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ख़बरें विस्तार से
शनिवार, 19 सितंबर 2020
*बैतूल जिला/ दर्दनाक हादसा 2 की मौत एक गंभीर घायल, कार बाइक की भिड़ंत*
*पीएम किसान मानधन योजना:660 रुपय जमा करने पर 60 की उम्र में किसानों को सालाना पेंशन 36 हजार*
अगर 18 साल का किसान 660 रुपए सालाना प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में जमा करता है। ताे इस योजना में किसानों को 60 साल की उम्र के बाद 36 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। पीएम किसान मानधन योजना में किसान जितनी रकम का योगदान करेगा केंद्र भी उतनी ही रकम देगा। ये रकम किसान की उम्र के हिसाब से 55 रुपए से लगाकर 200 रुपए माह तक होगी। 2 हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसान इस स्कीम से जुड़ सकते हैं। अगर आप इस योजना की पात्रता रखते हैं तो किसी भी कॉमन सर्विस सेंटर पर इसका रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
पीएम किसान मानधन पेंशन योजना के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया बेहद आसान है। जो भी योग्य किसान इस योजना में शामिल होना चाहते हैं वे आधार कार्ड और बैंक पासबुक लेकर अपने नजदीकी सीएससी पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। सीएससी का संचालन करने वाले वीएलई किसानों की सभी जानकारी लेकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करेंगे। प्रमाणीकरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद पंजीकरण कराने वाले किसानों को सूचना मिल जाएगी और उनका पीएमकेएमवाई का पेंशन कार्ड यूनिक पेंशन अकाउंट नंबर के साथ जेनरेट हो जाएगा।
660 रुपए सालाना जमा करने वाले किसानों को 60 साल की आयु पूरी करने होने पर 36 हजार रुपए की पेंशन मिलेगी। किसान की मृत्यु होने की स्थिति में उसकी पत्नी को 18 हजार रुपए की सालाना पेंशन मिलेगी।
*मृत्यु भोज करवाने के बजाय उपलब्ध कराई हाल की सुविधा*
बैतूल। श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उपस्थित पदाधिकारी एवं नागपुरे परिवार के सदस्य।
बैतूल (नवदुनिया प्रतिनिधि)। विश्वकर्मा (बढ़ई) समाज में भी मृत्यु भोज बंद करने की पहल शुरू हो गई है। समाज के नागपुरे परिवार ने इसकी शुरूआत करते हुए मृत्यु भोज करवाने के बजाय विश्वकर्मा मंदिर बैतूल गंज में एक हाल समाज समिति को सौंपा जो कि समाज के छात्र-छात्राओं और बाहर से आने वाले लोगों के ठहरने के काम आ सकेगा। समिति संरक्षक बलवीर मालवी ने बताया कि खंजनपुर निवासी काशीबाई नागपुरे ने अपने पति स्वर्गीय मनोहरलाल नागपुरे (मूलत: मिलानपुर निवासी) की स्मृति में शुक्रवार को विश्वकर्मा मंदिर में एक हाल समिति को सौंपा। नागपुरे परिवार की इस पहल की समिति के डॉ. कामताप्रसाद मालवी, बलवीर मालवी, शशिकांत मालवी, देवेंद्र बबलू मालवी, हर्ष मालवी, गुड्डू मालवी सहित अन्य सभी पदाधिकारियों ने मुक्त कंठ से प्रशंसा की।
*पाँच जिलों की 44 नलजल योजनाओं के लिए करीब 36 करोड़ की स्वीकृति जारी*
बैतूल जिले की माथनी एवं पिपरिया नल जल योजनाओं के लिए एक करोड़ 6 लाख 5 हजार रूपए राशि की मंजूरी
बैतूल, 18 सितंबर 2020
