ग्रामीण मीडिया सेण्टर|
बाड़ेगांव के युवा रोज सुबह दो घंटे पौधे लगाने का काम करते हैं। सूखी झाड़ियों को पौधों के आसपास लगाकर इनकी सुरक्षा के इंतजाम भी कर रहे हैं। लगाए हुए पौधे मुरझाएं नहीं, इसके लिए सुबह-शाम इनकी देखभाल भी करते हैं। जिसके चलते एक महीने में तीन सौ से अधिक पौधे रोपकर ग्रामीणों को भी इसके लिए जागरूक कर रहे हैं।
युवा लाखनसिंह सोलंकी और नवलसिंह निगम ने पौधे लगाने के कार्य को अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। लाखनसिंह और नवलसिंह निगम का कहना है बारिश भर अधिक से अधिक पौधे लगाकर गांव को एक बार फिर से हराभरा कर देंगे। उन्होंने बताया फलदार पौधों के साथ फूलों के भी पौधे लगाए जा रहे हैं। स्कूल, आंगनबाड़ी परिसर, गांव के चौक, गांव पहुंच मार्ग के आसपास पौधे लगाए जा रहे हैं। एक महीने में तीन सौ से अधिक पौधे लगाए हैं। एक हजार पौधे लगाकर उनकी रक्षा करेंगे।
बिना लागत के जारी है पौधरोपण लाखनसिंह और नवलसिंह निगम ने बताया पौधे खरीदने के लिए उनके पास रुपए नहीं हैं। ऐसे में उन्होंने गर्मी में ही पौधरोपण के लिए कार्य योजना तैयार की थी। गर्मी में पौधे तैयार किए। जिन पौधों की कलम लगे उन्हें भी पौधरोपण के लिए चुना। इसके साथ कचरे, घूड़ों के आसपास और नालियों के किनारे लगे पौधों को भी उखाड़कर सुरक्षित स्थान पर लगाना शुरू किया। पौधों की सुरक्षा के लिए कंटीली झाड़ियों को ट्री गार्ड के रूप में उपयोग कर रहे हैं। जिससे बिना लागत के पौधरोपण हो रहा है।
मुलताई। बाड़ेगांव के दो युवा रोज सुबह रोपते हैं पौधे।
बिगड़ते पर्यावरण को बचाने लगा रहे पौधे
लाखनसिंह ने बताया गांव के बुजुर्ग बताते हैं सालों पहले गांव के आसपास हरियाली नजर आती थी। गर्मी के मौसम में भी ठंडक का अहसास होता था। क्षेत्र को मिनी पचमढ़ी कहा जाता था। धीरे-धीरे पेड़ों की कटाई हुई। आज दूर-दूर तक पेड़ नजर नहीं आते हैं। जिससे तापमान तेजी से बढ़ते जा रहा है। दोबारा गांव को हराभरा करने और पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे लगा रहे हैं। अब उनको पौधा रोपते देख गांव के बच्चे भी इस कार्य में जुट गए हैं।
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