ग्रामीण मीडिया सेण्टर । मुलताई
मुलताई में जोरों पर एक समय था जब कि मुलताई के लोग अपने घरों में भी रेत रखने में भी डरा करते थे। आज आलम ये है कि लोग एक बार रॉयल्टी देकर उस रेत को ट्रॉली से बेचते है और उसमें भी नगर के चौक चौराहों पर अतिक्रमण कर। रातों रात रेत से डंपर का परिवहन होता वो भी ओवरलोड।
रेत का अवैध धंधायहां से शुरू होता है
रेत का अवैध परिवहन मोरखा, खेड़लीबाजार, केहलपुर, कुजबा सहित बेल नदी के किनारे स्थित खेतों में रेत का स्टॉक किया जाता है। नदी के लालघाट से अवैध रूप से सबसे अधिक रेत निकाली जाती है। जिसे ट्रैक्टर-ट्राॅली से खेतों में स्टोर किया जाता है। रात में रेत डंपरों में भर यह डंपर रातों-रात नगर में पहुंचते हैं। बेल नदी से मुलताई, आमला सहित अन्य स्थानों पर रेत पहुंचती है। यह परिवहन रात 9 से सुबह 5 बजे तक होता है।
बिना राॅयल्टी के आई रेत मिलती है सस्ती
रेत के अलग-अलग दाम हैं। बिना राॅयल्टी के रेत लेकर आने वाला डंपर 16 से 17 हजार रुपए में मिल जाता है। वहीं राॅयल्टी काटकर रेत लाने वालों को इस दर में रेत बेचने में घाटा होता है। शाहपुर से राॅयल्टी से रेत लाई जा रही है। रायल्टी 9 हजार 500 रुपए कटती है। रेत नगर तक लाने में 16 से 17 हजार रुपए का खर्च आ जाता है।
दो जिलों की सीमा बन रही परेशानी का कारण,
अब रात में भी होगी जांच मोरखा से कुछ दूरी पर बेल नदी के किनारे छिंदवाड़ा जिले की सीमा लग जाती है। इसका फायदा रेत का धंधा करने वाले उठाते हैं। नदी से रेत निकालकर छिंदवाड़ा जिले की सीमा में स्थित खेतों में डंप करते हैं। खनिज निरीक्षक अशोक नागले ने बताया बिना राॅयल्टी रेत का परिवहन करने वाले डंपरों पर कार्रवाई की जाती है। अब रात में भी जांच की जाएगी।
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