत्री विकास प्रधान के नेतृत्व में जिला प्रशासन और भाजपा के जिलाध्यक्ष बाबला शुक्ला को ज्ञापन दिया। विकास प्रधान और कलश दीक्षित ने बताया दुर्गा महोत्सव सनातन समाज का सबसे बड़ा त्योहार है एवं सभी सनातन धर्मी इसे पूर्ण आस्था एवं उल्लास के साथ मनाते आए हैं। दुर्गा उत्सव को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में दुर्गा प्रतिमा की स्थापना एवं पंडालों की अनुमति दी है। लेकिन स्थानीय स्तर से गाइड लाइन जारी नहीं होने से मूर्तिकार, टेंट व्यवसायी सहित इससे जुड़े व्यवसायी ऑर्डर नहीं ले पा रहे हैं। लॉकडाउन के कारण वैसे ही इनकी आर्थिक स्थिति खराब है। उन्होंने जल्द ही निर्देश जारी करने की मांग की है।
कितनी ऊंची प्रतिमाएं बनाई जा सकती हैं। इस पर जल्द ही तय करके निर्णय करके आदेश जारी किए जाएंगे। वहीं टेंट, साउंड और डीजीे सहित अन्य चीजों को लेकर भी निर्णय लिया जाएगा।
- राकेश सिंह, कलेक्टर, बैतूल
1800 फीट ऊंचे गांव से बीमार प्रसूता काे झाेली में लाए, एंबुलेंस न मिलने से माैत; गर्भवती महिलाएं नीचे नहीं उतर पातीं, इसलिए गांव में ही होते हैं प्रसव
बैतूल के घोड़ाडोंगरी ब्लॉक का भंडारपानी गांव 1800 फीट ऊपर पहाड़ी पर बसा है। यहां जाने के लिए रास्ता नहीं है। भंडारपानी की जग्गोबाई पति इंदर (28) की डिलीवरी तीन दिन पहले गांव में हुई थी। जहां उसने बेटी को जन्म दिया। गांव में कोई सुविधा नहीं है।
यहां के अधिकांश बच्चों की डिलीवरी गांव में ही होती है क्योंकि गर्भवती ऐसी हालत में नीचे नहीं आ पाती। जग्गो बाई की डिलीवरी होने के बाद 9 सितंबर को दर्द हाे रहा था। इस पर गांव के लाेगाें ने लकड़ी पर कपड़े की झोली बनाकर उसे कंधों पर 1800 फीट नीचे इमलीखेड़ा (सड़क तक) ले आए। दावा किया गया है बुधवार दोपहर 12.46 बजे 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया, भोपाल से सूचना मिली कि घोड़ाडोंगरी की एंबुलेंस ढाई घंटे बाद मिल पाएगी।
इसके बाद गांव के सरपंच साबू लाल, सचिव मालेकार सरकार ने प्राइवेट वाहन की व्यवस्था की और घोड़ाडोंगरी अस्पताल के लिए महिला व परिजनों को रवाना किया, लेकिन 10 किमी दूर रास्ते में प्रसूता महिला की मौत हो गई। इस परिजन महिला को लेकर वापस आ गए और कपड़े की झोली बनाकर महिला के शव को गांव ले गए जहां गुरुवार सुबह अंतिम संस्कार किया।
मौत का जिम्मेदार कौन, तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा
श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा उन्होंने 108 पर एंबुलेंस के लिए फोन किया था, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। पीड़िता एंबुलेंस का इंतजार करती रही। अगर एंबुलेंस समय पर आ जाती तो शायद महिला की मौत नहीं हो सकती थीं। इस मौत का कौन जिम्मेदार है। अब तीन दिन की बच्ची को कौन संभालेगा। सरकार को पीड़ित परिवार को राहत राशि देना चाहिए। ताकि परिवार चल सकें।
भंडारपानी से उतरकर नीचे इमलीखेड़ा आता है, वहां नहीं मिल सकी मदद
घोड़ाडोंगरी ब्लॉक की नूतनडंगा पंचायत के भंडारपानी गांव की हजारों फीट ऊंची पहाड़ी से उतरने पर इमलीखेड़ा आता है। यहां से घोड़ाडोंगरी सामुदायिक अस्पताल की दूरी महज 25 किलोमीटर और शाहपुर 30 किमी और बैतूल की 50 किलोमीटर है। अगर प्रयास किए जाते तो 20 से 25 मिनट में ही एंबुलेंस मौके पर पहुंचकर महिला को घोड़ाडोंगरी या शाहपुर अस्पताल पहुंचा सकती थी, इससे महिला की जान बच जाती।
108 काेविड में लगी होगी
भंडारपानी मे महिला के माैत की जानकारी मेरी जानकारी में नहीं है। जानकारी लेता हूं। 108 काेविड में लगी होगी इसीलिए नहीं पहुंची होगी। - डॉ. प्रदीप धाकड़, सीएचएमओ
इसे चेक कराता हूं
जिस नंबर से कॉलिंग हुई होगी, उसे ट्रेस कराया जाएगा। एंबुलेंस नहीं मिल पाने के क्या कारण रहे हैं। इसे चेक कराता हूं। कोई कारण जरूर होगा। लापरवाही नहीं की जा सकती।
- एके राजपूत, मैनेजर, 108 एंबुलेंस
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