ग्रामीण मीडिया संवाददाता ।भोपाल-बैतूल
लगातार प्रायमरी और माध्यमिक स्तर के सरकारी स्कूलों में छात्रों की कमी को देखते हुए राज्य शासन बड़ा निर्णय लेने जा रहा है। शासन का यह मानना है कि छात्रों की कमी होने और उन शालाओं में शिक्षक सहित अन्य स्टाफ को दिए जा रहे वेतन और अन्य खर्चों का वास्तविक उपयोग ना होने के चलते ऐसे स्कूलों को बंद किया जाए और उन स्कूलों के बचे छात्रों और शिक्षकों को समीपस्थ सरकारी शालाओं में मर्ज किया जाए। भाजपा सरकार ने प्रदेश के 12876 सरकारी स्कूलों को बंद करने की तैयारी कर ली है। राज्य शिक्षा केंद्र ने इसके लिए आदेश भी जारी कर दिए हैं। आदेश में जिला शिक्षा अधिकारियों से उन स्कूलों की जानकारी मांगी गई है, जहां छात्रों की संख्या 0 से 20 है। जानकारी मिलने के बाद इन स्कूलों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
स्कूल शिक्षा विभाग के नियमानुसार मिडिल स्कूल संचालित करने के लिए 20 से ज्यादा छात्र होना जरूरी है। वहीं, प्राइमरी स्कूल 40 छात्र-छात्राएं होने पर ही संचालित हो सकते हैं। लेकिन प्रदेश के 12876 सरकारी स्कूलों में ये नियम लागू नहीं हो पा रहे हैं। हजारों स्कूलों में छात्र हैं तो शिक्षक नहीं हैं, वहीं जहां शिक्षक हैं, वहां छात्र नहीं हैं। इसी अनुपात को सुधारने के लिए बंद होने वाले स्कूल के छात्रों और शिक्षकों को नजदीकी दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया जाएगा। राज्य शिक्षा केंद्र के आयुक्त लोकेश जाटव का कहना है कि फिलहाल इसकी समीक्षा की जा रही है। जिलों को भी निर्देश जारी किए गए हैं। इस संबंध में जब जिला शिक्षा केन्द्र बैतूल के जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) सुबोध शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि शासन स्तर पर ऐसे स्कूलों का सत्यापन कर जानकारी पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश दिए गए है। इन शालाओं को बंद करने जैसे कोई भी निर्देश अभी प्राप्त नहीं हुए है, सिर्फ शासन द्वारा 0 से 10 और 11 से 20 विद्यार्थियों की संख्या वाले स्कूलों के सत्यापन की रिपोर्ट ही मांगी गई हैं, जो शासन को भेज दी गई है। अब आगे जो भी निर्णय शासन को लेना होगा, उस अनुसार बैतूल जिले में भी आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
इनका कहना
शासन स्तर पर जिन शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या कम है, ऐसे स्कूलों के सत्यापन करने के निर्देश मिले थे। सत्यापन के बाद रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। आगे जो भी निर्देश प्राप्त होंगे, उसके अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
सुबोध शर्मा, डीपीसी जिला शिक्षा केन्द्र, बैतूल
बैतूल जिले में भी है कई ऐसे स्कूल
बैतूल जिले में गी 0 से 10 विद्यार्थियों की संख्या वाले लगभग 68 स्कूल संचालित किए जा रहे है, तो वहीं 11 से 20 के बीच विद्यार्थियों की संख्या वाले लगभग 247 स्कूल वर्तमान में सम्मिलित हो रहे हैं। इस प्रकार जिले में कुल 315 स्कूल ऐसे चिन्हित किए गए है, जिनमें विद्यार्थियों की संख्या काफी कम है और यह स्कूल बंद होने के दायरे में आ सकते है। यदि भविष्य में शासन इन स्कूलों को बंद करने का निर्णय लेता है, तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों और शिक्षकों को अन्य भाषाओं में मर्ज किया जाएगा। गौरतलब है कि इन स्कूलों में प्राथमिक एवं माध्यमिक दोनों शालाएं शामिल है। गौरतलब है कि राजनैतिक कारणों सहित अन्य शासकीय नियमों के चलते हर गांव में राजीव गांधी शिक्षा मिशन और सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाएं खोली गई थी, लेकिन धीरे-धीरे इन जिलों के कई गांव की शालाओं में विद्यार्थियों की संख्या निरंतर घटती गई, जिससे इन भाषाओं को चालू रखने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए सरकार यह निर्णय लेने जा रही है। इस निर्णय सुशासन का जहां खर्व बचेंगा, वहीं इन बंद किए जा रहे शाला भवनों का ग्राम पंचायत, सामुदायिक भवन या अन्य उपयोग किया जा सकेगा।
प्रदेश में 20 छात्र संख्या वाले स्कूल
भिंड- 358, देवास- 300, बड़वानी- 326, राजगढ़ 429, विदिशा- 368, खरगोन- 365, नरसिंहपुर 341, छिंदवाड़ा- 518, सिवनी-550, मंडला- 513, बालाघाट- 360, रीवा- 493, सतना में 606 स्कूल।
शून्य छात्र संख्या वाले जिले
भिंड-16, श्योपुर-10, देवास-18, शिवपुरी-16, उज्जैन-19, इंदौर-10, धार-21,खरगोन-27, सागर 48, दमोह-27, पन्ना-27 सहित अन्य जिलों में भी शून्य छात्र संख्या वाले स्कूल बंद होंगे।
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