ग्रामीण मीडिया संवाददाता
संपूर्ण जगत का ताप और पाप हरण करने पृथ्वी पर आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को दोपहर 12 बजे मां ताप्ती का अवतरण हुआ। मां ताप्ती का उद्गम स्थल मुलताई है। 19 जुलाई को मां ताप्ती के जन्मोत्सव के लिए ताप्ती सरोवर रोशनी से जगमगा उठा है। सुबह 8 बजे मां ताप्ती मंदिर में पूजन और अभिषेक होगा। दोपहर में शोभायात्रा और शाम 7 बजे सामूहिक अभिषेक कर आरती होगी।
जानिए मां ताप्ती की उत्पत्ति
स्कंद पुराण में तापी महात्म्य में ताप्ती उत्पत्ति का वर्णन है। ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की तब जगत अंधकारमय था। इसे दूर करने ब्रह्मदेव ने मानस पुत्र सूर्य को उत्पन्न किया। जिससे पृथ्वी पर ताप बढ़ा। सूर्य के पसीने की बूंदें गिरीं और तापी का अवतरण हुआ।
सुबह मां ताप्ती मंदिर में पूजा-अभिषेक, दोपहर में शोभायात्रा व शाम को सामूहिक अभिषेक कर होगी आरती, सूर्य के पसीने की बूंद पृथ्वी पर गिरने से हुआ था अवतरण 21 कल्पों में मां तापी के नाम
सत्या सत्योद्भवा श्यामा कपिला कपिलांबिका तापिनी तपनह्दा नासत्या नासिकोद्भवा सावित्री सहस्त्रकरा सनकामृतसयंदिनी सूक्ष्मा सूक्ष्मतरमणी सर्पा सर्वविषपहा तिग्मा तिम्मारया तारा ताम्रा तापी-विश्रुता।
मां ताप्ती का परिवार सूर्यदेव की दो पत्नी संज्ञा एवं छाया हंै। छाया द्वारा उत्पन्न- शनि, तापी, यमराज, यमुना, भद्रा, सावित्री। संज्ञा द्वारा उत्पन्न- श्राद्ध देव, मनु, व्यक्तिपान, कुलिका, अर्धयाय। मां तापी का विवाह सोम वंश के राजा संवरण के साथ हुआ है। इनसे मां तापी को कुरू नाम का पुत्र हुआ।
730 मीटर (2395 फीट) समुद्र तल से ऊंचाई। 740 किमी (460 मील) लंबाई। 3.517 हेक्टेयर (8.69 एकड़)सरोवर का क्षेत्रफल। 04 ताप्ती पर कुल जलाशय। 190 किमी बैतूल जिले में प्रवाह।
www.graminmedia.com
संपूर्ण जगत का ताप और पाप हरण करने पृथ्वी पर आषाढ़ शुक्ल सप्तमी को दोपहर 12 बजे मां ताप्ती का अवतरण हुआ। मां ताप्ती का उद्गम स्थल मुलताई है। 19 जुलाई को मां ताप्ती के जन्मोत्सव के लिए ताप्ती सरोवर रोशनी से जगमगा उठा है। सुबह 8 बजे मां ताप्ती मंदिर में पूजन और अभिषेक होगा। दोपहर में शोभायात्रा और शाम 7 बजे सामूहिक अभिषेक कर आरती होगी।
जानिए मां ताप्ती की उत्पत्ति
स्कंद पुराण में तापी महात्म्य में ताप्ती उत्पत्ति का वर्णन है। ब्रह्मदेव ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की तब जगत अंधकारमय था। इसे दूर करने ब्रह्मदेव ने मानस पुत्र सूर्य को उत्पन्न किया। जिससे पृथ्वी पर ताप बढ़ा। सूर्य के पसीने की बूंदें गिरीं और तापी का अवतरण हुआ।
सुबह मां ताप्ती मंदिर में पूजा-अभिषेक, दोपहर में शोभायात्रा व शाम को सामूहिक अभिषेक कर होगी आरती, सूर्य के पसीने की बूंद पृथ्वी पर गिरने से हुआ था अवतरण 21 कल्पों में मां तापी के नाम
सत्या सत्योद्भवा श्यामा कपिला कपिलांबिका तापिनी तपनह्दा नासत्या नासिकोद्भवा सावित्री सहस्त्रकरा सनकामृतसयंदिनी सूक्ष्मा सूक्ष्मतरमणी सर्पा सर्वविषपहा तिग्मा तिम्मारया तारा ताम्रा तापी-विश्रुता।
मां ताप्ती का परिवार सूर्यदेव की दो पत्नी संज्ञा एवं छाया हंै। छाया द्वारा उत्पन्न- शनि, तापी, यमराज, यमुना, भद्रा, सावित्री। संज्ञा द्वारा उत्पन्न- श्राद्ध देव, मनु, व्यक्तिपान, कुलिका, अर्धयाय। मां तापी का विवाह सोम वंश के राजा संवरण के साथ हुआ है। इनसे मां तापी को कुरू नाम का पुत्र हुआ।
730 मीटर (2395 फीट) समुद्र तल से ऊंचाई। 740 किमी (460 मील) लंबाई। 3.517 हेक्टेयर (8.69 एकड़)सरोवर का क्षेत्रफल। 04 ताप्ती पर कुल जलाशय। 190 किमी बैतूल जिले में प्रवाह।
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