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बुधवार, 25 अक्तूबर 2017

प्रदेश में किसानों ने 19 लाख 7 हजार से अधिक करवाये पंजीयन (भावांतर भुगतान योजना)

ग्रामीण मीडिया सेण्टर

प्रदेश में किसानों को मण्डी में गिरते भावों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए भावांतर भुगतान योजना लागू की गई है। इस योजना में दलहन एवं तिलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार की दृष्टि से खरीफ-2017 में पायलेट आधार पर सोयाबीन, मूंगफली, तिल, रामतिल, मक्का, मूंग, उड़द और तुअर को शामिल किया गया है।
योजना के पोर्टल पर 11 सितम्बर से 15 अक्टूबर के मध्य 3500 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों और 257 कृषि उपज मण्डियों में पंजीयन की कार्यवाही की गई। पंजीयन में किसानों के लिये अपने भू-अभिलेख के साथ आधार-कार्ड, समग्र आई.डी., बैंक खाते की डिटेल तथा मोबाइल नम्बर की अनिवार्यता की गई। योजना में 19 लाख 7 हजार 862 पंजीयन हुए। प्रदेश में 16 लाख 8 हजार 745 किसानों द्वारा 37 लाख 53 हजार 750 हेक्टेयर क्षेत्रफल का पंजीयन कराया गया। इनमें से सोयाबीन में 9 लाख 53 हजार 421, मूंगफली में 36 हजार 954, तिल में 40 हजार 548, रामतिल में 3205, मक्का में 2 लाख 13 हजार 832, मूंग में 12 हजार 762, उड़द में 5 लाख 6 हजार 487 और तुअर में एक लाख 653 पंजीयन हुए। क्षेत्रफल के हिसाब से पंजीकृत क्षेत्रफल में सोयाबीन में 22.75 लाख हेक्टेयर, मूंगफली में 42 हजार हेक्टेयर, तिल में 43 हजार हेक्टेयर, रामतिल में 4000 हेक्टेयर, मक्का में 3.87 लाख हेक्टेयर, मूंग में 2 हजार हेक्टेयर, उड़द में 9.91 हेक्टेयर और तुअर में 1.11 लाख हेक्टेयर रकबा योजना में पंजीकृत किया गया है।
राज्य शासन ने किसान हित में निर्णय लिया है कि कृषि जलवायु क्षेत्र में पड़ने वाले समस्त जिलों में से जिस जिले में उक्त फसल के 5 वर्षों में 3 सर्वश्रेष्ठ फसल कटाई प्रयोगों का औसत सर्वश्रेष्ठ होगा उसे कृषि जलवायु क्षेत्र के समस्त जिलों में लागू किया जाएगा। इससे एक ओर किसानों को भावांतर भुगतान योजना में बेहतर कृषि उत्पाद योजना की मात्रा का लाभ संभव हो सकेगा। दूसरी ओर कृषि जलवायु क्षेत्र में पड़ने वाले समस्त जिलों में फसल विशेष की उत्पादकता संभव हो सकेगी। पंजीकृत क्षेत्रफल तथा औसत उत्पादकता के आधार पर भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत फसल की कुल संभावित आवक 58.65 लाख मीट्रिक टन है। इसमें सोयाबीन 36.38 लाख मीट्रिक टन, मूंगफली 81 हजार मीट्रिक टन, तिल 4000 मीट्रिक टन, रामतिल 2000 मीट्रिक टन, मक्का 12.27 लाख मीट्रिक टन, मूंग 8000 मीट्रिक टन, उड़द 6.96 लाख मीट्रिक टन और तुअर 1.29 लाख मीट्रिक टन का लाभ योजना में किसानों को मिल सकेगा।
भावांतर भुगतान योजना में 7 फसलों के लिए मण्डी में विक्रय अवधि 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर, 2017 नियत की गई थी और तुअर के लिए एक फरवरी से 30 अप्रैल, 2018 नियत की गई थी। किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग ने मक्का और सोयाबीन की मण्डी आवक की स्थिति को देखते हुए किसान हित में मण्डियों में सोयाबीन विक्रय अवधि 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर को बढ़ाकर 16 अक्टूबर से 31 दिसम्बर तक और मक्का की विक्रय अवधि 16 अक्टूबर से 15 दिसम्बर, 2017 को बढ़ाकर 16 अक्टूबर से 31 जनवरी, 2018 नियत कर दी है। जिला कलेक्टरों को योजना के क्रियान्वयन पर समुचित निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। डिप्टी कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला-स्तरीय निगरानी दल और संभागीय-स्तर पर संयुक्त संचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास की अध्यक्षता में संभागीय निगरानी दल का गठन किया गया है।
