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बुधवार, 27 मार्च 2019

माँ ताप्ती सहित मुलताई की पहचान खतरे में, 0प्रशासन पर अतिक्रमणकारियों का दबाव

ग्रामीण मीडिया संवाददाता|मुलताई (यश भार्गव)





"माँ ताप्ती की पुकार नाले को मुक्ति दो अबकी बार"

माँ ताप्ती, मुलताई की पहचान और मुलताई के अस्तित्व का कारण है। ऐसे में यदि यह अस्तित्व ही खतरे में है तो फिर प्रशासन क्यों मौन है? किसका दबाव है प्रशासन को?

मुलताई में माँ ताप्ती के सरोवर को जलापूर्ति करने वाला मार्ग, जिसे हम मुलताई वासी नाले के नाम से जानते हैं।अतिक्रमण के कारण उस नाले का अस्तित्व ही खत्म हो गया और ऐसे में माँ ताप्ती को जलापूर्ति किस स्थान से होगी ये एक बड़ा प्रश्न है।

इस नाले को प्रारंभ में बेच दिया गया, इसके ऊपर लोगो ने अतिक्रमण कर लिया और प्रशासन अब भी चुप है। इस वर्ष भी वर्षा के समय तक यदि अतिक्रमण नही हटाया गया तो फिर इस नाले से जलापूर्ति ना के बराबर होगी। माँ ताप्ती की इस समस्या के लिए ग्रामीण मीडिया निरन्तर समाचार प्रकाशित करता है ताकि सोया प्रशासन जाग जाए परन्तु प्रशासन सब जानकर भी कोई कार्यवाही नही करता।

ऐसे में माँ ताप्ती को लेकर प्रशासन कि बेरुखी साफ दिखाता है डाल में कुछ काला नही इस मामले में  पूरी दाल ही काली है।
मुलताई के नेताओं को ग्रामीण मीडिया की ऒर से  मैं यश समझाइश देना चाहता हूँ कि, माँ ताप्ती की महाआरती में जाकर जनता को अपनी भक्ति दिखाना एक हद तक सही है परंतु पावर में होने के बावजूद कुछ न कर पाना आपकी असली भक्ति को जनता के सामने दिखाता है।

मुद्दा गंभीर है बीते दिनों राम मंदिर भूमि की जमीन बेच दी गई, आज माँ ताप्ती के नाले पर अतिक्रमण और यदि आज अतिक्रमण कारियों को नही रोका तो वो दिन दूर नही जब वे माँ ताप्ती के सरोवर पर भी कब्जा कर लें।

विस्तृत जानकारी
ताप्ती नाले पर बेजा अतिक्रमण के चलते नाला  अब विलुप्त होने की कगार पर है। मामले कि छानबीन के लिए टीम का गठन किया था, जिसे दो आरआई सहित दो पटवारी और सीएमओ को शामिल किया था, लेकिन टीम बनाने के एक महीने के बाद भी अभी तक नाले की नपाई नहीं हो पाई है। कुछ समय पहले तक पटवारियों को चांदा भी नही मिल पाया था जिससे अब नाले की नपाई की संभावना लगातार कम होते जा रही है। बताया जा रहा है कि, राजस्व विभाग के अधिकारियों पर नगर के कुछ रसूखदारों का भारी दबाव है, जिसके चलते विभाग द्वारा नाले की नपाई नहीं करवाई जा रही है। इस पूरे मामले को लेकर अधिकारी भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। एसडीएम  राजेश शाह ने नाले की नपाई के लिए एक टीम  का भी गठन किया था, लेकिन टीम बनाने के  एक महीने बाद भी अभी तक ताप्ती के नाले से  अतिक्रमण नहीं हट पाया है। राजस्व विभाग पर  दबाव के चलते विभाग नाले पर हुआ  अतिक्रमण नहीं हटा पा रहा है, जिससे नाले  और ताप्ती सरोवर के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह  खड़ा हो गया है। रेलवे स्टेशन से ताप्ती सरोवर की ओर आ रहे नाले की खरीदी-बिक्री और अतिक्रमण होने के बाद अब नाला लुप्त होता जा रहा है। लगभग दो महीने पहले राजेंद्र भार्गव द्वारा इस मामले में शिकायत की थी और नाले का अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। शिकायत के बाद जब राजस्व विभाग की टीम नाले की नपाई के लिए गई तो पहले उन्हें चांदा नहीं मिल पाया, उसके बाद एसडीएम मौके पर पहुंचे और नपाई का प्रयास किया, लेकिन फिर भी नपाई नहीं हो पाई। 
ग्रामीण मीडिया के पास नाले के जमीन को बेचने के सम्पूर्ण दस्तावेज है। देखने का विषय यह है कि मुलताई के अग्रणी नेता, प्रशासन कब तक चुप रहेगा।

नक्शा



                    www.graminmedia.com

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