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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2020

भंडारपानी की दूधमुंही बच्ची की 21 दिन बाद माैत, मां की पहले ही हाे चुकी है माैत।

ग्रामीण मीडिया संवाददाता । बैतूल 01/10/2020।

 

सूचना क्रांति के दौर में भी प्रशासन और स्वास्थ विभाग लापरवाही कर रहा है। दूरस्थ अंचल के भंडारपानी गांव की प्रसूता की एंबुलेंस नहीं मिलने से इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। इसके ठीक 21 दिन बाद प्रसूता की दूधमुंही बच्ची की भी मौत हो गई। जबकि इस बच्ची की देखभाल को लेकर प्रशासन के आला अधिकारी को अवगत भी कराया गया था, लेकिन प्रशासन ने बच्ची की कोई सुध नहीं ली। श्रमिक आदिवासी संगठन का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही से दूधमुंही बच्ची को भी नहीं बचा सका। संगठन ने कहा कि उसने बच्ची काे बचाने एसडीएम एम बघेल को एक पत्र 14 सितंबर को दिया था।

प्रसूता काे झोली में लेकर नीचे लाए थे, प्राइवेट वाहन से ले गए अस्पताल
9 सितंबर को भंडारपानी गांव के लोग जान बचाने जग्गोबाई पति इंदर (28) प्रसूता को पहाड़ी से झोली में लेकर नीचे लाए थे। लेकिन संजीवनी एंबुलेंस ढाई घंटे तक नहीं मिली थी। प्राइवेट वाहन से अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में जग्गोबाई की मौत हो गई थी। उसने बेटी को जन्म दिया था। गांव में कोई सुविधा नहीं है।

पिता ने भी प्रशासन से लगाई थी गुहार
पत्नी जग्गोबाई की मौत होने के बाद पति इंदर ही बच्ची की देखभाल कर रहा था। उसे गाय का दूध पिलाया जा रहा था। 29 सितंबर को अचानक बच्ची की मौत हो गई। हालांकि पत्नी की मौत के बाद इंदर ने प्रशासन से नन्ही बच्ची की देखभाल की गुहार लगाई थी, लेकिन स्वास्थ्य अमले ने बच्ची की कोई सुध नहीं ली।

बच्ची की देखभाल के संबंध में मेरे पास कोई नहीं आया
मुझे आपसे ही इस संबंध में जानकारी मिली है। बच्ची की देखभाल के संबंध में मेरे पास कोई नहीं आया। यह क्षेत्र डेहरी आमढाना में आता है। संभवतः वहां के डॉक्टर ने देखा होगा।
संजीव शर्मा, बीएमओ, घोड़ाडोंगरी
भंडारपानी का रास्ता दुर्गम है, वहां अकेले जाना संभव नहीं है
मुझे बच्ची की मौत की जानकारी नहीं है। पहले प्रसूता के इलाज के लिए लोग आए थे। महिला की हालत गंभीर हाेने पर घोड़ाडोंगरी अस्पताल ले जाने के दौरान रास्ते में मौत हो गई थी। भंडारपानी का रास्ता दुर्गम है। वहां से बच्ची को लेकर कोई नहीं आया। वहां बारिश के मौसम में अकेले जाना संभव नहीं है। जंगली जानवरों का खतरा भी है।
डॉ. विश्वनाथ झरबड़े, प्रभारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, डेहरी आमढाना

संगठन का आरोप प्रशासन ने नहीं की सुनवाई

श्रमिक आदिवासी संगठन का आरोप है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस बच्ची की मौत का जिम्मेदार है। उन्होंने बच्चे की देखभाल के लिए एसडीएम एम बघेल को एक पत्र 14 सितंबर को दे दिया था। उनका कहना है कि सुनवाई नहीं करने से बच्चे की मौत हुई है।

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