ग्रामीण मीडिया सेण्टर
घोड़ाडोंगरी - नगर में चल रही श्रीराम कथा के पांचवे दिवस भगवान राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न की बाल लीलाओं का वात्सल्य एवं ममत्व का वर्णन अहिल्या उद्धार की कथा सुनाई गई | संत मुरलीधर महाराज ने कहां की हमें अपने संस्कारों का सम्मान करना चाहिए और बच्चों में संस्कारों के लिए हमें गर्भावस्था है से ही सजग रहना चाहिए उन्होने कहा की दशरथ के पुत्र वेद का सार हैं अौर भक्ति धन से नहीं , भोजन से नहीं बल्कि प्रेम से तृप्त होती है अौर भरत जी राम सीता के प्रेम के प्रतीक हैं उन्होंने कहा कि कथा का भी एक नशा होता है जिसके जीवन में राम है उसका कोई शत्रु नहीं होता ऐसी स्थिति में व्यक्ति किसी पद प्रतिष्ठा का लोभ नहीं करता उसका मन फकीरी में रमता है और गाता है "मन लाग्यो मेरो यार फकीरी में"
उन्होंने कहा कि मष्तिक में समाज और संसार को एवम हृदय में राम को रखना चाहिए तब आपको कभी कष्ट नही होगा एवं जब सब आप से किनारा कर लें तो समझ लो प्रभु आप के समीप आ गए हैं और आपके जीवन में प्रेम आ गया है कोई भी शत्रु आपको दिखाई नहीं देगा महाराज श्री ने विश्वामित्र द्वारा यज्ञ की रक्षा के लिए राजा दशरथ से राम एवं लक्ष्मण को मांगने की कथा का वर्णन किया एवं अहिल्या उद्धार की कथा सुनाते हुए कहा की प्रभु ने शीला के रूप में अभिशापित अहिल्या का चरण स्पर्श से उद्धार किया अहिल्या प्रमुदित है मुनि के श्राप के कारण ही प्रभु दर्शन संभव हुआ अहिल्या ने राम जी से अनन्य भक्ति का वरदान मांगा कथा में बड़ी संख्या में नगर के लोग पहुच रहे है | आयोजक समिति के डॉ कृष्ण गोपाल अग्रवाल मानस प्रेमियों से आग्रह किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर कथा को विराट रूप दे एवं पुण्य लाभ अर्जित करें
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