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रविवार, 24 दिसंबर 2017

बच्चा चोर समझकर एक बार फिर मासिक विक्षिप्त को पकड़ा

ग्रामीण मीडिया सेण्टर|मुलताई

परिजनों के साथ थाने से किया विदा

मुलताई। दो दिन पूर्व पुलिस द्वारा हाईवे से एक युवक को बच्चा चोर समझकर पकड़ा था। युवक शिक्षित लेकिन मानसिक विक्षिप्त निकला। गुजरात में गुमशुदगी भी दर्ज है। मूलतः बिहार के रहने वाला युवक गुजरात में काम करता था, लेकिन दो वर्ष पूर्व मानसिक संतुलन बिगडने से काम छोड कर चला गया था। पुलिस की सूचना पर उक्त युवक के परिजनों ने गुजरात से आकर उसे ले गए। चोरी की घटनाएं होने से पुलिस रात में घूमने वाले संदिग्ध लोगों को पकड़कर पूछताछ कर रही है थी। पुलिस को हाईवे पर गंदे कपड़े तथा बड़े बालों वाला एक युवक संदिग्ध रूप से घूमता हुआ नजर आया, जिसे पुलिस ने थाने लाया। बार-बार पूछने पर भी युवक कुछ बोल नहीं रहा था तथा जो बोला भी वह पुलिस के समझ नहीं आ रहा था। एसआई एआर खान ने बताया कि पहले युवक से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन जब लगा कि युवक का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है तो उससे पुचकार के पूछा गया। जिस पर युवक ने दूसरे दिन अचानक एक मोबाईल नंबर बताया, उक्त नंबर पर जब संपर्क किया गया तो वह विक्षिप्त युवक के भाई का निकला। जिसे पूरी जानकारी दी गई तो शनिवार परिजन उसे लेने पहुंचे, जिसके बाद पुलिस द्वारा युवक को परिजनों को सौंप दिया गया।

फर्नीचर बनाने का करता था काम राजेंदर
अपने भाई को लेने मुलताई आए मूलतः बिहार के रहने वाले बालमुकुंद महतो जो फिलहाल गुजरात में निवासरत हैं। उन्होंने बताया कि उनका भाई राजेन्दर कुमार महतो शिक्षित है जो फर्नीचर बनाने का काम करता था, लेकिन अचानक ही उसका मानसिक संतुलन खराब होने से वह घर से निकल गया, जिसकी गुमशुदगी राजकोट के भक्तिनगर थाने में दर्ज भी की गई थी। बालमुकुंद ने बताया कि उन्होंने अपने भाई को हर जगह ढूंढा, लेकिन कहीं नहीं मिला। एक दिन पूर्व अचानक ही मुलताई से पुलिस का फोन पहुंचा। जिससे जानकारी मिली की राजेन्दर मुलताई में है, जिसे वह लेने आए हैं।

नए कपड़े पहना कर पुलिस ने किया विदा
अपने भाई के लिए बालमुकुंद नए कपड़े लेकर थाने पहुंचे थे, लेकिन मानसिक संतुलन खराब होने से राजेन्द्र उनका भी कहना भी नहीं सुन रहा था, लेकिन एसआई एआर खान के कहने पर आखिर राजेन्दर ने नए कपड़े पहन लिए। पुलिस द्वारा उसके परिजनों का पूरा पता नोट करने के बाद सभी को थाने से विदा किया। इस दौरान राजेन्दर और बालमुकुंद के आंखों में आंसू थे। गुजरात के राजकोट से मुलताई पहुंचे बालमुकुंद ने बताया कि उन्होंने तो अपने भाई के मिलने की आस ही छोड दी थी ,क्योंकि वे सब जगह ढूंढ-ढूंढ कर थक गए थे। अचानक मुलताई में उनके भाई के होने की खबर सुनकर उन्हे सहसा विश्र्वास ही नहीं हुआ उन्होंने इसकी जानकारी बिहार अपने अन्य परिजनों को देने के बाद मुलताई राजेंदर को लेने आए हैं।
                              www.graminmedia.com

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