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बुधवार, 7 फ़रवरी 2018

शादी के पहले से थी प्रेग्नेंट, अदालत ने किया विवाह शून्य घोषित

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| मुलताई 

पति से छल कर विवाह करना एक महिला को यहां मंहगा पड़ गया। अदालत ने न केवल उसकी शादी को शून्य घोषित कर दिया है बल्कि उसकी भरण पोषण की मांग को भी खारिज कर दिया है। मामला आमला थाना इलाके के गांव का है।यहां एक ग्रामीण युवक ने गत अप्रैल 2016 में शादी की थी। शादी के चार माह बाद जब वह गर्भवती बीबी का डॉक्टरी परीक्षण कराने ले गया तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। जांच में पता चला कि उसकी बीवी को 32 सप्ताह 4 दिन का यानी करीब 8 माह का गर्भ है जबकि उसकी शादी को अभी चार माह ही गुजरे थे। इसे पत्नी द्वारा उसके साथ छल मानते हुए व्यक्ति ने हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 12 के तहत पत्नी के खिलाफ याचिका पेश कर दी। मुलताई के अपर जिला न्यायाधीश कृष्णदास महार की अदालत में पति द्वारा अपने विवाह को शून्य घोषित करने की याचिका पेश की गई थी। पति ने अदालत को बताया कि उसके साथ छल कपट कर शादी के पूर्व की जानकारी छिपाई गयी थी। जबकि वधु पक्ष ने इस मामले में भरण पोषण दिलाने की मांग की थी।लेकिन अदालत ने इस मांग को खारिज कर व्यक्ति का विवाह शून्य घोषित कर दिया। इस मामले में पति की ओर से पैरवी अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय ने की। दिया है। मामला आमला थाना इलाके के गांव का है।यहां एक ग्रामीण युवक ने गत अप्रैल 2016 में शादी की थी। आवेदक ने अदालत को बताया कि शादी के चार माह बाद जब वह गर्भवती बीबी का डॉक्टरी परीक्षण कराने ले गया तो उसके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। जांच में पता चला कि उसकी बीवी को 32 सप्ताह 4 दिन का यानी करीब 8 माह का गर्भ है जबकि उसकी शादी को अभी चार माह ही गुजरे थे। इसे पत्नी द्वारा उसके साथ छल मानते हुए व्यक्ति ने हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा 12 के तहत पत्नी के खिलाफ याचिका पेश कर दी। मुलताई के अपर जिला न्यायाधीश कृष्णदास महार की अदालत में पति द्वारा अपने विवाह को शून्य घोषित करने की याचिका पेश की गई थी। पति ने अदालत को बताया कि उसके साथ छल कपट कर शादी के पूर्व की जानकारी छिपाई गयी थी। जबकि वधु पक्ष ने इस मामले में भरण पोषण दिलाने की मांग की थी।लेकिन अदालत ने इस मांग को खारिज कर व्यक्ति का विवाह शून्य घोषित कर दिया। इस मामले में पति की ओर से पैरवी अधिवक्ता राजेन्द्र उपाध्याय ने की।
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