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने भोपाल, सीहोर, राजगढ़, बैतूल और हरदा जिलों के विभिन्न ग्रामों में नलजल प्रदाय योजनाओं की प्रशासकीय स्वीकृति जारी की है। इन पाँच जिलों में करवाये जाने वाले 44 कार्यों के लिए 35 करोड़ 63 लाख 15 हजार रूपये स्वीकृत किए गये हैं। विभाग के मैदानी कार्यालयों ने इन नलजल योजनाओं के कार्यों की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है।
ग्रामीण क्षेत्र में नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए भोपाल जिले के फंदा विकासखण्ड अन्तर्गत बंगरसिया, बेरखेड़ा सलाम, बिलखिरिया कलां, टीलाखेड़ी, कोडिय़ा एवं चंदेरी की 6 जल संरचनाओं के लिए 4 करोड़ 60 लाख 67 हजार रूपये, सीहोर जिले के इछावर विकासखण्ड अन्तर्गत आमला रामजीपुरा, बरखेड़ा कुरमी, कांकरखेड़ा, सीहोर विकासखण्ड अंतर्गत अहमदपुर, रायपुरा तथा बरखेड़ी, आष्टा विकासखंड अन्तर्गत निपानिया कला, सिद्धिकगंज, भंवरा, सिंगारचौरी, भीलखेड़ी सडक़, कुरावर, बागेर तथा बमूलिया रायमल की 12 जलसंरचनाओं के लिए 10 करोड़ 68 लाख 62 हजार रूपये स्वीकृत किए गये हैं।
राजगढ़, बैतूल एवं हरदा जिले की 24 नलजल योजनाओं के लिए 20 करोड़ 33 लाख 41 हजार की राशि स्वीकृत की गई है। राजगढ़ जिले की 12 जल संरचनाएं अमलार, कुदाली, सीकातुर्कीपुरा, जामोन्यागोपचौहान, मानपुरागुजराती, आगर, भंवास, कुडीखेड़ा, लखनवास, मलावर, सुन्दरपुरा तथा तेरना 59 के लिए 11 करोड़ 62 लाख 31 हजार, बैतूल जिले की माथनी एवं पिपरिया जल संरचनाओं के लिए एक करोड़ 6 लाख 5 हजार रूपये तथा हरदा जिले की जूनापानी भवरदी, दीपगांवकलां, खमलाय, मांदला, पाहनपाट, पहटकला, सारसूद, बारंगा, खूदिया तथा रामपुरा जलसंरचनाओं के लिए 7 करोड़ 65 लाख 5 हजार रूपये की स्वीकृति दी गई है।
प्रधानमंत्री के 70 वें जन्मदिन पर विजय भवन में 70 चित्रो की प्रदर्षनी लगाई जिले भर में भाजपा ने सेवा कार्य कर मनाया प्रधानमंत्री का जन्मदिन
बैतूल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 70 वाॅ जन्मदिन भाजपा ने आज गुरूवार को पूरे जिले में हर्षोल्लास एवं सेवाभावी कार्यक्रम कर मनाया। जिले के सभी मंडलो में सेवा कार्य किए गए। इसके अलावा पार्टी द्वारा 14 सिंतबर से 20 सितंबर तक सेवा सप्ताह मनाया जा रहा है। पार्टी के केन्द्रीय एवं प्रादेषिक नेतृत्व के निर्देष पर संगठन के निर्देष पर सभी मंडलो, मोर्चा, विभाग, प्रकोष्ठ, प्रकल्प द्वारा भी सेवा कार्य किए जा रहे है।
70 वें जन्मदिन पर 70 पेंटिग बनाई - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 70 वें जन्मदिन पर भाजपा जिला कार्यालय विजय भवन में छात्र-छात्राओ द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वकांक्षी योजनाओ पर चित्र प्रर्दषनी लगाई गई जिसमें 70 चित्रो केा रखा गया। चित्र प्रदर्षनी का विधायक डा.योगेष पंडाग्रे, राष्ट्रीयमंत्री एवं पूर्व सांसद ज्योति धुर्वे ,जिलाध्यक्ष आदित्य बबला शुक्ला ,पूर्व जिलाध्यक्ष वसंत बाबा माकोडे ने फीता काटकर शुभारंभ किया। इस अवसर पर डा.