ग्रामीण मीडिया सेण्टर
साधारण किसान परिवार के धर्मजय सिंह रीवा जिले के ग्राम खुरी में परम्परागत धान, गेहूं, अरहर की खेती करते थे। गांव में कुछ बंजर, लाल मिट्टी की पथरीली जमीन थी जहां जंगली जानवरों सुअर, नीलगाय आदि के कारण किसान खेती करने की हिम्मत नहीं करते थे। धर्मजय सिंह ने इस जमीन में पाली हाउस बनाकर संरक्षित खेती करने का मन बनाया। उद्यान विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्र ने इन्हें सहयोग दिया।
धर्मजय सिंह ने पथरीली जमीन में होल कराकर पाली हाउस का ढांचा तैयार कराया। आज इन दोनों पाली हाउस में प्रति दिन पांच से छ: हजार गुलाब पैदा होते हैं जो सीधे दिल्ली में बिकते हैं।
धर्मजय सिंह ने अपने पाली हाउस में सिंचाई के लिये सोलर से चलने वाला पंप लगा रखा है। उनका पूरा पाली हाउस और परिसर सोलर लाइट से ही जगमग होता है। प्रति माह सिंचाई में लगने वाले लगभग दो लाख रुपये के डीजल की बचत भी होती है। धर्मजय सिंह ने किसानों को संदेश दिया।
धर्मजय सिंह से प्रेरणा लेकर गांव के किसान खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिये संरक्षित और उद्यानिकी फसलों की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इस समय रीवा जिले के ग्रामीण अंचलों में लगभग 24 पाली हाउस बन गये हैं। इनमें संरक्षित खेती कर यहां के किसान मालामाल हो रहे हैं।
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