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मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

जैविक खेती और भोजन अपनाओ मानव जीवन बचाओ - रश्मि भार्गव

ग्रामीण मीडिया संवाददाता
हमारा सपना 'स्वस्थ परिवार तो स्वस्थ समाज' रश्मि भार्गव मुलताई 


जहरीले कीटनाशक और रसायनिक खादों के अधिक उपयोग से मानव जीवन पर संकट आ चुका है। उदाहरण है, पंजाब की जहरीली और कीटनाशक खेती ने वहां की जमीन,पानी और पर्यावरण तो तबाह कर दिया है। बड़ी संख्या में कैंसर से लोग मर रहे है। परिणाम यह है कि, पंजाब से दिल्ली जाने वाली एक ट्रेन में प्रति दिन केंसर के ईलाज के लिये मरीज दिल्ली जाते है कि, ट्रेन का नाम ही केंसर वाली ट्रेन हो गया। देश के अन्य प्रदेशों के भी यही हाल हो रहे है ।
'कल शाम को अनिलजी खत्म हो गए',अरे कल सवेरे ही तो मिले थे,क्या हुआ था भाई, अरे पेट में दर्द था आराम करने गए थे और ....।
मेरे घुटनों में बहुत तकलीफ है नीचे बैठना नही हो रहा,मेरे तो सवेरे शाम सर में बहुत दर्द रहता है ,मै तो कही आती-जाती नही सीढिया नही होता चढ़ना,आज कल कही भी जाओ ऐसी ही और भी बहुत सारी तकलीफों में हमारे अपने लोग घिरे हुए है।
ऐसा नही है है कि इन्होंने अपनी ज़िंदगी सुस्ती से बिताई है ,ये वो है जो शुरू से ही रोज  सवेरे घूमने जाते है ,योगा करते है और घर का सारा काम करके भगवान का भजन भी करते ।
ये लोग 'सादा जीवन उच्च विचार '
के नियम को मानने वाले है ।फिर भी आज सिर्फ 40 से 50 के उम्र में इतनी सारी तकलीफे आखिर क्या कारण है।
बहुत सोचने और गंभीर चिंतन के बाद ये परिणाम सामने आया कि हम जो भी सब्जियाँ ,अनाज, या फल अपनी सेहत के लिए खाते है वही हमारे स्वास्थ्य के दुश्मन बन गए।क्योंकि हमारे कृषक भाइयो ने इनका भरपूर उत्पादन और ज्यादा लाभ के कारण अत्यधिक मात्रा में रासायनिक कीटनाशक एवं खाद का उपयोग किया ,जिसका परिणामस्वरूप आज हमारे अपने और हमारा पूरा समाज बीमार है।
10 से 15 साल तक के 60 % बच्चो को मधुमेह हो जाता है और उन्हें दिन में तीन बार इन्सुलिन के इंजेक्शन लगाने पड़ते है,क्या गलती है इन बच्चो की।

इन विष से भरे उत्पादों का सेवन करके हमारा परिवार और हमारा समाज आज सूली पर लटका हुआ प्रतीत होता है ,कभी भी हमारे अपने हमे छोड़कर कभी भी अचानक जा सकते है ,ऐसा सोच कर ही हमारी रूह कांप उठती है।हे भगवान ऐसा नही होना चाहिए।
हम क्या करें अपने परिवार और समाज के लिए ,उनकी खुशी के लिए?
इसका सिर्फ एक और केवल एक ही विकल्प है।हमें जैविक खेती की ओर अग्रसर होना होगा और जो कृषक भाई ऐसा  कर रहे है ,उनके उत्पादन को खरीद कर उनका मनोबल बढ़ा सकते है और उनके इस नए कदम में विश्वास  और भरोसा दिलाकर हम उनके साथ साथ और भी कृषक भाइयो को जैविक खेती करने को प्रोत्साहित कर सकते है।
दूसरो को सलाह देने से पहले हमें खुद यह कदम उठाना पड़ेगा, इसकी शुरूआत हम अपनी छत पर गमलों में लौकी,तुरई,टमाटर, मिर्ची, समार, पालक,इत्यादि का उत्पादन करके कर सकते है ।और अधिक उत्पादन होने पर अपने साथियों के साथ शेयर करना चाहिए और उन्हें भी इस प्रकार की बागवानी करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।जहां तक हो सके हमे जैविक उत्पाद का ही इस्तेमाल करना चाहिए ,हमारी मांग पर कृषक भी भी विचार करेंगे जैविक खेती करने का ,आखिर वो भी हमारी तरह अपने परिवार को स्वस्थ देखना चाहते है।
और एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि हमारे जैविक उत्पाद का इस्तेमाल  आम जनता की पहुँच मे हो तभी हमारा सपना 'स्वस्थ परिवार तो स्वस्थ समाज' साकार होगा।
ww.graminmedia.com

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