योगेष पंडाग्रे ने बच्चो द्वारा उकेरे गए चित्रो की भूरी भूरी प्रषंसा की और शुभकामनाएं दी। जिलाध्यक्ष आदित्य बबला शुक्ला ने कहा कि चित्र प्रदर्षनी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजनाएं उज्जवला, आवास, जनधन खाते, स्वच्छता, कौषल विकास इत्यादि पर आधारित है। उन्होने प्रदर्षनी के संयोजक श्रेणिक जैन और उनकी टीम का इस हेतू आभार माना। प्रदर्षनी के संयोजक प्रख्यात चित्रकार श्रेणिक जैन ने बताया कि यह चित्र प्रदर्षनी में तीन आयु वर्ग के प्रतिभागियो ने भाग लिया जिसमे पहली कक्षा से सातवीं ,दूसरी कक्षा 8वीं से कक्षा 12 वीं एवं तीसरी उससे उपर आयु वर्ग के छात्र छात्राएं शामिल हुए। प्रदर्षनी में शामिल प्रतिभागियो को 20 सिंतबर को पुरूस्कृत किया जाएगा।प्रतियोगिता के निर्णायको में हरिहर डोमने, महेन्द्र वर्मा, सुधीर मालवीय प्रमुख है। चित्र प्रदर्षनी लगाने में श्रेणिक जैन और उनकी टीम के सदस्यो में उमा सोनी,वेदांत अग्रवाल, परिधि पडलक, मैथ्यु पाल,अंकित चिल्हाटे का सहयोग सराहनीय रहा। चित्र प्रदर्षनी के उदघाटन अवसर पर रष्मि साहू, ममता मालवी, साक्षी सतीजा,सुनीता देषमुख, हेमलता मालवी, शैलेन्द्र आर्य, अबिजर हुसैन, संजू सोलंकी, कैलाष धोटे, गीतेष बारस्कर, दिलीप जावंजाल, आषीष साहू, प्रितेष इंगले इत्यादि सहित पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे।
*प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना- जिले के 64893 किसानों को मिली 81 करोड़ 71 लाख रूपए की बीमा दावा राशि*
बैतूल, 19 सितंबर 2020
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुक्रवार को उज्जैन जिले से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ 2019 फसल बीमा राशि का सिंगल क्लिक के माध्यम से वितरण किया गया। जिला मुख्यालय पर किसानों द्वारा इस कार्यक्रम का लाइव टेलीकास्ट देखा गया। उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग कार्यालय के सभागृह में आयोजित लाइव टेलीकास्ट कार्यक्रम का विधायक आमला डॉ. योगेश पण्डाग्रे, प्रधान जिला पंचायत श्री सूरजलाल जावलकर, कलेक्टर श्री राकेश सिंह, सीईओ जिला पंचायत श्री एमएल त्यागी, कृषि अधिकारियों ने भी अवलोकन किया।
उप संचालक कृषि श्री केपी भगत से प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्यक्रम में मुख्यमंत्री द्वारा सिंगल क्लिक के माध्यम से प्रदेश के 22 लाख किसानों को लगभग 4688 करोड़ रूपए की बीमा दावा राशि हस्तांतरित की गई। इसी परिप्रेक्ष्य में बैतूल जिले के 64893 किसानों की 81 करोड़ 71 लाख 93 हजार 860 रूपए बीमा दावा राशि मिली है, जिसमें विकासखण्ड बैतूल के 13772 कृषकों को 172607744 रूपए, शाहपुर के 3706 कृषकों को 56312040 रूपए, चिचोली के 6973 कृषकों को 115241911 रूपए, घोड़ाडोंगरी के 2838 कृषकों को 17198249 रूपए, मुलताई के 14483 कृषकों को 202680956 रूपए, आमला के 8187 कृषकों को 58378098 रूपए, प्रभातपट्टन के 4827 कृषकों को 57540402 रूपए, भैंसदेही के 5294 कृषकों को 92311903 रूपए, आठनेर के 2642 कृषकों को 27860564 रूपए एवं विकासखण्ड भीमपुर के 2171 कृषकों की 17061993 रूपए बीमा दावा राशि शामिल है।
खुशियों की दास्तां-
दातोरा के श्री इतिश धोटे को मिली एक लाख 75 हजार 936 रूपए बीमा दावा राशि
संकट की घड़ी में किसानों के साथ है सरकार कहा श्री धोटे ने
बैतूल, 18 सितंबर 2020
