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सोमवार, 21 सितंबर 2020
कोरोना काल:बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसलिए शिक्षकों ने स्कूलाें काे दिए एलईडी टीवी, प्रोजेक्टर व रेडियो सेट
आहुति:कोरोना से मुक्ति के लिए 290 घरों में एक साथ डालीं आहुतियां
कोरोना काल:आज से आंशिक खुलेंगे सभी स्कूल, शिक्षकाें की उपस्थिति रहेगी अनिवार्य
कोरोना काल में 21 सितंबर से 9वीं और 12वीं कक्षा तक स्कूल खोलने के आदेश जारी हुए हैं। लेकिन स्कूल आंशिक ही खुलेंगे। नियमित क्लासेस नहीं लगाई जाएंगी। लेकिन शिक्षकों को नियमित स्कूल में रहना होगा। यदि इन कक्षाओं के बच्चों को किसी विषय में मार्गदर्शन लेने के लिए स्कूल आना पड़ेगा, तो वह पालक की अनुमति से स्कूल आ सकेगा। ऐसे दाे से चार बच्चों का ग्रुप बनाकर संवाद करना पड़ेगा।
प्राइवेट और सरकारी स्कूलों के केवल 9वीं से 12वीं तक के स्कूल खोलने की अनुमति दी गई है। सोमवार से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल खुलेंगे, लेकिन गाइड लाइन का पूरी तरह पालन करना होगा। समस्या समाधान के लिए स्कूल अाए बच्चाें काे ग्रुप में पर्याप्त अंतराल से बैठाकर समस्या का समाधान करना होगा। हालांकि अधिकांश पालक बच्चों को स्कूल भेजने को तैयार नहीं हैं।
स्कूल में बच्चों की होगी थर्मल स्क्रीनिंग : कोविड संक्रमण को रोकने के लिए सामान्य और विशेष ऐहतियात उपायों का सख्ती से पालन करना होगा। शिक्षक एवं विद्यार्थियाें काे 6 फीट की शारीरिक दूरी बनाकर रखनी होगी। विद्यालय की सभी सतहों एवं उपकरणों का कक्षा प्रारंभ होने एवं समाप्ति के बाद एक प्रतिशत हाइपोक्लोराइड के उपयोग से डिसइन्फेक्शन (कीटाणु शोधन) करना अनिवार्य होगा। पानी व हाथ धोने के स्थानों व शौचालयों की गहरी सफाई की जाएगी। शौचालय में साबुन व सैनिटाइजर रखना जरूरी है। स्कूल के प्रवेश स्थान पर हाथ की स्वच्छता के लिए सैनिटाइजर, डिस्पेंसर व थर्मल स्कैनिंग की व्यवस्था होगी। स्कूल में केवल कोरोना निगेटिव व्यक्तियों को ही प्रवेश की अनुमति होगी। दूसरे लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा।
कंटेनमेंट जोन में स्कूल नहीं खुलेंगे : शासन से कंटेनमेंट जोन में विद्यालय खोलने की अनुमति नहीं है। कंटेनमेंट जोन में निवासरत विद्यार्थी, शिक्षक तथा कर्मचारियों को स्कूल में आने की अनुमति नहीं होगी।
स्कूल आंशिक ही खोले जाएंगे
जो बच्चे अपनी समस्या का समाधान करना चाहते हैं, वे पालकों की अनुमति लेकर स्कूल आ सकेंगे। उन्हें दो या चार की संख्या में ग्रुप बनाकर शिक्षकों को समस्या का समाधान करना होगा। सभी प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में गाइड लाइन के अनुसार शाला संचालित करने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
- एलएल सुनारिया, डीईओ बैतूल
फसल बीमा पर विवाद:बारव्ही, गुढ़ी, सेलगांव के किसानाें काे नहीं मिली बीमा की राशि
एग्रीकल्चर बीमा कंपनी की जगह इफ्को टोकियो कंपनी ने किया बीमा
2018 में फसल बीमा एग्रीकल्चर बीमा कंपनी ने किया था। लेकिन 2019 में खरीफ फसल का बीमा इफ्को टोकियो कंपनी को दिया। इसी फसल बीमा की राशि अब किसानों को दी जा रही है। हालांकि 2020 में एक बार फिर बीमा एग्रीकल्चर बीमा कंपनी की ओर से ही किया है।
अब तक नहीं मिली लिस्ट
2019 में किए गए फसल बीमा की राशि जरूर किसानों को मिल रही है। लेकिन यह किस पैमाने पर दी जा रही है, इसकी लिस्ट इफ्को टोकियो कंपनी ने कृषि विभाग को नहीं दी है। इसीलिए इस बार गड़बड़ी ज्यादा ही आ रही है। कंपनी ने अब तक कृषि विभाग को पटवारी हल्के के हिसाब से फसल बीमा राशि की लिस्ट भी नहीं दी है। इस कारण कृषि विभाग भी फसल बीमा वितरण की विसंगति को पकड़ नहीं पा रहा है।
1 रुपए नहीं मिला इन गांवों में, जहां राशि मिली वह भी कम
बारव्ही, गुड़ी और सेलगांव के किसान तो फसल बीमा राशि मिलने का इंतजार ही कर रहे हैं। बारव्ही के किसान रामप्रसाद सोनी की एक हेक्टेयर फसल बर्बाद हो गई, लेकिन मुआवजे की एक रुपए की राशि अब तक नहीं आई है। इसी तरह बारव्ही के ही भूरा कोंन्ड्या की फसल भी बर्बाद हो गई, लेकिन फसल बीमा की राशि नहीं मिली है। बारव्ही के ही दशरथ की फसल भी चौपट हो गई, लेकिन फसल बीमा की राशि अब तक नहीं आई है। इधर जिन किसानों को राशि मिली, वह भी बेहद कम है। इसी तरह आरुल की झुनियाबाई को 97 रुपए, बोथिया के चिरोंजी को 112 रुपए ही मिले हैं।
पांच साल की औसत पैदावार देखते हैं
^पिछले साल तक फसल बीमा एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी करती थी। इस बार फसल बीमा इफ्को-टोकियो कंपनी ने किया था। कुछ जगह किसानों को मुआवजा कम मिला है। दरअसल पांच साल की औसत पैदावार के हिसाब से बीमा राशि दी जाती है। इस कारण ऐसा हो सकता है। इस सूची के मिलने के बाद ही आगे जांच-पड़ताल और सुधार किया जा सकेगा।
- केपी भगत, उपसंचालक कृषि
विराेध प्रदर्शन करेंगे
बारव्ही, सेलगांव और गुढ़ी में किसानों को फसल बीमा की राशि नहीं दी गई है। अन्य जगह जहां राशि दी गई है, वह बेहद कम है। किसानों को इतनी कम राशि दी गई है कि बच्चे के खिलौना भी नही आ सकता। इसीलिए किसानों को मिली नाममात्र की यह राशि बीमा कंपनी के अधिकारियों पर ही न्यौछावर करेंगे।
रमेश गायकवाड़, जिलाध्यक्ष किसान कांग्रेस
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