ग्रामीण मीडिया संवाददाता।। नई दिल्ली/भोपाल
चुनाव आयोग ने चार राज्यों में चुनाव की घोषणा कर दी है| मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, और मिजोरम में चुनाव के लिए आचार संहिता शनिवार 6 अक्टूबर से तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है, मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को विधान सभा चुनाव होंगे| तेलंगाना में अभी चुनाव नहीं होंगे| मध्यप्रदेश और मिजोरम में 28 नवबर को वोटिंग होगी। सभी राज्यों में 11 दिसंबर को मतगणना होगी| मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों के लिए एक ही चरण में चुनाव होंगे। वहीं छत्तीसगढ़ में दो चरणों में चुनाव होंगे| मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होगा। वहीं 11 दिसंबर को नतीजे सामने आ जाएंगे। मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल सात जनवरी, 2019 को खत्म हो जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने प्रेस कांफ्रेंस शुरू होने से पहले मीडिया से समय बदलने पर माफी मांगी, उसके बाद उन्होंने पांच राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में दो चरण में चुनाव होंगे। बाकी के राज्यों में एक ही चरण में चुनाव करवाए जाएंगे। 15 दिसंबर से पहले मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में एक साथ चुनाव होंगे। उन्होंने कहा कि आज से ही चार राज्योंं में आचार सहिंता लागू की जाएगी। चुनाव आयोग ने संकेत दिए कि तेलंगाना में अभी विधानसभा चुनाव का ऐलान नहीं होगा। राज्य में 12 अक्टूबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी। इसके बाद चुनाव शेड्यूल घोषित किया जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त चुनाव ओपी रावत ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के हलफनामे के नियमों में भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक बदलाव किया गया है। उम्मीदवारों को उन विज्ञापनों के बारे में बताना होगा जो उन्होंने अपने के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों के संदर्भ में मीडिया में प्रकाशित कराए हैं।
मध्यप्रदेश: कुल सीटें : 230
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को मतदान होगा| नामांकन दाखिल करने का आखिरी दिन 9 नवंबर होगा। वहीं नामांकन पत्र की जांच का आखिरी दिन 12 नवंबर तय किया गया है। नाम वापस लेने की आखिरी तारीख 14 नवंबर होगी। चुनाव के परिणाम 11 दिसंबर को आएगा| मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बताया कि, चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही मध्यप्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू हो गई है। इन चुनावों में वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल होगा।
छत्तीसगढ़ चुनाव
छत्तीसगढ़ में पहले चरण का मतदान 12 नवंबर को होगा, 23 अक्टूबर को नामांकन की आखिरी तारीख है जबकि स्क्रूटनी 24 अक्टूबर को होगी| इस चरण में 18 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा| दूसरे चरण का मतदान 20 नवंबर को होगा|
मध्य प्रदेश चुनाव: जानिये यह जरूरी बातें
1 करोड़ 37 लाख 83 हजार वोटर हैं युवा
मतदाता सूची के अनुसार मध्य प्रदेश में 5 करोड़ 3 लाख 94 हजार 86 वोटर हैं, जो अपनी सरकार चुनेंगे| इनमें 20 से 29 वर्ष आयु वर्ग के सर्वाधिक 1 करोड़ 37 लाख 83 हजार 383 मतदाता हैं| यानी कि युवा पीड़ी पूरी तरह से सक्षम है कि वो अपनी सरकार बनाये|
2 करोड़ 63 लाख पुरुष और 2 करोड़ 40 लाख महिला वोटर्स
प्रदेश में कुल पुरुष मतदाता 2 करोड़ 63 लाख 14 हजार 957 और महिला मतदाता 2 करोड़ 40 लाख 77 हजार 719 हैं, मतदाताओं में 18 से 19 साल के 15 लाख 78 हजार 167 (3.13 प्रतिशत), 20 से 29 साल के 1 करोड़ 37 लाख 83 हजार 383 (27.38 प्रतिशत), 30 से 39 साल के 1 करोड़ 28 लाख 74 हजार 974 (25.58 प्रतिशत), 40 से 49 साल के 99 लाख 30 हजार 546 (19.73 प्रतिशत) मतदाता है| इसी तरह 50 से 59 साल के 63 लाख 58 हजार 853 (12.63 प्रतिशत), 60 से 69 साल के 35 लाख 45 हजार 733 (7.05 प्रतिशत), 70 से 79 साल के 16 लाख 85 हजार 339 (3.35 प्रतिशत) मतदाता हैं| 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के मात्र 5 लाख 77 हज़ार 265 मतदाता हैं, जो 1.15 प्रतिशत हैं| आयोग के अनुसार पिछले चुनाव में कुल 4 करोड़ 66 लाख मतदाता थे. आयोग के अनुसार प्रदेश में कुल 65341 मतदान केन्द्र हैं, जिनमें से शहरी क्षेत्र में 17036 जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 48305 मतदान केंद्र हैं|
क्या था 2013 का गणित
मध्य प्रदेश विधानसभा की 230 सीटों के लिए चुनाव होना है, 230 में से 35 अनुसूचित जाति जबकि 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं| 148 गैर-आरक्षित सीटें हैं, 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी 165 सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी जबकि कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था| वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 4 जबकि 3 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी| निर्वाचन आयोग के मुताबिक 2013 में मध्य प्रदेश में कुल 46636788 मतदाता थे जिनमें महिला मतदाताओं की संख्या 22064402 और पुरुष मतदाताओं की संख्या 24571298 और अन्य वोटर्स 1088 थे. 2013 में 72.07 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था|
