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शनिवार, 6 अक्तूबर 2018

जाग मतदाता अब तेरी बारी आई , किस की किमत पर किस का विकास जाने NOTA क्या हैं

ग्रामीण मीडिया संवाददाता 



मुलताई विधान सभा में लम्बे समय से आम मतदाता मुलताई को जिला बनाओ की मांग कर रहा है। इस बारे में स्वतंत्र पत्रकार राजेंद्र भार्गव ने मुलताई गाँधी चौक की बैठक में ये बात रखी की हमारी मांग पूरी नहीं होती है तो हम मतदान का बहिष्कार नहीं नोटा का उपयोग करे। इस का ही प्रचार-प्रचार करे। सरकार को समझाने का ये सबसे अच्छा प्रजातंत्रिक तरीका हो सकता है। पक्ष और विपक्ष दोनों से नाराज है। इसी बात का प्रचार करे। 
दरअसल, फर्ज कीजिए कि आपको किसी पार्टी का कोई उम्मीदवार पसंद न हो और आप उनमें से किसी को भी अपना वोट देना नहीं चाहते हैं तो फिर आप क्या करेंगे. इसलिए निर्वाचन आयोग ने ऐसी व्यवस्था की कि वोटिंग प्रणाली में एक ऐसा तंत्र विकसित किया जाए ताकि यह दर्ज हो सके कि कितने फीसदी लोगों ने किसी को भी वोट देना उचित नहीं समझा है. यानी अब चुनावों में आपके पास एक और विकल्प होता है कि आप इनमें से कोई नहीं का भी बटन दबा सकते हैं. यानी आपको इनमें से कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं है. ईवीम मशीन में NONE OF THE ABOVE यानी  NOTA का गुलाबी बटन होता है. 
हैदराबाद: पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने उन निर्वाचन क्षेत्रों में फिर से चुनाव कराने की वकालत की है जहां जीत का अंतर नोटा मत संख्या की तुलना में कम रही और विजयी उम्मीदवार एक तिहाई मत जुटाने में भी नाकाम रहे.उन्होंने यह विचार व्यक्त किया कि भारत में फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट निर्वाचन प्रणाली अब अपनी उपयोगिता ख़त्म कर चुकी है.कृष्णमूर्ति ने बताया, ‘मेरे विचार में नोटा बहुत बेहतर है. हमें यह कहना चाहिए कि अगर नोटा मतों के कुछ निश्चित प्रतिशत को पार कर जाता है जैसे अगर विजेता एवं पराजित उम्मीदवार के बीच मतों का अंतर नोटा मतों से कम होता है, तो आप कह सकते हैं कि हमें दूसरी बार चुनाव कराना चाहिए.’उन्होंने कहा कि इस उपाय को लागू करने के लिए क़ानून बनाने की ज़रूरत है.नोटा (नन ऑफ द अबव) मतदाता को यह अधिकार देता है कि वह किसी ख़ास सीट से चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार के लिए मतदान नहीं करे.नोटा (नन ऑफ द अबव) मतदाता को यह अधिकार देता है कि वह किसी ख़ास सीट से चुनाव लड़ रहे किसी भी उम्मीदवार के लिए मतदान नहीं करे.गुजरात में हालिया विधानसभा चुनावों में 5.5 लाख से अधिक या 1.8 प्रतिशत मतदाताओं ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर नोटा बटन दबाया था. वहां कई विधानसभा क्षेत्रों में जीत का अंतर नोटा मतों की संख्या से कम था.गुजरात विधानसभा चुनावों में नोटा मतों की संख्या कांग्रेस एवं भाजपा को छोड़कर किसी भी अन्य पार्टी के मतों की संख्या से अधिक थी.
 www.graminmedia.com

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