किसानों से कहा गया है भुगतान योजना में कृषि उत्पाद के विक्रय के समय अपने साथ पंजीयन के समय प्राप्त पंजीयन पर्ची अवश्य लेकर आयें। मण्डी बोर्ड में कृषि विशेषज्ञ, मण्डी अधिकारियों तथा आई.टी. विशेषज्ञों की टॉस्क फोर्स का गठन किया गया है, जो प्रत्येक मण्डी के प्रत्येक भाव का भावांतर भुगतान योजना में अपलोड किये जा रहे डाटा की सघन और सूक्ष्म समीक्षा कर रहे हैं। इस कार्य के लिए डाटा निगरानी अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। भावांतर भुगतान योजना में पंजीकृत किसानों को नीलामी के बाद कृषि उत्पाद के विक्रय का प्रमाण-पत्र भी दिया जा रहा है।
प्रदेश में एक अगस्त, 2017 से लगातार प्रतिदिन विभिन्न फसलों की आवक और मण्डी दरों की विवेचना की जा रही है। आठ फसलों की प्रदेश तथा प्रदेश के बाहर औसत मॉडल दरों का भी विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जा रहा है। प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों में तिल को छोड़कर शेष 7 फसलों की दर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे हैं। पिछले एक माह में प्रदेश तथा प्रदेश के बाहर की मण्डियों में सोयाबीन में 300 से 500 रुपये प्रति क्विंटल, उड़द में 2000 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल, तुअर में 2000 से 2200 रुपये प्रति क्विंटल, मूंग में 1000 से 1500 रुपये प्रति क्विंटल, मक्का में 200 से 300 रुपये प्रति क्विंटल तथा मूंगफली में 700 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल दरें न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम चल रही है।
भावांतर भुगतान योजना में मण्डियों में विक्रय अवधि के बाद विक्रय अवधि की प्रदेश तथा अन्य दो प्रदेशों के मॉडल औसत विक्रय दरों से गणना की जाएगी। योजना में किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य से नियत मॉडल विक्रय दर के बीच की किसी दर पर विक्रय किया जाता है, तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा किसान द्वारा विक्रय की दर के अंतर की राशि का भुगतान किसान के खाते में किया जाएगा। यदि किसान की विक्रय दर मॉडल विक्रय दर से कम रही, तो न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा औसत मॉडल विक्रय दर के अंतर की राशि का भुगतान किसान के खाते में किया जाएगा। भावांतर भुगतान योजना मण्डियों में बेहतर क्वालिटी (एफ.ए.क्यू.) और गैर-बेहतर क्वालिटी के आठ कृषि उत्पादों पर लागू है।

योजना में 16 अक्टूबर से 23 अक्टूबर के बीच पंजीकृत किसानों द्वारा फसलों के विक्रय तथा मात्रा पोर्टल पर दर्ज कर सतत समीक्षा और निगरानी की जा रही है। भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में सबसे पहले मध्यप्रदेश में लागू की जा रही है। इस योजना से दलहन तथा तिलहन फसलों के खरीदी के सही मूल्य किसानों के लिए सुरक्षा कवच के रूप में महत्वपूर्ण साबित होंगे।

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