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शुक्रवार को उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ 2019 की फसल बीमा दावा राशि का प्रदेश के 22 लाख किसानों को लगभग 4688 करोड़ रूपए की बीमा दावा राशि सिंगल क्लिक के माध्यम से हस्तांतरित की गई। इसी क्रम में जिले की मुलताई तहसील के ग्राम दातोरा निवासी कृषक श्री इतिश धोटे के बैंक खाते में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत खरीफ वर्ष 2019 की सोयाबीन फसल क्षति की एक लाख 75 हजार 936 रूपए की बीमा दावा राशि अंतरित की गई।
श्री धोटे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत मिली इस राशि से खुश हैं एवं कहते हैं कि संकट की घड़ी में सरकार किसानों के साथ है। वे प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनांतर्गत मिली बीमा दावा राशि के लिए सरकार का आभार व्यक्त करते हैं।
*बैतूल जिला, 3 घटनाएं 2 मौत वहीं एक का इलाज जारी*
रोजगार के नए रास्ते:औषधीय वनस्पति का भंडार, प्रोससिंग यहीं हो तो खुल सकते हैं रोजगार के नए रास्ते
शास्त्र कहते हैं- नर्मदा दर्शन मात्र से पाप दूर करती है लेकिन सतपुड़ा पर्वत शृंखला से बह रही नर्मदा अपने सहयोगी जंगलों के जरिए मौजूदा दौर में बेरोजगारी दूर करने और इकोनॉमी को फिर मजबूत करने में कारगर साबित हो सकती है। इसके लिए आदिवासियों के पारंपरिक ज्ञान का इस्तेमाल करना होगा जिन्हें वनाेपज और औषधीय वनस्पतियाें के उपयाेग की जानकारी है।
अभी तक वनाेपज और औषधीय वनस्पतियां जैसे सफेद मूसली, औषधीय कंद जिनका दवाइयां बनाने में उपयाेग किया जाता है, बिना जानकारी के ही निर्यात कर दी जाती हैं। इसका आर्थिक लाभ नहीं मिल पाता। यदि वनाेपज और औषधीय वनस्पति की प्राेसेसिंग कर इसका मेडिसनल उपयाेग किया जाए ताे बेहतर बाजार उपलब्ध हाेने से आजीविका और राेजगार के अवसराें काे बढ़ाया जा सकता है। दो दशक पहले सरकार की तालाब, सिंचाई, वनमित्र याेजनाओं सेे प्रयास किए गए लेकिन अभी उनके पर्याप्त परिणाम नहीं मिले। वनवासियाें के औषधीय ज्ञान का दस्तावेजीकरण करने से वनाेपज और औषधीय वनस्पति काे आजीविका का जरिया बनाया जा सकता है।
सतपुड़ा के क्षेत्र में तवा, जोहिला, देनवा, बाणगंगा, विहान नदियां हैं। मध्य प्रदेश का उच्चतम बिंदु धूपगढ़ है जो भूगर्भीय चट्टान और मिट्टी से बना है। पचमढ़ी-धूपगढ़ की इन ऊंची पहाड़ियाें पर साल और सागौन के जंगल हैं। मंडला, छिंदवाड़ा, सिवनी, होशंगाबाद, बैतूल, शहडोल, जबलपुर, खंडवा और खरगोन में साल और सागाैन बड़ी मात्रा में है। नर्मदा के तट क्षेत्र में तीन प्रकार के जंगल हैं।
नर्मदा के वन क्षेत्राें की वनाेपज में अंजन, महुआ, सगुन, आम, जामुन, निम्बू, बांस, नारंगी, हरसिंगार, अमलतास, बाबुल, नीम, पीपल फाइकस प्रमुख हैं। नर्मदा के औषधीय वनाें में अश्वगंधा, सतावर, गुरमार, कलिहारी, तुलसी, काली मूसली, हर्रा, जंगली प्याज, अर्जुन, बच, पाटल कुम्हड़ा, केयूकेन्ड, भुई-आंवला, राम दातुन, कालमेघ जैसे दुर्लभ औषधीय प्रजातियाें की वनस्पति प्रमुख है।
नर्मदा और वनवासी