आचार संहिता के बाद क्या होगा
चुनावों के दौरान जो शब्द सबसे ज्यादा चर्चा के केंद्र में रहता है वह है मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानि आदर्श आचार संहिता। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट यानी आदर्श आचार संहिता क्या है और प्रत्याशियों से लेकर पार्टी और सरकार पर इसके क्या क्या प्रतिबंध है और किन पहलुओं का ख्याल रखना होता है यह सभी जानकारी बेहद अहम है|
कर्मचारियों पर चुनाव आयोग का रहेगा कंट्रोल
चुनाव आयोग राज्य में चुनावों की तारीखों की घोषणा के साथ-साथ आचार संहिता भी लागू कर देता है। इसके लागू होते ही राज्य सरकार और प्रशासन पर कई बंदिश लग जाती हैं। यानि चुनाव खत्म होने तक राज्य के सरकारी कर्मचारी चुनाव आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं और उसके दिशा-निर्देशों पर काम करने लगते हैं। चुनाव आयोग ही पावर में होता है| इस दौरान राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं, लेकिन उनकी नीतियों की आलोचना हो सकती है। वोट पाने के लिए किसी भी स्थिति में जाति या धर्म आधारित अपील नहीं की जा सकती। मस्जिद, चर्च, मंदिर या दूसरे धार्मिक स्थल का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के मंच के तौर पर नहीं किया जा सकता है। वोटरों को रिश्वत देकर, या डरा धमकाकर वोट नहीं मांग सकते। वोटिंग के दिन मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में वोटर की कन्वैसिंग करने की मनाही होती है। मतदान के 48 घंटे पहले पब्लिक मीटिंग करने की मनाही होती है। मतदान केंद्र पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करा सकते।
जुलूस संबंधी नियम
राजनीतिक पार्टी या प्रत्याशी जुलूस निकाल सकते हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें इजाजत लेनी होगी। जुलूस के लिए समय और रूट की जानकारी पुलिस को देनी होगी, अगर एक ही समय पर एक ही रास्ते पर 2 पार्टियों का जुलूस निकलना है तो इसके लिए पुलिस को पहले से इजाजत मांगनी होगी ताकि किसी तरह से दोनों जुलूस आपस में न टकराएं और न ही कोई गड़बड़ी हो किसी भी स्थिति में किसी के पुतला जलाने की इजाजत नहीं होगी।
सरकार पर बंदिशें
चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा नजर मौजूदा सरकार पर होती है, चाहे केंद्र सरकार हो या राज्य सरकारें, सभी सरकारें चुनाव आचार संहिता के दायरे में आएंगी। किसी भी स्थिति में सरकारी दौरे को चुनाव के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल चुनावों के लिए नहीं होना चाहिए। सरकारी गाड़ी या एयर क्राफ्ट का इस्तेमाल नहीं कर सकते। सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव मुहिम के दौरान नहीं किया जा सकता। प्रचार के लिए सरकारी पैसे का इस्तेमाल नहीं हो सकता। सरकार मंत्री या अधिकारी चुनाव के ऐलान के बाद अपने मंजूर किए गए धन या अनुदान के अलावा अपने विवेक से कोई नया आदेश नहीं दे सकते यानी सीधे शब्दों में कहें कोई नई योजना शुरू नहीं कर सकते।
यह नियम होंगे लागू
-आचार संहिता लागू होने के बाद प्रदेश में किसी नई योजना की घोषणा नहीं हो सकती। हालांकि कुछ मामलों में चुनाव आयोग से अनुमति लेने के बाद ऐसा हो सकता है। मुख्यमंत्री या मंत्री अब न शिलान्यास करेंगे न लोकार्पण या भूमिपूजन। सरकारी खर्च से ऐसा आयोजन नहीं होगा, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ पहुंचता हो। राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।
-प्रत्याशी या राजनीतिक दल रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए इजाज़त लेनी होगी। अगर इलाके में कोई पाबंदी लगी हुई है तो उसके लिए अलग से इजाज़त मिलने के बाद ही कोई आयोजन किया जा सकेगा।
-लाउड स्पीकर के इस्तेमाल के नियमों का भी पालन करना अनिवार्य होगा।
-पार्टी या प्रत्याशी किसी समुदाय के बीच तनाव बढ़ाने का काम नहीं करेगा। वोट हासिल करने के लिए किसी भी स्थिति में जाति या धर्म का सहारा नहीं लिया जा सकता।
-धार्मिक स्थलों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाएगा।
-मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती। रिश्वत के बल पर वोट हासिल नहीं किए जा सकते।
-किसी भी व्यक्ति के घर, ज़मीन, जायदाद का इस्तेमाल बिना इजाज़त चुनाव के लिए नहीं किया जाएगा।
-नीतियों की आलोचना ज़रूर हो सकती है लेकिन किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते।
-पार्टियां सुनिश्चित करें कि उनके प्रत्याशी या कार्यकर्ता दूसरे लोगों की रैलियों या बैठकों में किसी तरह की कोई बाधा न पहुंचाएं।
-वोटिंग के दिन मतदान केंद्र से 100 मीटर के दायरे में प्रचार नहीं किया जा सकता। मतदान के 48 घंटे पहले पब्लिक मीटिंग करने की मनाही है। मतदान केंद्रों पर -वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते।
www.graminmedia.com