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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2017

मिली लापता महिला रेंजर ,वर्कलोड से थी परेशान

ग्रामीण मीडिया सेण्टर| बैतूल 
रेंजर 


आज हम एक महिला अफसर के रहस्यमय तरीके से लापता होने और फिर 700 किलोमीटर दूर एक शहर में खोजे जाने के  सनसनीखेज मामले से रूबरू कराएंगे। तीन जिलों में अपने डिपार्टमेंट  का काम करने वाली यह अफसर पिछले 11 दिन से लापता थी। जिसे मीडिया और सोशल मीडिया की मदद से ढूंढ लिया गया। कौन है ये अफसर,कैसे हुई थी गायब और फिर कैसे और कहाँ मिली। उसे जमीन खा गई या आसमान निगल गया। वो कहाँ गयी। कैसे गयी। हम बात बैतूल की महिला रेंजर नीता शाह की कर रहे है। तीन जिलों में वन विस्तार और अनुसंधान की नर्सरियों की प्रभारी नीता शाह पिछले 11 दिन से गायब थी।
पिछले 11 दिसम्बर को दफ्तर जाने का कहकर अपनी स्कूटी से निकली इस अफसर की गुमशुदगी से यहां विभाग में हड़कंप मच गया था। 36 साल की महिला रेंजर नीता शाह बैतूल में पिछले डेढ़ साल से पदस्थ है और उनके पास तीन जिलों बैतूल,हरदा और होशंगाबाद की नर्सरियों का चार्ज है। 11 तारीख को करीब 11 बजे वे पति रिजवान शाह से बैंक और अपने दफ्तर जाने का कहकर निकली थी ।लेकिन जब वे दफ्तर नही पहुची और फोन स्विच्ड आफ मिला तो अफसरों ने पियून घर भेजा लेकिन वे घर से निकल चुकी थी। शाम तक घर न लौटने पर परिजनों ने बैतूल गंज इलाके में गुमशुदगी दर्ज कराई ।  पुलिस ने आस पास के जिलो को तलाश के लिए एलर्ट किया । बैंक से उनके सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए ।वही  उनकी स्कूटी की भी तलाश की गयी। लेकिन कुछ नही मिला।

मच गया हड़कम्प, सोशल मीडिया और मीडिया काम आया
इस अफसर की गुमशुदगी ने पुलिस मुख्यालय से लेकर वन विभाग के गलियारों में हड़कम्प मचा दिया था। खुद डीजीपी और मुख्य वन संरक्षक नीता शाह के रहस्यमय तरीके से गायब होने से हैरान थे। उन्होंने नीता को जल्द तलाशने के लिए पुलिस को सारे संसाधन झोंकने के निर्देश दे रखे थे। इस बीच बैतूल से 700 किलोमीटर दूर अलाहाबाद से आये एक फोन कॉल ने पुलिस की चुनौती को आसान कर दिया। इलाहाबाद के एक नेट कैफे पर एक्जाम फार्म भरने आये कुछ छात्रों ने नीता को देखा और उसके हुलिया के आधार पर बैतूल पुलिस से संपर्क कर नीता के इलाहाबाद में होने की जानकारी दी। फेसबुक, व्हाट्सएप के अलावा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों पर इस अफसर के गायब होने की खबरों को इन छात्रों ने देखा था।वही उसकी तलाश का कारण बन गया। बैतूल से टीम रवाना हुई। और नीता को इलाहाबाद के होटल कावेरी से दस्तयाब कर लिया गया।
बरामद कर आज बैतूल लाई गई महिला अफसर नीता ने यहां पहुचकर जो बयान दिया है उसने सरकारी तंत्र में दबाव और महिलाओ की स्थिति का खुलासा किया है। नीता के मुताबिक उस पर बेहद वर्क लोड था। एक।तो तीन जिलों का चार्ज और उस पर कोई सुविधा नही। ऐसे में वह अपने घर परिवार को वक्त नही दे पा रही थी। अपने सात साल के बेटे को मिले कम नंबरों ने उसे परेशानी में डाल।दिया और उसने घर,दफ्तर छोड़ने का इरादा कर लिया।

रोचक रहा सफर
नीता का बैतूल से गायब होना और इलाहाबाद पहुचने तक का सफर भी बड़ा रोचक रहा।रेंजर नीता ने 11 दिसंबर को बैतूल के गंज इलाके के एस.बी.आई के एटीएम से सुबह 11:51 बजे 40 हज़ार रुपए अपने होम लोन एकाउंट में ट्रांसफर किए। परिजनों ने जब बैंक में संपर्क किया तो इस एटीएम के सीसीटीवी फुटेज में नीता दिखाई दी। पुलिस ने जब इस मामले में छानबीन शुरु की तो एटीएम के करीब में ही एक निजी घर में लगे सीसीटीवी के फुटेज भी पुलिस ने खंगाले। 11.52 मिनट पर रेंजर नीता शाह इस सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दी। इसके बाद से ही नीता का मोबाइल बंद हो गया। पुलिस ने नीता के मोबाइल रिकॉर्ड की जांच भी कराई है।लेकिन कोई सुराग नही मिला।पुलिस उनकी स्कूटी तलाशती रही लेकिन कोई सुराग नही मिला। वर्क लोड से तंग नीता ने अपनी स्कूटी से 300 किलोमीटर का सफर खंडवा तक तय किया। वहाँ अपनी स्कूटी रेलवे पार्किंग में खड़ी की। अपने पुराने कपडे बांद्रा भान डैम में फेंके और ट्रेन में बैठकर वे कोटा पहुच गयी। परेशान घूमती रही नीता को कोई ठौर नही मिला तो वह इलाहाबाद पहुच गयी। यहां वे एक होटल में रुक गयी।और रोज एक मंदिर में होने वाले सत्संग में जाने लगी।यही छात्रों की नजर उन पर पड़ी।
किया था जान देने का इरादा
पुलिस पड़ताल के मुताबिक बताया जा रहा है कि इस बीच उन्होंने जान देने का इरादा भी किया लेकिन उनकी हिम्मत जवाब दे गई। इस बीच उनका लापता होने से लेकर लौटने तक का सफर रहस्य बना रहा। वर्क लोड की बात पर उनके अफसर इससे इनकार कर रहे है। डीएफओ श्री मीना का कहना है कि वह पहले भी घर से भाग चुकी है। इधर नीता के वापस लौटने से अब पुलिस ने राहत की सांस ली है। उसके सामने बड़ी चुनौती थी।तो वही पति रिजवान शाह को हर कोई संदेह की नजर से देख रहा था।
एक अफसर का इस तरह लापता होने और फिर मिल जाना कई सवाल खड़े कर गया है। एक महिला को बिना संसाधन के तीन जिलों का चार्ज देने का सवाल भी अफसरों को कटघरे में खड़ा कर रहा है। वही इस अफसर का इस तरह अपने कर्तव्य और घर परिवार की जिम्मेदारियों से पलायन करना भी उनकी क्षमता पर सवाल उठा गया है। ऐसे में जब अपनी कार्य शैलीे और स्पोर्ट्समैन शिप के चलते वे कई पुरस्कार ले चुकी है।

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