मध्यप्रदेश में नर्मदा की भाैगाेलिक स्थिति में मुख्यत: पांच जनजातीय क्षेत्र हैं। इसमें बैतूल, छिंदवाड़ा, सिवनी बुधनी, रायसेन (बरेली), होशंगाबाद, हरदा, डिंडोरी, मंडला, नरसिंहपुर, बालाघाट में गाेंड प्रजाति पाई जाती है। जबलपुर, रायसेन, सीहोर, होशंगाबाद, हरदा जिलाें में कोरकू, बैतूल में बैगा और छिंदवाड़ा पातालकाेट भारिया जनजातियां पाई जाती हैं।
*नवविवाहिता ने फांसी लगाकर की आत्महत्या*
*मुलताई/एम्बुलेंस चालक से मारपीट कर वाहन का फोड़ा कांच*
*नवरात्रि के आयोजन को लेकर गृह मंत्रालय से गाईड लाईन जारी*
सतपुड़ा पावर प्लांट से निकलने वाली राख से लोगो को मिल रही है आजीविका, बनने लगे दीवार-गमले, पैवर ब्लॉक और ईंटें।
सतपुड़ा पावर प्लांट के पास राखड़ डैम है। इन डैम में प्लांट से निकलने वाली राख जमा होती है। अब इस राख से कई तरह के निर्माण होने लगे हैं। इसमें गमले, पैवर ब्लॉक, ईंटें भी शामिल हैं। इस राख से सैकड़ों परिवारों के घर के चूल्हे जल रहे हैं। यहां धसेड़ डैम 130 हेक्टेयर, राजीव तिगड्डा डैम 373 हेक्टेयर और पाटाखेड़ा डैम 111 हेक्टेयर में फैला हुआ है। इनकी गहराई 10 से 12 फीट है। राजीव तिगड्डा डैम बंद कर दिया गया है। अब राख का उद्योगों में इस्तेमाल बढ़ने पर प्लांट से साइलो सिस्टम से बल्करों में भरकर दी जाती है। प्लांट में जलने वाले कोयले से बनने वाली 10 से 20 प्रतिशत राख डैम में जाती है।
यहां राख डैम में स्टोर हो जाती है बहाकर लाने वाला पानी दोबारा प्लांट में इस्तेमाल हो जाता है। उत्पादन के दाैरान फिलहाल 2500 मीट्रिक टन एश पैदा हो रही है। बाटम एश (मोटी राख) डैम में जाती है। पावर प्लांट की इकाइयों से निकलने वाली राख बलकरों के अलावा डैम में जाती है। यह राख निशुल्क उपलब्ध होती है। राजीव तिगड्डा डैम बंद कर दिया है। राख का उपयोग ईंटें, पेवर ब्लॉक, गमले बनाने सहित विभिन्न कार्यों में इस्तेमाल करते हैं।
चिखलार वाटर फाल: हमारे जंगल का सौंदर्य चिखलार वाटर फाल, पानी इतना साफ कि नीचे तलहटी में गिरने पर कंकड़ दिखाई देते हैं ।
यह है सतपुड़ा के घने जंगल से फूटे चिखलार वाटर फाल की ड्रोन की तस्वीर। मानसून के सीजन में जहां पहाड़ी के पत्थर नहीं दिखाई देते हैं, वहां दिखाई देता है सिर्फ दूधिया झरना। 200 फीट से ज्यादा ऊंचे झरने तक पहुंचना आसान नहीं है और झरने से गिरने वाला पानी इतना साफ है कि आपको तल में कंकड़ साफ दिखाई देते हैं। दूधिया धाराओं के कारण इसे चिखलार दूध धारा भी कहते हैं।
ऐसे पहुंचे चिखलार वाटर फाल
बैतूल तरफ से 6.3 किलाेमीटर दूर चिखलार नदी की बड़ी पुलिया क्रॉस करने के बाद बाईं ओर कच्चे रास्ते पर मुड़ना होगा। जंगल में तीन किलो मीटर लंबा सफर। यहां तक वाहन चला जाएगा। इसके बाद आधा किलोमीटर पैदल चलना होगा। रास्ते में नदी मिलेगी, जिसे पैदल ही पार करना होगा। यहां से पानी सीधी धारा से नहीं, पहाड़ी की ढलान पर चट्टानों से कलकल करते हुए दूध की धारा के समान सफेद दिखाई देगा। नीचे तलहटी में नदी की गहराई 20 से 30 फीट तक है।
सावधानियां
- पैदल नदी पार करते समय एक-एक कदम ध्यान से रखें क्योंकि चट्टानों पर पानी और चिकनाई है।
- बच्चाें को लेकर जाएं तो उनका हाथ पकड़कर ले जाएं। उन्हें स्वतंत्र न छोड़ें।
- वाटर फाल के नीचे नदी में 20 से 30 फीट तक गहराई है।
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