ग्रामीण मीडिया सेण्टर| बैतूल
पंख होने से कुछ नहीं होता, हौसलों
से उड़ान होती है... ये कहावत
चिचोली ब्लॉक के 80 साल के
बुजुर्ग दंपती ने चरितार्थ कर दी। इस
दंपति ने हौसले के बूते पहाड़ का
सीना चीरकर दो किमी सड़क बना
दी। उनके कांपते हाथ और फूलता
दम इनके इरादों को कमजोर नहीं
कर पाया। अब वे और गांव के लोग
आसानी से इस रास्ते से अपने खेतों
में आते-जाते हैं। इस कारण अब
ग्रामीणों को खेतों में जाने के लिए
दिक्कत नहीं होती है |
नहीं ली सरकारी मदद, 1 साल
में बनाया दो किमी मार्ग
आमतौर रास्ता नहीं होने पर लोग सरकार
और जनप्रतिनिधियों का मुंह ताकते हैं,
लकिे न चिचोली ब्लॉक के छोटे से गांव
बालईमाल के गौलीढाना के रामू यादव
(80) को खेत आने-जाने में दिक्कतें
होती थी। तो उन्होंने खुद कुदाली उठाकर
पहाड़ का सीना चीरना शुरू कर दिया।
इसमें उनकी 75 साल की पत्नी बालिया
बाई ने साथ दिया और एक साल में इन
बुजुर्ग दपंती ने खेत तक आने-जाने का
दो किमी का ग्रेवल मार्गबिना किसी
सरकारी मदद बना दिया।
रामू यादव के खेत के समीप ही रामकरण यादव की 5 एकड़, सुरजन यादव की 3, भैयालाल यादव की 2, मिश्री
यादव की 3 गुलाब वटके की साढ़े तीन एकड़, शिवदीन वटके की ढाई एकड़ जमीन लगी हुई है। इनसे बात की
तो उन्होंने बताया पहले हमें खेत तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ती थी। लकिे न रामू यादव ने एक साल पहले
पहाड़ी काटना शुरू किया तो हम लोगों ने इसकी कल्पना भी नहीं कि जो काम किया जा रहा है वह भविष्य में
सुगमता देगा। लकिे न उनकी 1 साल की मेहनत के बाद अब हम सभी खेतों में आसानी से पहुंचने लगे हैं।
खेत में आने-जाने में होती थी परेशानी
बालई माल निवासी रामू यादव ने बताया उनका खेत जंगल के रास्ते
में होने से खेत तक जाने के लिए केवल पगडंडी रास्ता था। पगडंडी
का रास्ता बेहद ऊबड़-खाबड़ होने के साथ पथरीला था। ऊपर से
पहाड़ की चढ़ाई, जहां पैदल के अलावा गाड़ी बैल नहीं सकती थी।
इस परेशानी को देखते हुए मन में विचार आया कि खुद ही मेहनत
कर रोज थोड़ा-थोड़ा प्रयास करेंगे। यह बात पत्नी बालिया बाई को
बताई और पक्के मन से एक दिन मार्ग बनाना शुरू कर दिया। एक
साल में पहाड़ खोद डाला। और रास्ता बनाकर दिखाया।
अब निकल जाती है बैलगाड़ी और ट्रैक्टर
बुजुर्ग दंपती को पहले खेत तक पहुंचने पर जगंं ल से
गुजरना पड़ता था। पहाड़ी क्त्र हषे ोने से बैलगाड़ी और ट्रैक्टर से
नहीं जा सकते थे, लकिे न अब रास्ता हो जाने से वहां ट्रैक्टर,
बैलगाड़ी से आने-जाने लगे हैं। गांव के बजरंग मंदिर से खेत
तक 10 फीट चौड़ा और लगभग 2 किलोमीटर लंबा मार्ग
बना है। अब इस मार्ग से 80 वर्षीय रामू यादव और पत्नी
बालिया बाई की हौसले की कहानी अब पूरे गांव की जुबान
पर है। गांव के लोग को रास्ता और उम्र हैरत में डाल देती है।
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