ग्रामीण मीडिया सेण्टर|
पत्तागोभी का दाम 50 पैसे प्रतिकिलो हो गया है। खेतों में गर्मी में तैयार की फसल की अधिक पैदावार के बाद अब फसल निकालना भी मंहगा पड़ रहा है। पत्ता गोभी की यह फसल अब किसानों को अपने ही खेतों में नष्ट करना पड़ रही है।
फसल नष्ट करने किसानों ने अपने खेत में भेड़-बकरी और मवेशी छोड़ दिए हैं। बिरूल बाजार, बाड़ेगांव, धारनी, पिसाटा, सिरसावाड़ी, आष्टा, मासोद, धाबला, छिंदखेड़ा, बिहरगांव और अन्य गांवों में किसानों ने 500 एकड़ में पत्तागोभी की फसल लगाई है। भाव बढ़ने के इंतजार में खेतों में गोभी मुरझाने लगी है।
बिरूल बाजार में खेतों में तैयार पत्तागोभी की फसल में किसानों ने छोड़े भेड़ बकरी।
नहीं निकल रही लागत
बिरूल बाजार के भूपेश सोनी ने बताया प्रति एकड़ गोभी की फसल तैयार करने में 40 हजार रुपए का खर्च आता है। एक महीना रोपा और दो महीने में फसल तैयार होती है। सतीष मोहने ने बताया अप्रैल-मई में पत्तागोभी 4 से 5 रुपए प्रति किलो के भाव से बिकती थी। इस भाव से गोभी बिकने पर दो एकड़ में लगी गोभी डेढ़ से दो लाख रुपए आय हो जाती थी। इस साल भाव कम होने से लागत भी नहीं निकल पा रही है।
किसान ने खेत में छोड़े मवेशी
बिरूलबाजार के दुर्गेश गीद ने बताया दो एकड़ में पत्तागोभी लगाई थी। सही दाम नहीं मिलने के कारण फसल खेत से निकालने की लागत निकलना भी मुश्किल होगी। ऐसे में राजस्थान से आने वाले गडरियों को दो हजार रुपए में खेत में लगी फसल बेच दी है। कुछ किसान खेतों में तैयार गोभी की फसल पर रोटावेटर चला रहे हैं।
ठंड की गोभी गर्मी में लगाने के परिणाम है
उन्नतशील कृषक राजेंद्र भार्गव की किसानो को सलाह है की, बेमौसम सब्जी लगाने का परिणाम है ये , गोभी वर्गीय सब्जी ठंड में लगाई जाती है। गर्मी में बेस्वाद हो जाती है। साथ ही जायद मौसम की लोकी,गिलकी,तोरई,भंडी,टिण्डा,भाजी पाला आदि मौसमी सब्जी कम भाव में और स्वादीष्ट उपलब्ध रहती है। इस बात को इन किसानो में समझना चाहिए।
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